भास्कर के मालिकों का झगड़ा फिर सड़क पर आया : भड़ास4मीडिया के साथ रिकार्डेड बातचीत में दैनिक भास्कर, झांसी के मालिक और संपादक महेश प्रसाद अग्रवाल ने किए कई खुलासे : डीबी कार्प के चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल पर लगाए कई गंभीर आरोप : सोनिया गांधी के नाम का दुरुपयोग कर सरकारी व मार्केट मशीनरी को प्रभावित किया जा रहा : पिता के फर्जी हस्ताक्षर के जरिए अखबार पर कब्जा जमाया : भास्कर का मालिक कोई एक नहीं बल्कि ‘द्वारिका प्रसाद अग्रवाल एंड ब्रदर्स’ फर्म है : भास्कर ब्रांड नेम मेरे बेटे संजय अग्रवाल के नाम रजिस्टर्ड : भास्कर के नाम पर किसी एक साझीदार द्वारा मार्केट से पैसा उगाहना गलत : विवाद सुलझने तक आईपीओ से आया पैसा कोर्ट या बैंक में सुरक्षित जमा कराएं : अखबार मालिकों में देश को लूटने और एक दूसरे के खिलाफ खबरें न छापने का समझौता :
दैनिक भास्कर, झांसी के संपादक और मालिक महेश प्रसाद अग्रवाल का कहना है कि खुद को भास्कर समूह का चेयरमैन बताने वाले रमेश चंद्र अग्रवाल की हरकत की अगर ईमानदारी से जांच हो जाए तो वे जेल चले जाएंगे। रिश्ते में रमेश चंद्र अग्रवाल के चाचा लगने वाले महेश प्रसाद अग्रवाल ने भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह से बातचीत में कहा कि द्वारिका प्रसाद अग्रवाल के फर्जी हस्ताक्षर करने का अपराध किया है रमेश चंद्र अग्रवाल ने। इसी फर्जी हस्ताक्षर के जरिए उन्होंने अखबार पर कब्जा कर लिया। महेश प्रसाद अग्रवाल का कहना है मैं इस फर्जीवाड़े का गवाह रहा हूं। वर्ष 1983 में सब कुछ मेरी आंखों के सामने किया गया। रमेश चंद्र अग्रवाल का तब साथ देने पर अफसोस जताते हुए महेश प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि मैं बार-बार कहूंगा और हर जगह कहूंगा कि दैनिक भास्कर के फर्जी चेयरमैन हैं रमेश चंद्र अग्रवाल। रमेश चंद्र अग्रवाल में हिम्मत हो तो मेरे मुंह पर आकर कहें कि उन्होंने अपने पिता के फर्जी साइन नहीं किए। मैं उनके मुंह पर कह चुका हूं, मैं सबूत दे रहा हूं, मैं बयान दे रहा हूं। अगर सही ढंग से इनक्वायरी हो गई तो मेरे भतीजे को जेल जाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि रमेश चंद्र अग्रवाल ने जो फर्जी कागजात तैयार कराए उस पर मैंने तो गारंटर के रूप में साइन कर दिए थे पर विशंभर ने साइन नहीं किए। जब सभी पार्टनरों ने साइन नहीं किए तो फिर कैसे पूरा अखबार आपका हो जाएगा? जब अखबार बढ़ने लगा तो इनकी नीयत में खोट आ गई। बाकी सबको फालतू समझने लगे। रमेश अग्रवाल टाइटिल डीड दिखा दें कि उन्हें ट्रांसफर किया गया है। उनके पास फर्जी डाक्यूमेंट हैं। अखबार रमेश चंद्र अग्रवाल का नहीं बल्कि द्वारिका प्रसाद अग्रवाल एंड ब्रदर्स का है।
महेश प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि मैंने आरएनआई से यही कहा कि रमेश चंद्र अग्रवाल को द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने जो पेपर टाइटिल ट्रांसफर करने के कागजात दिए हैं, वो मुझे उपलब्ध कराओ। पर आरएनआई वाले ऐसा नहीं कर पाते। वे कागज नहीं देते। कहते हैं कि गायब हो गया है। मैं कहता हूं कि फिर रमेश चंद्र अग्रवाल से वो कागज मंगाओ। सही बात तो यही है कि कागजी फर्जीवाड़े के जरिए रमेश चंद्र अग्रवाल भास्कर का चेयरमैन बन बैठा है।
आरएनआई पर सवाल खड़ा करते हुए महेश प्रसाद अग्रवाल कहते हैं कि एक अखबार के पांच मालिक कैसे हो सकते हैं? यह तो महाभारत के द्रोपदी वाला किस्सा हो गया। आरएनआई एक्ट में कायदा है कि एक अखबार एक मालिक। किसी अखबार का मालिक तो कोई एक ही होगा न। और भास्कर का मालिक है ‘द्वारिका प्रसाद अग्रवाल एंड ब्रदर्स’ फर्म। इसमें तीस फीसदी शेयर मेरे, तीस फीसदी विशंभर जी के, 25 फीसदी द्वारिका प्रसाद अग्रवाल के और 15 फीसदी द्वारिका प्रसाद अग्रवाल के पुत्र रमेश चंद्र अग्रवाल के नाम आवंटित हुआ। यह रही है शुरुआती स्थिति। इसी फर्म के अधीन कंपनियों ने अलग-अलग यूनिटों का संचालन शुरू किया। विशंभर जी की मौत के बाद उनके बच्चों ने अपना हिस्सा लिखित में रमेश चंद्र अग्रवाल को बेच दिया। बदले में उन्हें तीन यूनिटें लीज पर मिल गई। ये हैं जबलपुर, सतना और नागपुर। लंबी कहानी है लेकिन आखिरी बात यही है कि सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक भास्कर का मालिक द्वारिका प्रसाद अग्रवाल एंड ब्रदर्स को माना है इसलिए किसी और कंपनी को भास्कर के ब्रांड नेम व टाइटिल नेम का इस्तेमाल कर जनता से पैसा उठाने का अधिकार नहीं है। इस फर्म में रमेश चंद्र अग्रवाल की हिस्सेदारी मात्र 15 प्रतिशत है। उन्होंने रमेश चंद्र अग्रवाल की कंपनी डीबी कार्प द्वारा भास्कर का नाम इस्तेमाल कर पब्लिक इशू लाने पर सख्त आपत्ति जताते हुए कहा कि यह देश की जनता के साथ बहुत बड़ा छल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मेरे बेटे संजय अग्रवाल जो दैनिक भास्कर, झांसी के डायरेक्टर हैं, के नाम से भास्कर का ब्रांड नाम रजिस्टर्ड है।
उन्होंने कहा कि आरएनआई द्वारा भास्कर के पांच मालिक माने जाने को कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने भास्कर का मालिक अगर एक फर्म द्वारिका प्रसाद अग्रवाल एंड ब्रदर्स को माना है तो आरएनआई ने पांच लोगों को एक ही अखबार का मालिक कैसे बना दिया? चलो, मान भी लेते हैं कि पांच मालिक हैं तो फिर इसमें से कोई एक बंदा भास्कर ब्रांड नेम का इस्तेमाल कर अकेले जनता से पैसे कैसे ले सकता है? ये लोग जो आईपीओ ला रहे हैं उसके रिस्क फैक्टर में बहुत कुछ लिख रखा है। तो ये खुद भी मानते हैं कि विवाद है। मालिकाना हक को लेकर झगड़ा है। ऐसे में इन्हें कैसे छूट मिली आईपीओ लाने के लिए? महेश प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि बहुत बड़ा खेल किया गया है। सोनिया गांधी के नाम का दुरुपयोग कर बहुत सारे काम इन लोगों ने करा लिए हैं। यह बहुत बड़े खेल का हिस्सा है। अगर भास्कर के मालिकाना हक का विवाद जारी है तो आईपीओ के जरिए आए पैसे को भी विवादित मानकर कोर्ट के पास या पब्लिक सेक्टर के बैंक के पास जमा करा देना चाहिए। इस पैसे के इस्तेमाल की छूट तभी मिले जब यह तय हो जाए कि भास्कर के पांच मालिक हैं या अकेले रमेश चंद्र अग्रवाल मालिक हैं।
महेश प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि सोनिया गांधी के यहां आवाजाही का रमेश चंद्र अग्रवाल नाजायज फायदा उठा रहे हैं। पूरी सरकारी और मार्केट मशीनरी को सोनिया के नाम का इस्तेमाल कर अपने हिसाब से संचालित करा रहे हैं। सोनिया को इस बारे में कुछ नहीं पता है। सोनिया की बेटी प्रियंका गांधी के साथ रमेश की बहू दून स्कूल में पढ़ी है। यह भी वजह है इनकी नजदीकी का पर सोनिया को यह कहां पता कि उनका नाम लेकर गलत तरीके से हर जगह काम कराया जा रहा है और दबाव बनाया जा रहा है। महेश प्रसाद अग्रवाल ने आरोप लगाया कि सिस्टम में ज्यादातर जगहों पर जहां यह विवाद पहुंचा, रमेश चंद्र अग्रवाल ने प्रभाव का इस्तेमाल कर फैसले अपने अनुकूल करा लिए पर हम लोग भी पीछे नहीं हटेंगे। आखिर तक लड़ेंगे।
इस देश के अखबार मालिकों के रवैए पर चिंता जताते हुए महेश प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि देश के 99 फीसदी अखबार मालिक एक दूसरे के खिलाफ किसी भी तरह की नकारात्मक खबर न छापने का समझौता कर चुके हैं। ये अखबार मालिक जमीन लूटने, पैसा लूटने, बैंक लूटने में लगे हुए हैं। इनकी करनी का कहीं भांडा फूटता है तो ये ही एक दूसरे की बुराई छापने से इनकार कर देते हैं क्योंकि चोर-चोर मौसेरे भाई हो जाते हैं। महेश प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने भास्कर के विवाद को प्रकाशित करने के लिए कई अखबारों के मालिकों से संपर्क किया लेकिन सबने यही कहा कि वे एक दूसरे के खिलाफ खबर न प्रकाशित करने का समझौता कर चुके हैं।
इस मसले पर अगर आप अपने नाम और पहचान के साथ कुछ कहना चाहते हैं, भड़ास4मीडिया पर अपनी बात प्रकाशित कराना चाहते हैं, तो [email protected] पर मेल करें.
vishwas saikhedkar
May 23, 2010 at 7:31 pm
ji yadi ye saari bate sahi hai to is baat ko paper ya magzine mai chapakar logo tak pahuchana chahiye. kyoki yadi aisa hai to baaki ke 3 logo ke saatha ramesh ji ne dhikha kiya hai aur we aaropi bhi hai, isliye jaab tak ye baat aam logo ko pata nahi hogi shtir chehare par se nakab nahi hatega.