यूपी के आईपीएस अफसर कितने ईमानदार हैं, इसका पोल खोला है आई-नेक्स्ट ने. इस बाइलिंगुअल टैबलाइड ने यूपी के विभिन्न जिलों और मण्डलों में पदास्थापित आईपीएस अधिकारियों द्वारा दाखिल किए गए दस्तावेजों के आधार पर खुलासा किया है कि इन लोगों ने करोड़ों की जमीन कौडि़यों में पाई है. ज्यादातर आईपीएस अफसरों के पास करोड़ों की जमीन हैं लेकिन इन्होंने गलत सूचना देते हुए अपने प्रॉपर्टी की कीमत मान्य सर्किल रेट से बहुत कम बताई है.
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रामजी गुप्ता ने राजस्थान पत्रिका एवं गौरव मिश्रा ने न्यूज24 ज्वाइन किया
आई-नेक्स्ट, इलाहाबाद से रामजी गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया है. वे यहां पर चीफ सब एडिटर थे. इन्होंने अपनी नई पारी राजस्थान पत्रिका, जयपुर के साथ शुरू की है. रामजी पिछले एक दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. इन्होंने करियर की शुरुआत 2001 में दैनिक भास्कर, झांसी के साथ की थी. इसके बाद कानपुर में अमर उजाला ज्वाइन कर लिया. बाद में इनका तबादला नोएडा सेंट्रल डेस्क पर कर दिया गया. 2007 में इन्होंने कानपुर में हिंदुस्तान ज्वाइन कर लिया. दो वर्ष सेवा देने के बाद 2009 में आई-नेक्स्ट, इलाहाबाद से जुड़ गए थे.
बीबीसी में छपी गुरु की खबर चोरी करके चेले ने आई-नेक्स्ट में छाप दी!
नए दौर में पत्रकारिता का चेहरा ही नहीं बदला है बल्कि चरित्र भी बदल गया है. खबरों को खोजने की क्षमता की कमी कहें या रोज-रोज खबर देने का दबाव, या फिर किसी तरह पेज भर देने की मजबूरी, अब खबरें भी चोरी की जाने लगी हैं. एक अखबार दूसरे अखबार की खबरों की चोरी करके उसमें थोड़ी फेरबदल के बाद अपने पाठकों के सामने परोस दे रहे हैं. जो पकड़े गए वो चोर जो बच गए वो ईमानदार.
सचिन ने आई-नेक्स्ट, जीवन ने जनवाणी ज्वाइन किया
अमर उजाला, मेरठ में रिपोर्टिंग टीम का हिस्सा रहे सीनियर सब एडिटर सचिन त्यागी ने आई-नेक्स्ट, मेरठ में बतौर सिटी चीफ प्रमुख संवाददाता ज्वाइन किया है। सचिन का पत्रकारिता का करियर चार-पांच साल के करीब का है। इस दौरान उन्होंने कई संस्थान बदले। शुरुआत राष्ट्रीय सहारा मेरठ से की, उसके बाद दैनिक जागरण मेरठ, अमर उजाला मेरठ, दैनिक जागरण मेरठ, आई नेक्स्ट मेरठ, हिन्दुस्तान मेरठ, राष्ट्रीय सहारा गाजियाबाद, दैनिक जागरण मेरठ, अमर उजाला मेरठ में रहे। अब आई नेक्स्ट का फिर से हिस्सा बने हैं।
आई-नेक्स्ट के सभी एडिशनों में इंक्रीमेंट, पत्रकारों की बल्ले-बल्ले
आई-नेक्स्ट ने अपने सभी एडिशनों में इंक्रीमेंट किया है. जूनियर लेबल पर कुछ लोगों का प्रमोशन भी किया गया है. इस बार अधिकतम 50 प्रतिशत तक इंक्रीमेंट दिया गया है. कम सेलरी पाने वाले लोगों को एक सम्मानजनक लेबल पर लाया गया है. माना जा रहा है कि कम सेलरी के चलते पत्रकारों के लगातार आई-नेक्स्ट छोड़कर जाने के चलते प्रबंधन ने इस बार ठीक ठाक इंक्रीमेंट किया है.
श्रम विभाग ने कैसे स्वीकारी आई-नेक्स्ट के संपादक आलोक सांवल की आपत्ति!
वाराणसी से खबर है कि आई-नेक्स्ट को नोटिस जारी करने के बाद संपादक आलोक सांवल की ओर से आयी प्रारंभिक आपत्ति श्रम विभाग ने स्वीकार कर ली है. श्रमिक नेताओं ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी है. समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी दादा और काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष योगेश गुप्त पप्पू ने यह प्रतिक्रिया दी है.
चौकी इंचार्ज ने पत्रकार से किया दुर्व्यहार, डीआईजी ने थमाया जांच का लॉलीपाप
अपराधियों और बदमाशों की जीहुजूरी करने वाली यूपी पुलिस आम लोगों और पत्रकारों को निशाना बना रही है. चार दिन पहले लखनऊ के निराला नगर चौकी इंचार्ज प्रेमप्रकाश वार्ष्णेय ने आई-नेक्स्ट के पत्रकार कौशलेंद्र के साथ दुर्व्यवहार किया तथा मारापीटा. पत्रकार ने इसकी शिकायत डीआईजी डीके ठाकुर से की है. डीआईजी ने इस मामले की जांच एएसपी ट्रांसगोमती को सौंपी है.
अनुराधा और संदीप की नई पारी
दैनिक भास्कर डॉट कॉम भोपाल से इस्तीफा देने वाली सब एडिटर अनुराधा गुप्ता ने अपनी नई पारी शुरू कर दी है. उन्होंने कानपुर में आई-नेक्स्ट ग्रुप ज्वाइन किया है. उन्हें आई-नेक्स्ट की जल्द लांच होने वाली वेबसाइट का कंटेंट कोआर्डिनेटर बनाया गया है.
आई-नेक्स्ट, बरेली ने छापा मरे युवक का बयान
आई-नेक्स्ट में सुर्खियां लगातार जारी हैं. इस बार कमाल किया है आई-नेक्स्ट, बरेली ने. आई-नेक्स्ट ने अपने दो मार्च के अंक में एक मर चुके युवक का बयान छाप डाला है. अखबार के वॉयस आफ बरेली कॉलम में जिस गौरव का बयान छापा गया है, उनका चार साल पहले ही निधन हो चुका है. इसके बावजूद उनके हवाले से सीएम के दौरों के बारे में उनका अभिमत लिया गया है.
आई-नेक्स्ट ने गलती की है या मानसिक उत्पीड़न!
अभिषेक त्रिपाठी व अचलेन्द्र कटियार को आई-नेक्स्ट को बॉय बोले काफी दिन व्यतीत हो चुके हैं, लेकिन आई-नेक्स्ट प्रबंधन यह मानने के लिये तैयार नहीं है। अचलेन्द्र कटियार ने आज समाज व अभिषेक त्रिपाठी ने जनसंदेश, कानपुर ज्वाइन कर लिया है। अभिषेक व अचलेन्द्र को मनाने की काफी कोशिश आई-नेक्स्ट प्रबन्धन द्वारा की गयी, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। अब आई-नेक्स्ट द्वारा दूसरे तरीके के हथकंडे अपनाए जाने लगे हैं।
अपनी कुर्सी बचाने के लिए एनई ने रगड़ी नाक
आई नेक्स्ट की इज्जत उड़ती देख मैनेजर कम एडिटर साहब ने कानपुर के एनई साहब की ऐसी क्लास ली कि उनके होश उड़ गए. एनई साहब इसके बाद मोबाइल से अखबार छोड़कर जाने वालों से वापस आने के लिए मिन्नतें करते नजर आने लगे. कुर्सी बचाने के लिए अखबार छोड़ने वालों के सामने अपनी नाक रगड़ने लगे. शशि पांडे और गौरव ने उनकी इज्जत को फालूदा होने से बचाने के लिए फिलहाल जाने का फैसला बदल दिया है, लेकिन उनका यह फैसला अनमना ही है, क्योंकि उन्हें ना तो संतोषजनक कोई उत्तर मिला है और ना ही कोई प्रमोशन.
आई नेक्स्ट से अभिषेक, अचलेंद्र, शशि एवं मनीष का इस्तीफा
: कई और दूसरे संस्थानों के संपर्क में : आई नेक्स्ट, कानपुर को करारा झटका लगा है. यहां डेस्क, रिपोर्टिंग और फोटो सेक्शन से चार लोगों के इस्तीफे की खबर है. चारों लोग नोटिस पीरियड पर चल रहे हैं. सभी बेहतर सेलरी स्ट्रक्चर के साथ दूसरे संस्थानों से अपनी नई पारी शुरू करने जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि कानपुर की मीडिया में अगले कुछ दिनों में और हलचल देखने को मिल सकती है.
समाचार पत्र पढ़ो और परीक्षा में अंक पाओ
देहरादून : किन्हीं दो हिंदी दैनिक समाचार पत्रों के नाम बताइए, दिल्ली से प्रकाशित होने वाले किसी अंग्रेजी दैनिक का नाम बताइए, ब्रेकिंग न्यूज का क्या आशय है, विज्ञापन की भाषा की मुख्य विशेषता बताइए, किन्हीं दो जन-संचार माध्यमों का नामोल्लेख कीजिए, समाचार पत्र-लोकतंत्र का प्रहरी अथवा समाचार-पत्रों का विद्रूप विषय पर लगभग 150 शब्दों का आलेख तैयार कीजिए.. यह कोई पत्रकारिता की विशेष पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स से पूछे जाने वाले सवाल नहीं हैं, बल्कि यह सवाल स्टेट बोर्ड में 12वीं के स्टूडेंट्स से पूछे जाएंगे.
लखनऊ में राकेश, यासिर, शिव विजय, संजय एवं इरफान की नई पारी
लखनऊ में कई पत्रकारों ने अपनी नई पारी की शुरुआत की है. आई नेक्स्ट के क्राइम रिपोर्टर राकेश वर्मा ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपनी नई पारी अमर उजाला, लखनऊ के साथ शुरू की है. निष्पक्ष प्रतिदिन से इस्तीफा देकर यासिर जाफरी ने अपनी नई पारी आई नेक्स्ट के साथ शुरू की है. उन्होंने राकेश का स्थान लिया है.
उत्तराखंड : निराशा के निर्माण का दशक
नीड़ नहीं, निराशा के निर्माण का दशक, यह कहना है 15 अगस्त, 1947 को मुल्क की आजादी के संग अपना सफर शुरू करने वाले युगवाणी पत्र का। साप्ताहिक से मासिक पत्र के रूप में अपने दस साल पूरे करने जा रही इस पत्रिका ने एक राज्य के रूप में उत्तराखंड की दस वर्ष की यात्रा का विश्लेषण इस तरह किया है। कुछ ऐसा ही तहलका ने भी निराशा के भाव प्रकट किए हैं।
इंटरनली चैलेंज न मिले तो बाहर तलाशना चाहिए


आलोक सांवल
सीईओ व संपादक : आई-नेक्स्ट