‘युवाओं के लिए मिसाल हैं शशि शेखर’

[caption id="attachment_15689" align="alignleft"]आशीष बागचीआशीष बागची[/caption]पदमपति शर्मा का मृणालजी, शशिशेखर और एचटी प्रबंधन विषयक विचार पढ़ा। यहां आपको बता दूं कि मैं जितना पदमपति शर्मा से जुड़ा हूं, उतना ही शशिशेखर के साथ भी जुड़ा हूं और मृणालजी का एक शिकार रहा हूं। इसके साथ ही मैं शशिशेखर के शुरुआती पत्रकारिता जीवन और उनकी विकास यात्रा का निकट साक्षी रहा हूं। उनसे मेरा संपर्क तीन दशक से भी अधिक पुराना है। कहने में संकोच नहीं कि उनके बारे में जितना मैं जानता हूं, उतना शायद ही कोई जानता होगा। मैं मृणालजी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता और न उनसे शशि की कोई तुलना करना चाहता। दोनों की अलग-अलग शख्सियत है। शशि  उन लोगों, खासकर युवाओं के लिए एक मिसाल हैं जो जीवन की कठिन डगर में बिना आपा खोए निरंतर आगे बढ़ने में विश्वास रखते हैं और हर नये अनुभव से सीख लेते हैं। शशि ने पत्रकारिता की शुरुआत बनारस के ‘आज’  से की। पहले सिटी रिपोर्टिंग की फिर बाबू विश्वनाथ सिंह, बाबू दूधनाथ सिंह व शिवप्रसाद श्रीवास्तव के सानिध्य में अनुवाद को निखारा।

मृणालजी, शशिशेखर और एचटी प्रबंधन

पदमपति शर्माटिप्पणी (1) : मृणालजी की हिंदुस्तान से दुर्भाग्यपूर्ण विदाई का समाचार भड़ास4मीडिया से पता चला। उनके जाने पर मिश्रित प्रतिक्रिया भी आपके ही माध्यम से जानी। मृणालजी का मैं भी एक शिकार रहा हूं और मेरा इस्तीफानामा भी भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हो चुका है। एक निजी पत्र को भड़ास4मीडिया ने सार्वजनिक कर दिया था, फलतः जिसने भी वो पढ़ा होगा, वो यही सोच रहा होगा कि मैं उनके खिलाफ बयान दूंगा। जबकि सच्चाई इसके सर्वथा उलट है। सच तो ये है कि मृणालजी का जाना हिंदुस्तान के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है ही, उससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है उनके घोषित उत्तारधिकारी का नाम। समझ में नहीं आता है कि आखिर एचटी मैनेजमेंट के संपादक चयन का पैमाना क्या है?

मैंने इसलिए इस्तीफा दिया : पदमपति

[caption id="attachment_15494" align="alignleft"]पदमपति शर्मापदमपति शर्मा[/caption]प्रिय भाई यशवंत जी, मुझे नहीं मालूम कि आपको मेरे इस्तीफे की खबर कहां से मिली पर खबर सच है। मैंने ‘महुआ न्यूज’ चैनल से इस्तीफा दे दिया है। भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित खबर और भड़ास4मीडिया की मोबाइल एलर्ट सर्विस द्वारा एसएमएस जारी किए जाने के बाद से दिन-रात आने वाले फोनों के जवाब देते-देते मेरी हालत खराब हो गई। ये देख कर खुशी भी हुई कि मेरे भी कुछ शुभचिंतक हैं। सभी एक सवाल कर रहे थे कि अचानक इस्तीफा क्यों दे दिया? मेरा सभी को एक ही जवाब था कि जिस माध्यम से आपको ये खबर मिली है, उसी से आपके प्रश्न का उत्तर भी मिल जाएगा। मेरा आपसे आग्रह है कि मेरी इस बात को बिना कतर-ब्योंत के अविकल रूप से प्रकाशित कर दें।  मैंने अपने महुआ के कार्यकाल भर भरपूर आनंद लिया, लुफ्त उठाया। जो अपनापन मुझे वहां मिला, वह अन्यत्र कहीं नहीं मिला। अपने साथियों से मुझे भरपूर साथ मिला।

पदमपति और मनोज भावुक का इस्तीफा

[caption id="attachment_15464" align="alignleft"]पदमपति शर्मा और मनोज भावुकपदमपति शर्मा और मनोज भावुक[/caption]भोजपुरी के दो चैनलों ‘महुआ न्यूज’ और ‘हमार टीवी’ में कार्यरत एक-एक पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया है। महुआ न्यूज के स्पोर्ट्स हेड और वरिष्ठ पत्रकार पदमपति शर्मा के बारे में खबर है कि उन्होंने इस चैनल से नाता तोड़ लिया है। 30 वर्षों से हिंदी खेल पत्रकारिता में नेतृत्वकारी भूमिका में सक्रिय पदमपति आज, दैनिक जागरण, अमर उजाला और हिंदुस्तान जैसे अखबारों में खेल के सर्वोच्च पदों पर रहे हैं। महुआ न्यूज ज्वाइन करने से पहले वे दिल्ली से प्रकाशित डैश मैग्जीन में एसोसिएट एडिटर के रूप में कार्यरत थे। महुआ न्यूज से उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया, यह पता नहीं चल पाया है। वे कहां जा रहे हैं, इसकी भी सूचना नहीं मिल पाई है।

पदमपति की किताब और प्रभाषजी का आमुख

किताबजिन गिने-चुने पत्रकारों ने हिंदी पत्रकारिता में खेल समाचारों की दूरगामी महत्ता को समय से पहले पहचाना और अखबारों के लिए अपरिहार्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्हीं में एक हैं सुविख्यात पत्रकार पदमपति शर्मा। तीन दशकों तक आज, दैनिक जागरण, अमर उजाला और लोकमत समाचार पत्रों में खेल पत्रकारिता की अलख जगाते रहे पदमति की हाल ही में एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक आई है- ‘खेल पत्रकारिता’। यह पुस्तक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की शोध परियोजना के अंतर्गत प्रकाशित की गई है। यह 174 पृष्ठों की पुस्तक खेल प्रेमियों और खेल पत्रकारों के साथ ही, इस विषय के विद्यार्थियों के लिए भी भरपूर ज्ञानवर्द्धक है।

पदमपति शर्मा महुआ न्यूज में स्पोर्ट्स हेड बने

मशहूर खेल पत्रकार पदमपति शर्मा ने नए लांच होने वाले 24 घंटे के भोजपुरी न्यूज चैनल महुआ न्यूज में स्पोर्ट्स हेड के रूप में ज्वाइन किया है। 30 वर्षों से हिंदी खेल पत्रकारिता में नेतृत्वकारी भूमिका में सक्रिय पदम अभी तक अंग्रेजी मैग्जीन डैश में सीनियर एसोसिएट एडीटर के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने करियर की शुरुआत आज, वाराणसी से की थी। उन्होंने कई वर्षों तक दैनिक जागरण, अमर उजाला और हिंदुस्तान में खेल संपादक के रूप में काम किया। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की शोध परियोजना के तहत उन्हें स्वतंत्रता बाद के हिंदी खेल इतिहास पर फेलोशिप दी गई। क्रिकेट विशेषज्ञ के रूप में पदम सीएनईबी के स्पोर्ट्स शो को सेवाएं दे रहे थे।

अतुल वीओआई (एमपी-सीजी) के हेड, अमरेश और अमित जनसंदेश में

इस्तीफानामा- 3 : मृणाल जी, जा रहा हूं !

पदमपति शर्मामशहूर खेल पत्रकार पदमपति शर्मा के इस्तीफेनामे के पहले व दूसरे भाग के बाद पेश है तीसरा और अंतिम भाग…

”अजय जी से पहली मुलाकात में ही मैंने स्पष्ट कर दिया था कि स्थानीय संपादक पद में मेरी कभी  भी रुचि नहीं रही है। मेरी तो यही कामना है कि जब मरूं तो लोग कहें कि देखो, वह खेल वाले पदमजी का शव जा रहा है। हां, चूंकि खेल डेस्क को मास्टर पेज सभी संस्करणों के लिए बनाने हैं, अतः स्वायत्तशासी डेस्क हो। खेल प्रभारी सीधे संपादक से जुड़ा रहेगा।

इस्तीफानामा- 2 : दिल्ली-बनारस वाया लखनऊ

पदमपति शर्मामशहूर खेल पत्रकार पदमपति शर्मा के इस्तीफेनामे  के पहले  भाग से ठीक आगे पढ़ें,  दूसरा  भाग— 

यहां मैं यह भी स्पष्ट कर दूं कि यह सही है कि मैं और अजय जी एक ही नगर में पैदा हुए और वहीं करियर भी शुरू किया। परंतु मेरी उनसे पहली मुलाकात हिंदुस्तान टाइम्स के दफ्तर में ही हुई थी। अजय जी ने अपना करियर 1983 में आज अखबार से शुरू किया जबकि मैं 1981 में ही आज छोड़कर जागरण में जा चुका था। मुझे तो हिंदुस्तान वाराणसी के सीनियर प्रबंधक श्री यादवेश कुमार ने फोन पर अग्रवाल साहब का संदेश दिया कि मैं जाकर अजय उपाध्याय से मिलूं।

इस्तीफानामा- 1 : देबू और वेंगी प्रकरण

भड़ास4मीडिया पर  पदमजी का संपूर्ण इस्तीफानामा जल्द  की सूचना आनलाइन करने के 24 घंटे के भीतर ही इस्तीफानामा पेश किया जा रहा है। हिंदी पत्रकारिता के लिए यह इस्तीफानामा एक ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह है जिसमें कई बड़े नाम आएंगे और उनसे जुड़े कुछ प्रकरणों का भी खुलासा होगा। यहां यह बता दें कि अजय उपाध्याय के दैनिक हिंदुस्तान से जाने और मृणाल पांडे के बतौर प्रधान संपादक दैनिक हिंदुस्तान आने के ठीक बाद 26 अप्रैल 2002 को यह इस्तीफा सौंपा गया था। तो लीजिए, मशहूर खेल पत्रकार पदमपति शर्मा  के संपूर्ण और असंपादित इस्तीफेनामे का पहला भाग….

पदमजी का संपूर्ण इस्तीफानामा जल्द

Padam Patiहिंदी मीडिया के मशहूर खेल पत्रकार पदम पति शर्मा उन दिनों दैनिक हिंदस्तान में बनारस में सहायक संपादक  हुआ करते थे। उन्होंने 26 अप्रैल 2002 को  अपने अखबार  के प्रधान संपादक को एक लंबा-चौड़ा पत्र लिखा। पत्र को मेल से भेजने के तुरंत बाद उन्होंने संस्थान को टाटा बाय बाय बोल दिया। पदम जी का वह  इस्तीफानामा कई मायनों में ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह है। तीन दशकों तक हिंदी प्रिंट मीडिया के लिए खेल पत्रकारिता के पर्याय रहे पदम जी ने इस्तीफे में अपने पूरे खेल जीवन के मर्म को निचोड़कर रख दिया है।