‘सिसकते’ दूरदर्शन को बचाने आगे बढ़ी सरकार

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प्रसार भारती बोर्ड के झगड़े में ‘सिसकते’ दूरदर्शन को बेचारगी से बचाने की दिशा में सरकार एक कदम और आगे बढ़ गई है। समझा जाता है कि कानून मंत्रालय ने विवादों का पिटारा बन चुके प्रसार भारती बोर्ड को भंग कर कमान अपने हाथ में लेने के सूचन प्रसारण मंत्रालय के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है। सूत्रों के अनुसार कानून मंत्रालय का मानना है कि स्वायत्तशासी संस्था या बोर्ड यदि कामकाज के मामले में निष्क्रिय साबित हो रहे हैं तो सरकार कानूनी तौर पर इनकी कमान अपने हाथ में ले सकती है। नई वैकल्पिक व्यवस्था होने तक इनका संचालन भी सरकार कर सकती है। इस आधार पर कानून मंत्रालय प्रसार भारती बोर्ड भंग करने के सूचना प्रसारण मंत्रालय के बिंदुओं से सहमत है।

कानून मंत्रालय की इस राय को देखते हुए ही प्रसार भारती के मौजूदा बोर्ड को जल्द ही दरवाजा दिखाए जाने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने इस बारे में विस्तृत ब्यौरा देने से इंकार करते हुए कहा कि यह हमारे और प्रसारण मंत्रालय के बीच का मामला है और हमें जो कहना है उन्हें बता दिया है। प्रसार भारती बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी से लेकर सदस्यों की आपसी धींगामुश्ती में दूरदर्शन की गुम होती तस्वीर सूचना प्रसारण मंत्रालय की सबसे बड़ी चिंता है। इसीलिए पिछले हफ्ते ही सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बोर्ड की निष्क्रियता और उठाए जाने वाले कदमों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंप दी थी। मंत्रालय का मानना है कि आपसी स्वार्थ और अहम की लड़ाई में फंसे बोर्ड ने दूरदर्शन के राष्ट्रीय प्रसारक के बुनियादी चरित्र को बुरी तरह ‘खरोंच’ दिया है। दूरदर्शन और डीडी न्यूज के कार्यक्रमों के स्तर में आई भारी गिरावट को लेकर मंत्रालय की चिंता दोहरी है। उसका मानना है कि डीटीएच आने के बाद सेटेलाइट निजी चैनल अब कस्बों तक में तेजी से फैल रहे हैं। इसमें एक मात्र राष्ट्रीय प्रसारक के दूरदर्शन का स्वरूप बनाए रखते हुए उसे ‘आकर्षक व देखने लायक’ बनाने की चुनौती ज्यादा बढ़ गई है।

समाज व बाजार को तय करने में निजी चैनलों का बढ़ता प्रभाव सरकार की चिंता की बड़ी वजह है। सूचना प्रसारण मंत्री भी इस तर्क से सहमत बताई जाती हैं कि बाजार की ताकत के बीच सामाजिक प्रतिबद्धताओं से जोड़े रखने के लिए दूरदर्शन को नया तेवर व कलेवर देना ही होगा। यह बदलाव निजी चैनलों से मुकाबले के लिए नहीं, बल्कि दूरदर्शन के राष्ट्रीय प्रसारक के स्वरूप की बहाली के लिए जरूरी है। सूचना प्रसारण मंत्रालय के इस एजेंडे पर कानून मंत्रालय की हरी झंडी मिलने के बाद अध्यादेश लाकर प्रसार भारती बोर्ड को भंग करने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। दैनिक जागरण में प्रकाशित संजय मिश्र की रिपोर्ट

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Comments on “‘सिसकते’ दूरदर्शन को बचाने आगे बढ़ी सरकार

  • Shailender Sehgal says:

    Boodha Door darshan to ab sarkar ke liye safaid hathi ban kar reh gaya hai dashkon se bigre is budhe ko sudharna kissik bas ki baat nahin. Isko Band karke naya sarkari magar professional channel shuru kiya jana chahiye tab shayad koyee baat ban sake

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  • Shailender Sehgal says:

    [b][/b]Boodha door darshan to ab bharishtachar ki our maar bhi jhelne layak nahin raha to kyon ise sarkar band nahin kar dety? ise band karke naya vayavsayak channel kyon shuru nahin karty?

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  • Aapne Sach likha hai budhe doordarshan k sfaid hathi banane baare. Yeh toh vakayee bharishtachar kee our maar nahin jhel sakta. Isse retire karne ka waqt aa gya hai

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