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देवता को गाली से दुखी अधिकारी का पत्र

अमिताभ ठाकुरजरूरी नहीं कि आप हिंदू हों तभी हिंदू देवताओं को गाली दिए जाने का विरोध करें. आप किसी धर्म मजहब, जाति संप्रदाय के हों, किसी को गाली देने का हर हाल में विरोध कर सकते हैं. एक अनीश्वरवादी भी किसी की धार्मिक भावनाओं को बुरी तरह आहत किए जाने के कृत्य का विरोधी हो सकता है. उदाहरण के तौर पर अमिताभ ठाकुर को ही लें. अमिताभ उन कुछ साहसी पुलिस अधिकारियों में से हैं जो समाज विरोधी ताकतों से तो बहादुरी से निपटते ही हैं, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी हिम्मत के साथ मुखर रहते हैं. यकीन न हो तो ये पत्र पढ़िए.

अमिताभ ठाकुर

अमिताभ ठाकुरजरूरी नहीं कि आप हिंदू हों तभी हिंदू देवताओं को गाली दिए जाने का विरोध करें. आप किसी धर्म मजहब, जाति संप्रदाय के हों, किसी को गाली देने का हर हाल में विरोध कर सकते हैं. एक अनीश्वरवादी भी किसी की धार्मिक भावनाओं को बुरी तरह आहत किए जाने के कृत्य का विरोधी हो सकता है. उदाहरण के तौर पर अमिताभ ठाकुर को ही लें. अमिताभ उन कुछ साहसी पुलिस अधिकारियों में से हैं जो समाज विरोधी ताकतों से तो बहादुरी से निपटते ही हैं, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी हिम्मत के साथ मुखर रहते हैं. यकीन न हो तो ये पत्र पढ़िए.

यह पत्र उन्होंने बेहद दुखी मन से अपने पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी को लिखा है. यूपी के डीजीपी को लिखे पत्र में आईपीएस अमिताभ ठाकुर एक जगह कहते हैं- ”अपनी वेदना अथवा अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार हरेक व्यक्ति को है किन्तु इस प्रकार दूसरे समाज, धर्म, संप्रदाय आदि के विषय में इस तरह की सीधी-सीधी गालीयुक्त भाषा का प्रयोग किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है. एक भारतीय के रूप में तथा एक जागरूक व्यक्ति के रूप में, जो जन्मना हिन्दू भी है, मैं इस आलेख से व्यक्तिगत स्तर पर आहत हूं और मुझे विश्वास है कि एक बड़े जन-समुदाय में इसी प्रकार की भावना होगी.”

अमिताभ ठाकुर के पत्र से एक उम्मीद जगती है, हिम्मत बंधती है, कि हर क्षेत्र में ऐसे कुछ लोग हैं जो खुद को होने वाले नुकसान की परवाह न करते हुए सच बोलने का साहस रखते हैं, गलत को गलत कहने का माद्दा रखते हैं. आइए, अमिताभ के पत्र को पढ़ें. -एडिटर


सेवा में,

पुलिस महानिदेशक,

उत्तर प्रदेश,

लखनऊ

विषय- अम्बेडकर टुडे पत्रिका से संबंधित

महोदय,

मैं किसी भी प्रकार से धार्मिक व्यक्ति नहीं हूं। वैसे तो मेरा जन्म हिन्दू धर्म में हुआ है और अब तक मैं अभिलेखों में हिन्दू ही हूं क्योंकि मैंने कहीं भी इससे इतर कोई सूचना नहीं दी है किन्तु तथ्य यही है कि मैं अपने आप को निरीश्वरवादी की तरह का मानता हूं। मंदिर मैं कभी नहीं जाता, पूजा-पाठ बिल्कुल नहीं करता। धर्म को लेकर रचने वाले आडंबरों को पूरी तरह गलत मानता हूं और धर्म के नाम पर बहुत अधिक संवेदनशील होने को भी बुरा समझता हूं। पर इसके बावजूद कभी-कभी ऐसी बात निगाहों के सामने आ जाती हैं कि लगता है कि क्या किसी धर्मविशेष की सहनशक्ति को कोई दूसरा व्यक्ति उसकी कमजोरी और लाचारी समझ लेता है। यदि ऐसा नहीं होता तो फिर क्या यह संभव था कि ‘अम्बेडकर टुडे’ नामक जौनपुर, उत्तर प्रदेश से प्रकाशित एक मासिक पत्रिका के मई 2010 अंक में ऐसी बातें लिखी जातीं जो कोई भी धार्मिक व्यक्ति किन्हीं भी स्थितियों में सुनने को कदापि भी तैयार नहीं होगा।

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डा. राजीव रत्न, निवासी 4, गुलिस्तां कालोनी, लखनऊ इसके संपादक हैं तथा उत्तर प्रदेश सरकार के कई मन्त्रीगण के नाम इसके संरक्षक के तौर पर अंकित हैं। पत्रिका के मुखपृष्ठ पर लिखा है- मानववादी मीडिया। इसके पृष्ठ 31 पर एक आलेख में लेखक श्री अश्विनी कुमार शाक्य पुत्र श्री पी. एल. शाक्य जिनका पता पत्रिका के अनुसार ‘पगारा रोड, जौरा, जिला मुरैना, मध्य प्रदेश’ अंकित है, के द्वारा जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया गया है वह अकथनीय है।

  • वैदिक ब्राह्मण और उसका धर्म शीर्षक से प्रस्तुत तालिका में वे कहते हैं कि हिन्दू धर्म ‘मानव मूल्यों पर कलंक’’ है.

  • हिन्दू धर्म को ‘‘त्याज्य धर्म’’ बताया गया है, इसे ‘‘भोन्दू और रोन्दू’’ धर्म व ‘‘पापगढ़’’ कहा गया है.

  • वेद क्रूर, निर्दयी, जंगली, बेवकूफी का म्यूजियम, मूर्खताओं का इन्द्रजाल बताये गये हैं.

  • हिन्दू धर्मशास्त्र निकृष्ट शास्त्र कहे गये हैं.

  • 33 करोड़ देवता गैंगस्टर, कपटी, षडयंत्री, क्रूर और हत्यारे कहे गये हैं.

  • पर वे इतने पर ही नहीं रुकते हैं। वे लिखते हैं कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ‘‘बेटीचोद’’ है.

यह शब्द एक बहुत ही गंदी गाली है जो किसी भी व्यक्ति के लिये प्रयुक्त किये जाने पर ही आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आ जाता है। फिर यदि इस प्रकार की घोरतम निन्दनीय भाषा का प्रयोग किसी देवता के लिये किया जाता है तो इसकी गंभीरता तथा भयावहता का अनुमान स्वयं ही लगाया जा सकता है।

अपनी वेदना अथवा अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार हरेक व्यक्ति को है किन्तु इस प्रकार दूसरे समाज, धर्म, संप्रदाय आदि के विषय में इस तरह की सीधी-सीधी गालीयुक्त भाषा का प्रयोग किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। एक भारतीय के रूप में तथा एक जागरूक व्यक्ति के रूप में, जो जन्मना हिन्दू भी है, मैं इस आलेख से व्यक्तिगत स्तर पर आहत हूं और मुझे विश्वास है कि एक बड़े जन-समुदाय में इसी प्रकार की भावना होगी। इन स्थितियों में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कृपया इस प्रकरण में नियमानुसार समस्त दोषी व्यक्तियों के खिलाफ न्यायोचित आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें।

सादर,

भवदीय,

अमिताभ ठाकुर

लखनऊ

दिनांक- 20/05/2010

प्रतिलिपि- पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, लखनऊ को

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0 Comments

  1. lovekesh kumar raghav

    May 21, 2010 at 6:39 am

    main bhi amitabh jee ki baat se sahamat hu ki kisi bhi dhram ya jansmuday ko es tarha ki baat nahi karni chahiye jis se logon ki bhawnaye aahat ho……………ye to achchha hai ki kisi ne es ko dharm ke naam par dange karane ki sajish karar nahi diya warna ese logo ki kami nahi jo bas ese moko ki talash main rahte hai……………………..

  2. ajay

    May 21, 2010 at 7:12 am

    police department me amitabh je jaise logon ke vedna sarahniya hai. pata chalta hai ke khaki vardi ke andar bhee bhavnain jinda hain.accha ho ke writer ke khilaf karvaai ho.[b][/b]

  3. next generation movement

    May 21, 2010 at 8:02 am

    अमिताभ जी, हम आपके सच के साहस को सलाम करते हैं। आगे बढ़ें हम आपके साथ हैं।….

  4. abhai

    May 21, 2010 at 8:04 am

    I also do not believe in rituals despite being hindu by birth and by law. But it is blasphemous, scandalous and criminal act. Must punish author and editor under abetting riot with other laws of land.

  5. Sarita Singh

    May 21, 2010 at 8:05 am

    अमिताभ जी धन्यवाद। आशा है आपकी आवाज दूर तक जाएगी।

  6. pramod kaushik, News Editor, Sarvottam Times

    May 21, 2010 at 8:11 am

    Aaj desh ko Amitabh Thakur jaise adhikariyon ki behad jarurat hai.
    lekin kaisi vidambana hai ki desh ke tamam police aur prashashnik adhikari manchahi posting ke lalach me galat kam ko rokana to dur usko galat kahane ki bhi himmat nahi rakhte. ulta sattadhariyon ke galat kamo me badh-chadh kar shamil rahte hain.

  7. Ranjit

    May 21, 2010 at 8:43 am

    well done Amitabh jee. This is duty of every citizen to condem such ill-mind Peaple. You did this. Thanks.

  8. Siddharth Kalhans

    May 21, 2010 at 10:12 am

    भाई अमिताभ
    सच कहने का साहस किया आपने। बधाई। वैसे जो कुछ इस पत्रिका में अब तक लिखा पढ़ा कहा जा रहा था उससे व्यथित तो कई होंगे पर सामने नही आये। कम से अधिकारी वर्ग से तो कोई नही। सीबीसीआईडी की जांच से क्या होगा इस प्रदेश में आप अच्छी तरह जानते हैं। संपादक की गिरफ्तारी से कम पर कुछ नही बनता। आपने ने बेबाकी से आपनी बात रखी। साधुवाद

  9. rahul aditya rai

    May 21, 2010 at 12:20 pm

    afsos is bat ka hai ki gali dene wala bhi hindu hi hai.meri jankari me sakya bhi hindu hi hoten hain.fir devtavon or hindu dharm ke prati itni nafrat samjh nahin aati.lagta hai gadhe ka dimag fir gya hai.amitabhji jese log hi inka dimag durust kar sakte hain.ummid hai unki aawaj dur tak jayegi

  10. atul saxena, gwalior

    May 21, 2010 at 1:01 pm

    badhai, sadhuvad aur himmat ko salam. ek-ek karke hi log judte he aur karva banta chala jata he .

  11. Tariq Khan

    May 21, 2010 at 2:01 pm

    Meri Roy may kuch logo nay yeh samjh rakha hai ki woh in ulti seedhi harkato say naam kama letey hai isi wajah say aisi harkatey kertay hai lekin jis ki buniaad hi galat tarah say rakhi jaati hai woh building zyada dino tak nahi chalti hai. kisi ko bhi yeh haq nahi pahuchta hai ki woh kisi bhi dharam ya admi ke barey may koi bhi aisi baat likhe ya kahe jo woh khud nahi sunna chata hai . amitabh thakur ney bilkul sahi likha hai har hndustani ko aisa hi mahsoos kerna chaiye .

  12. durga dutt

    May 21, 2010 at 2:22 pm

    aapney bahut hi sahi baat uthai hai is tarah kisi ko bhi kisi key bhaonaon sey khilwad ki ijajat nahi di jani chaihey aur kadai sey is pr ro lagai jaani chaihey

  13. bhupendra singh

    May 21, 2010 at 2:39 pm

    aap ki baat mein kafi wajan hai.is tarah pahli baar tark purn baat padhne ko mili

  14. vivek tiwari

    May 21, 2010 at 5:51 pm

    इस किताब के बारे में कुछ कहना उसकी हैसियत को बढ़ाना होगा. इसके लेखक के बारे में भी कोई टिप्पणी नहीं करूंगा..एक सामान्य संदेश..इस संसार में तमाम ऐसे कुंठित लोग हैं जिनका ना कोई विचार होता है औऱ ना ही चरित्र. कुंठा जब चिल्लाने और शोर मचाने से खत्म नहीं होती..तो कुछ ऐसा करने का दिल करता है जिस पर कोई रिएक्ट करे. दरअसल इन पर रिएक्शन ना ही किया जाए तो बेहतर. ऐसे लोग अपनी कुंठा लिए जीते हैं और उसीके साथ चले जाते हैं. उन्हें लगता है कि वो बहुत ज्ञानी हैं लेकिन हकीकत में वैसा होता नहीं है. गाली कोई किसी को दे सकता है..अपशब्द किसी के बारे में कहे और लिखे जा सकते हैं. ये कोई साहस का सवाल नही है. कोई अगर चाहे तो किसी भी महापुरुष को या किसी और को कुछ कह-लिख सकता है.ये होता भी रहा है
    और होता रहेगा. जो लोग दूसरों को गाली देते हैं दरअसल वो अपनी कुंठा ज़ाहिर करते हैं…उसे अगर खाद न दी जाए तो अंत ज्यादा करीब हो जाता है. पुस्तक का ये मसला बेहद मामूली है और जिन्हें उन देवी-देवताओं पर आस्था है उन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. चिंता करने की जरूरत नहीं.

  15. sapan yagyawalkya

    May 23, 2010 at 6:47 am

    kisi ki bhi dharmik manyataon ko thes pahuchana thik nahin hai.

  16. Adhinath jha

    May 23, 2010 at 7:02 am

    satya ka samarthan aur galat ka virodh har hal me hona chahiye……….halaki maine ambedkar today patrika ki prati nahi dekhi hai lekin aapne us patrika me chhape lekh ko ujagar kiya hai yah sahi hai to apka virodh jayaj hai…mai samajhta hoon phir to is dushkritya ke liye ukt lekhak aur patrika prabandhan dono ke khilaf karrwai honi hi chahiye…

  17. Reetavik

    May 24, 2010 at 6:59 am

    Amitabh Jee Aapki himmat aur saahas kabile tareef hai. Hum aapke sath hain.Aapka yeh kadam atyant sarahneey hai. Reetavik.AkbarPur-Ambedkar nagar.U.P.

  18. db

    May 24, 2010 at 1:46 pm

    amitabhji, nastik hona alag bat hia, to yah alag ki ham doosron ki manytayon ka kitna samman karte hai, iss lihaj se ptrika me lika gali galauch galat hia. or apradhiyon ke kilaf karwai ki aapki mang sahas ka kam. hame aap par naj hai, amitabhaji. iss ke bawjood ki me khud kamunist hun.
    db

  19. Bhupendra Singh Gargvanshi

    May 24, 2010 at 8:10 am

    Dear Amitabh Jee, Mai iske pahale comment type nahi kar paya tha. Woh adhura rah gaya tha. Aap ke saahas ki prashansa Har koyi kar raha hai, mai bhi aapke is kadam ki prashansa karta hun aur sadhuwad deta hun. Aap jaise nirbhik I.P.S. bahut kam hi dekhne ko milate hain. Bhupendra Singh Gargvanshi, Akbarpur-Ambedkarnagar.U.P.

  20. mazhar husain

    June 5, 2010 at 2:50 pm

    Amitabh ji mai aapki himmat kabile tareef hai hum aapke saath hain.kisi bhi dharm ke bare me is tarah ki Tippadi karne walo ke khilaaf karywahi zaroor honi chahiye..isi gandi maansikta ke log hi samaj ko todne me lage hai inke naapaak irado ko kuchalna bahut zaroori hai..

  21. dhanish sharma

    November 17, 2010 at 7:18 am

    khud charcha main rahna k liya asa karta hain.

  22. Dr. Mohit Verma

    December 8, 2010 at 6:56 am

    Es Ashwani ka treatment DGP ke bas ki baat nahi hai Amitabh Bhai, Eska Complete Treatment to mere paas hai with a very good experience as es se pehle bhi kai Ashwanis’ ka kar chuka hu!!!!!!!!!!!!

    Dr. Mohit Verma
    Noida

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