देश के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर एवं पत्रकार हरिवंश जी की अगुवाई में चलने वाला झारखंड प्रदेश का नंबर 1 हिन्दी दैनिक प्रभात खबर लगातार दो दिनों से झारखंड प्रदेश के महामहिम राज्यपाल के नाम के साथ खिलवाड़ कर रहा है. बड़ा सवाल यह है कि क्या नंबर एक अखबार के पत्रकारों को प्रदेश के राज्यपाल के सर्वविदित नाम ”एमओएच फारूख” की जानकारी नहीं है या फिर साजिशन नाम को बिगाड़कर छापा जा रहा है.
Tag: pk
भागलपुर में प्रभात खबर से डरे हिंदुस्तान-दैनिक जागरण ने दाम आधा किया
भागलपुर में प्रभात खबर के आगे हिंदुस्तान और दैनिक जागरण, दोनों अखबार झुक गए. इन दोनों को भी कम दाम में जनता को अखबार उपलब्ध कराने की घोषणा करनी पड़ी. दरअसल हुआ यूं है कि प्रभात खबर ने बिहार में आकर दूसरे बड़े अखबारों को घुटने के बल बैठने पर मजबूर कर दिया है. अगर ये मजबूरी न होती तो हिंदुस्तान और दैनिक जागरण जैसे जमे जमाए अखबार अपनी खेती उजड़ती देख दाम कम करने के लिए दबाव में न आए होते. भागलपुर में प्रभात खबर करीब दस बारह दिन पहले लांच हुआ.
हम पत्रकार भी एक अदभुत अहं ग्रंथि से पीड़ित रहते हैं
: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (अंतिम) : प्रभात खबर आकर हमने बृजकिशोर झंवर (लाली बाबू) से मैनेजमेंट की बारीकियां सीखीं, तत्कालीन चेयरमैन बसंत कुमार झंवर के विजन-प्रोत्साहन ने प्रभात खबर को हमेशा नयी ताकत दी, युवा चेयरमैन प्रशांत झंवर और युवा एम.डी राजीव झंवर का पग-पग पर सुझाव, सहयोग और विजन ‘प्रभात खबर‘ समूह की सबसे बड़ी ताकत है, प्रभात खबर के निदेशक समीर लोहिया के प्रैक्टिकल सुझाव हमारी ताकत हैं :
राडियाकांड ने दिखाया- पत्रकारिता पतन में भी सबसे आगे
: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (3) : प्रभात खबर में जब चुनौतियों के दिन शीर्ष पर थे, तो हर बार बैठक में कहता था कि जिन्हें सुरक्षित भविष्य चाहिए, अच्छा पैसा चाहिए, वे वैकल्पिक रास्ता तलाश सकते हैं, क्योंकि यहां भविष्य अनिश्चित है, संघर्ष है, परिस्थितियां विपरीत हैं : हमारी अपनी आचार-संहिता है, शराब पीकर कोई दफ्तर आये, स्वीकार्य नहीं है :
प्रभात खबर बंद कराने को बड़े घरानों ने साजिश रची थी
: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (2) : आनंद बाजार पत्रिका छोड़ कर कुछेक हजार की नौकरी पर यहां आया, कंपनी द्वारा दी गयी थर्ड हैंड मारुति वैन + किराये का घर, यही तब पाता था, आज प्रभात खबर में वरिष्ठ होने के कारण सबसे अधिक तनख्वाह मैं पा रहा हूं. इससे काफ़ी अधिक के प्रस्ताव भी आये : इस गरीब इलाके में पत्रकारिता करने की प्रेरणा हमें यहां खींच लायी… :
तब मैं, केके गोयनका और आरके दत्ता ड्राइविंग सीट पर थे
: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (1) : प्रभात खबर को नया इंस्टीट्यूशनल रूप देने के लिए शुरुआत हमने ऊपर से की. पहल कर मैं हटा. केके गोयनका एमडी बने. आरके दत्ता एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर. ये दोनों वे लोग हैं, जिन्होंने जीवन के सर्वश्रेष्ठ वर्ष चुपचाप प्रभात खबर को बनाने में दिये हैं. यह बदलाव यहीं नहीं रुका. पूरे झारखंड को संभालने के लिए दूसरी पंक्ति की एक निर्णायक टीम खड़ी की गयी… :
Prabhat Khabar storms Bhagalpur
Bhagalpur, February 09, 2010. The Bhagalpur edition of Prabhat Khabar has been rolled out today with a print order that makes it the No. 1 from day one in the city of Bhagalpur, which was the capital of the Kingdom of Anga Desh. The daily is the first all colour newspaper from this silk city of Bhagalpur, which is also more aggressively priced and higher pagination than the competition here.
प्रभात खबर का नौवां संस्करण अब भागलपुर से
आज (दिनांक 10.2.2011) से प्रभात खबर भागलपुर से छपने लगा है. इस तरह बिहार में पटना, मुजफ्फ़रपुर और भागलपुर से प्रभात खबर प्रकाशित होने लगा है. भागलपुर से छपनेवाला (शहर संस्करण) 20 पेजों का संपूर्ण रंगीन अखबार होने का पहला गौरव भी, भागलपुर से छपनेवाले प्रभात खबर को है. बिहार और झारखंड को मिला दें, तो सात जगहों (पटना, मुजफ्फ़रपुर, भागलपुर, रांची, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर) से प्रकाशित होनेवाला अखबार भी प्रभात खबर है.
क्रिकेटर पीके बहक गया
मेरठ का क्रिकेटर प्रवीण कुमार जब भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने था तो मेरठ में जश्न का माहौल था। मेरे लिए इसलिए भी गर्व की बात थी कि पीके हमारे ही मोहल्ले का एक साधारण लड़का था, जिसे मैं गलियों में बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते हुए देखता था। जब पीके ने अपने पहले ही मैच में आस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने चयन को साबित किया तो हमारा सीना गर्व से और ज्यादा चौड़ा हो गया था।
अतीत की दूरी और प्रभात खबर, मुजफ्फरपुर
09.10.2010 से प्रभात खबर मुजफ्फरपुर से छप रहा है. चर्चिल ने विश्वयुद्ध के समय कहा था. अतीत को जितनी दूर तक पीछे देख सकते हों, देखें. इससे भविष्य के लिए संदेश मिलता है. रास्ता भी. आज मुजफ्फरपुर प्रभात खबर कार्यालय में अपने साथियों के साथ बातचीत में यह प्रसंग याद आया. बाबा आमटे भी याद आये.1985 के आसपास उनके आश्रम गया था. रविवार पत्रिका में रिपोर्ट करने के लिए. बाबा से पूछा, आनंद वन (कुष्ठ रोगियों के लिए आश्रम) कैसे बना? बाबा और ताई (उनकी पत्नी) ने बताया. एक लंगड़ी गाय, वह भी बिसूखी (जो दूध नहीं देती) हुई. जमा पूंजी छह आने नकद पैसे. दो-चार कुष्ठ रोगी. कुल यही मानव संपदा, पशु संपदा व पूंजी संपदा से हमारी शुरुआत हुई. चंद्रपुर (नागपुर के पास) की निर्जीव पहाड़ियों व बंजर जमीन में आनंद वन बना, इसी संपदा व ताकत के बल पर.
प्रभात खबर, मुजफ्फरपुर की शानदार लांचिंग
प्रभात खबर का अब मुजफ्फरपुर से भी प्रकाशन शुरू हो गया. इसके साथ प्रभात खबर का आठवां एडिशन भी शुरू हो गया. अखबार की शानदार लांचिंग की गई. इस एडिशन के लांचिंग की तैयारी पिछले काफी समय से चल रही थी. यूनिट हेड सुधीर कुमार चौबे की देखरेख में कई लोग इस एडिशन को लांच करवाने में दिन रात एक किए हुए थे. दस अक्टूबर को हुए लांचिंग समारोह में मैनेजिंग डाइरेक्टर केके गोयनका भी मौजूद रहे.
इसे कहते हैं भरोसा
एसपी ने प्रभात खबर की टीम के साथ बैठे बीडीओ को जबरन कस्टडी में लिया तो डरकर रोने लगे थे बीडीओ : झारखंड में माओवादियों ने बीडीओ को रिहा करने के लिए मध्यस्थ के रूप में प्रभात खबर अखबार पर भरोसा जताया. माओवादियों ने प्रभात खबर के झारखंड हेड अनुज कुमार सिन्हा के पास संदेश भिजवाया कि वे सिर्फ प्रभात खबर की टीम के सामने ही बीडीओ को रिहा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें प्रभात खबर और उसके लोगों पर भरोसा है. माओवादियों का संदेश स्पष्ट था- बीडीओ प्रशांत को वे रिहा कर सकते हैं, लेकिन सिर्फ प्रभात खबर की टीम के समक्ष. अनुज कुमार सिन्हा ने यह संदेश सबसे पहले अपने प्रधान संपादक हरिवंश तक पहुंचाया.
प्रभात खबर के अनुरोध को एसएन विनोद ने स्वीकारा
प्रभात खबर की शुरुआती कहानी एसएन विनोद ने अपने ब्लाग के जरिए प्रभात खबर के कर्मियों को सुनाई : रांची (झारखंड) से दैनिक प्रभात खबर का एक आग्रह पत्र मिला था : ”सेवा में, श्री. एस.एन. विनोद, संस्थापक संपादक, प्रभात खबर, सर, आपका लगाया पौधा यानी प्रभात खबर अब 25 साल का हो रहा है. मै खुद आपकी खुशी को महसूस कर रहा हूं. 25 साल पूरा होने पर रांची में समारोह का आयोजन किया जा रहा है. 15 अगस्त को रांची क्लब में प्रभात खबर परिवार के तमाम सदस्य इस मौके पर उपस्थित रहेंगे. प्रयास किया जा हा है कि प्रभात खबर के पुराने सदस्य भी इस मौके पर मौजूद रहें. आपकी मौजूदगी के बगैर यह कार्यक्रम अधूरा रहेगा. आपसे विनम्र आग्रह है कि अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर 15 अगस्त 2009 को रांची मेन रोड स्थित रांची क्लब में शाम में आने का कष्ट करें. प्रभात खबर परिवार के सदस्य आपकी जुबान से उस कहानी को सुनना चाहते हैं कैसे आपने रांची से प्रभात खबर प्रकाशित करने की योजना बनाई थी, फिर बाद में कैसे मूर्त रूप दिया. हम आपके आने तक प्रतीक्षा करेंगे. सादर.
आपका विश्वासी,
अनुज कुमार सिन्हा,
वरिष्ठ संपादक (झारखंड),
प्रभात खबर, रांची”