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स्टाफ न तोड़ने का समझौता!

भास्कर से निपटने को रांची में गले मिले हिंदुस्तान व प्रभात खबर : रांची से खबर है कि भास्कर के ‘आपरेशन झारखंड’ को देखते हुए आपस में दुश्मन रहे दो अखबारों ने अब हाथ मिला लिया है. ये हैं प्रभात खबर और दैनिक हिंदुस्तान. सूत्रों की मानें तो इन दोनों अखबारों में तय हो गया है कि वे एक दूसरे के संस्थान से स्टाफ नहीं तोड़ेंगे. रांची में प्रभात खबर नंबर वन अखबार है जबकि हिंदुस्तान नंबर दो है. तीसरे नंबर पर जागरण है.

<p align="justify"><font color="#003366">भास्कर से निपटने को रांची में गले मिले हिंदुस्तान व प्रभात खबर : </font>रांची से खबर है कि भास्कर के 'आपरेशन झारखंड' को देखते हुए आपस में दुश्मन रहे दो अखबारों ने अब हाथ मिला लिया है. ये हैं प्रभात खबर और दैनिक हिंदुस्तान. सूत्रों की मानें तो इन दोनों अखबारों में तय हो गया है कि वे एक दूसरे के संस्थान से स्टाफ नहीं तोड़ेंगे. रांची में प्रभात खबर नंबर वन अखबार है जबकि हिंदुस्तान नंबर दो है. तीसरे नंबर पर जागरण है.</p>

भास्कर से निपटने को रांची में गले मिले हिंदुस्तान व प्रभात खबर : रांची से खबर है कि भास्कर के ‘आपरेशन झारखंड’ को देखते हुए आपस में दुश्मन रहे दो अखबारों ने अब हाथ मिला लिया है. ये हैं प्रभात खबर और दैनिक हिंदुस्तान. सूत्रों की मानें तो इन दोनों अखबारों में तय हो गया है कि वे एक दूसरे के संस्थान से स्टाफ नहीं तोड़ेंगे. रांची में प्रभात खबर नंबर वन अखबार है जबकि हिंदुस्तान नंबर दो है. तीसरे नंबर पर जागरण है.

सूत्रों का कहना है कि नंबर एक और नंबर दो प्लेयर नहीं चाहते कि मार्केट में नया खिलाड़ी आने से उन्हें किसी तरह का कोई नुकसान हो, इसलिए फौरी तौर पर दोनों ने ऐसे बंदुओं पर समझौता कर लिया है जिनसे दोनों का हित सधता हो. इन बिंदुओं में सबसे प्रमुख है एक दूसरे के यहां से स्टाफ न तोड़ना. यह समझौता इसलिए भी हुआ है क्योंकि दोनों अखबारों को आशंका है कि भास्कर सबसे ज्यादा स्टाफ इन्हीं दोनों अखबारों के यहां से तोड़ेगा, इसलिए उन्हें आपस में एक दूसरे का स्टाफ तोड़कर सिरदर्द और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत नहीं है.

इसके अलावा प्रसार के मोर्चे पर भी एक दूसरे को डैमेज न करने की बातचीत हुई है. साथ ही, भास्कर को रांची मार्केट में आसानी से न जमने देने के लिए साझी रणनीतियों पर मिलकर काम करने पर विचार-विमर्श हुआ है. इस डेवलपमेंट की आधाकारिक तौर पर तो पुष्टि नहीं हो पा रही है पर दबी जुबान से रांची के वरिष्ठ लोग कहने लगे हैं कि प्रभात खबर और हिंदुस्तान, दोनों के मैनेजमेंट के लिए भास्कर की चुनौती अब तक की सबसे तगड़ी चुनौती साबित होने जा रही है और देखना है कि भास्कर सबसे ज्यादा डैमेज किस अखबार को करता है. 

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0 Comments

  1. ranjeet

    April 10, 2010 at 6:36 am

    it seems that both hindustan & prabhat khabar are nervous. actually both were earlier happy with the situation as despite total inefficiency they were getting good revneue and copies from the market. they are now unable to cope with the situation and such a long efficieny always creates fear. specially in case of hindustan we were never able to project their no one status despite the fact that they are no one for last 2-3 years . prabhat khabar is enjoing the despite being no two. such level of inefficieny on the part of hindustan hardly gives any bope. it also seems alomost impossible that bhaskar will take anyone from this inefficient lot.

  2. arvind kumar

    April 10, 2010 at 6:32 am

    jis akhbar ke parbandhan ko vaphadar va chaplus ki pehchan nahi ho wah kuchh bhi kar le paresani hogi. dusre se darne ke bajay apne andar ki khamiyon ko parakhkar use door karne ki jarurat hai. arvind kumar

  3. vipul

    April 9, 2010 at 4:50 pm

    agar hindustan or prbhat khabar ne aaps me samjhauta ho gya hai to bhaskar ko isse kya hona hai. jha jyada paisa milega log vhi jayege.

  4. laleeta panwar

    April 11, 2010 at 5:31 pm

    Hindustan Meerut Ke Muzaffarnagar ke Desk Incharge Shiv Mangal ne Amar Ujala News paper Join kar liya hai. Woh hindustan news paper mein apni upeksha se pareshaan thein.

  5. laleeta panwar

    April 11, 2010 at 5:33 pm

    Hindustan Meerut ke Muzaffarnagar ke desk incharge hindustan mein apni upeksha ke chalte resgine de diya hai aur amar ujala join kar liya hai.

  6. dhanraj

    May 19, 2010 at 1:32 pm

    Baat 100% Sahi Hai, agar hindustan or prbhat khabar ne aaps me samjhauta ho gya hai to bhaskar ko isse kya hona hai. jha jyada paisa milega log vhi jayege. Itni Mahngai mein kam paison se kaam nahi chalega.

  7. Pravesh Dixit

    May 20, 2010 at 10:44 am

    DAINIK JAGRAN AGRA- NAI PURANI KHAWRON KA KHEL
    Apko yeh janker hareni hogi ki Dainik Jagran Etah meain purani khawron ko naya banakar chapane ka khel kafi samay se chal raha hai.Kitane kamal ki bat hai ki purani khawren naye roop esa pesh kar di jati hai magar editorial department chup hai. kayonki usaki mehnat bach rahi hai.

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