करीब एक हफ्ते पहले डीबी कार्प लिमिटेड की तरफ से भोपाल के लिए दैविक भास्कर टाइटल बुक कराया गया है. इसके पहले आप इसी पोर्टल पर पढ़ चुके हैं कि डीबी कार्प वालों ने यूपी व उत्तराखंड में दैनिक भास्कर की जगह दैविक भास्कर के नाम से अखबार प्रकाशित करने का इरादा बना लिया है और इसी कारण यूपी-उत्तराखंड के लिए दैविक भास्कर टाइटल बुक कराया है. सूत्रों के मुताबिक टाइटिल को लेकर खानदान में चल रहे झगड़े से हमेशा के लिए निजात पाने के उद्देश्य से रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके बेटे दैनिक भास्कर से दैविक भास्कर पर शिफ्ट करने की तैयारी कर रहे हैं. इसी कारण धीरे-धीरे वे हर उस जगह के लिए दैविक भास्कर टाइटिल बुक करा रहे हैं, जहां से उनका अखबार अभी निकल रहा है या निकलने वाला है.
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दैविक भास्कर नाम से यूपी में आएगा दैनिक भास्कर!
इसे गासिप मानिए लेकिन गासिप में दम है. खबर है कि अंदरुनी झगड़े की सीमा को लांघने के लिए रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके बेटों की कंपनी डीबी कार्प ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दैविक भास्कर ब्रांड नेम से उतरने का फैसला किया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डीबी कार्प ने उत्तर प्रदेश उत्तराँचल में विस्तार के लिए अपनी योजनाएं बनानी शुरू कर दी है. कानूनी और पारिवारिक फसादों से निपटने के लिए उसने पुराने आजमाए तरीके को ही दोहराने का फैसला किया है. डीबी कोर्प ने हाल ही में दैनिक भास्कर से मिलते जुलते कई टाइटिल आरएनआई से मांगे थे.
डीबी कार्प से कोई समझौता नहीं : संजय अग्रवाल
: पारिवारिक समझौते की अफवाह निराधार : हक के लिए कानूनी लड़ाई जारी : रांची संस्करण का मामला अभी भी कोर्ट में : फैसला आने के बाद करेंगे डीबी कॉर्प की मिलीभगत और फर्जीवाड़े के राज का पर्दाफाश : यशवंत जी, आपके मीडिया पोर्टल पर 19 अगस्त को प्रसारित भास्कर, रांची से संबंधित खबर में मालिकों के आपसी झगड़े का अंदरखाने निपटारा होने की बात कही गई है। इस संबंध में दैनिक भास्कर के को-ऑनर संजय अग्रवाल का कहना है कि यह अफवाह एकदम निराधार है। दैनिक भास्कर की यह लड़ाई अपने कानूनी हक के लिए लड़ी जा रही है।
कोर्ट ने भास्कर विवाद रांची के डीएम को सौंपा
दैनिक भास्कर के झारखंड में प्रकाशन को लेकर भास्कर के एक अन्य मालिक ने जो मुकदमा दिल्ली हाईकोर्ट में किया था, उसके बारे में ताजी जानकारी ये है कि कोर्ट ने निर्णय लेने का अधिकार रांची के जिलाधिकारी को दे दिया है.
तो इसलिए गाज गिरी राजेंद्र तिवारी पर!
कभी गंभीर-गरिष्ठ साहित्यकारों के हवाले थी पत्रकारिता तो अब सड़क छाप सनसनियों ने थाम ली है बागडोर : झारखंड के स्टेट हेड और वरिष्ठ स्थानीय संपादक पद से राजेंद्र तिवारी को अचानक हटाकर चंडीगढ़ भेजे जाने के कई दिनों बाद अब अंदर की कहानी सामने आने लगी है. हिंदी प्रिंट मीडिया के लोग राजेंद्र पर गाज गिराए जाने के घटनाक्रम से चकित हुए. अचानक हुए इस फैसले के बाद कई कयास लगाए गए. पर कोई साफतौर पर नहीं बता पा रहा था कि आखिर मामला क्या है. लेकिन कुछ समय बीतने के बाद अब बातें छन-छन कर बाहर आ रही हैं.