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इसे कहते हैं भरोसा

एसपी ने प्रभात खबर की टीम के साथ बैठे बीडीओ को जबरन कस्टडी में लिया तो डरकर रोने लगे थे बीडीओ : झारखंड में माओवादियों ने बीडीओ को रिहा करने के लिए मध्यस्थ के रूप में प्रभात खबर अखबार पर भरोसा जताया. माओवादियों ने प्रभात खबर के झारखंड हेड अनुज कुमार सिन्हा के पास संदेश भिजवाया कि वे सिर्फ प्रभात खबर की टीम के सामने ही बीडीओ को रिहा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें प्रभात खबर और उसके लोगों पर भरोसा है. माओवादियों का संदेश स्पष्ट था- बीडीओ प्रशांत को वे रिहा कर सकते हैं, लेकिन सिर्फ प्रभात खबर की टीम के समक्ष.  अनुज कुमार सिन्हा ने यह संदेश सबसे पहले अपने प्रधान संपादक हरिवंश तक पहुंचाया.

एसपी ने प्रभात खबर की टीम के साथ बैठे बीडीओ को जबरन कस्टडी में लिया तो डरकर रोने लगे थे बीडीओ : झारखंड में माओवादियों ने बीडीओ को रिहा करने के लिए मध्यस्थ के रूप में प्रभात खबर अखबार पर भरोसा जताया. माओवादियों ने प्रभात खबर के झारखंड हेड अनुज कुमार सिन्हा के पास संदेश भिजवाया कि वे सिर्फ प्रभात खबर की टीम के सामने ही बीडीओ को रिहा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें प्रभात खबर और उसके लोगों पर भरोसा है. माओवादियों का संदेश स्पष्ट था- बीडीओ प्रशांत को वे रिहा कर सकते हैं, लेकिन सिर्फ प्रभात खबर की टीम के समक्ष.  अनुज कुमार सिन्हा ने यह संदेश सबसे पहले अपने प्रधान संपादक हरिवंश तक पहुंचाया.

बिहार-झारखंड में लगातार दौरे पर रहने के कारण हरिवंश का मोबाइल इन दिनों कवरेज रेंज से भीतर-बाहर होते रहने के कारण आन-आफ होता रहता है. कई घंटों बाद हरिवंश से संपर्क हो सका. अनुज ने जानकारी दी. हरिवंश ने सलाह दी कि राज्य सरकार को भी अगर हम लोगों पर भरोसा हो तो यह काम किया जा सकता है क्योंकि ऐसे अभियानों में सिर्फ एक तरफ के भरोसे से काम नहीं चलता, ताली दोनों हाथों से बजती है. प्रभात खबर के लोगों ने झारखंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया. उन्हें बताया कि माओवादियों की ओर से ऐसा संकेत आया है. अगर सरकार कहेगी, तो प्रभात खबर की टीम जान जोखिम में डाल कर यह दायित्व निभाने को तैयार हैं. सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने सहमति दी. सरकार के मंत्रियों व अफसरों को तो जैसे इसी का इंतजार हो. उन लोगों ने तुरंत हामी भर दी. स्टेट हेड अनुज कुमार सिन्हा, जो प्रभात खबर के जमशेदपुर एडिशन को भी देखते हैं, यहीं से फोटोग्राफर उमाशंकर दुबे मिशन पर निकलने के लिए तैयार होने लगे. मिशन पर निकले तो रास्ते में प्रभात खबर के तीन ओर साथियों को साथ लिया, जिन्हें स्थानीय इलाके व जंगलों की जानकारी है. इनके नाम हैं परवेज, हरिश्चंद्र सिंह और शिवशंकर साहू. फिर शुरू हुआ अभियान जो काफी जोखिम भरा था.

माओवादियों ने शुक्रवार शाम लगभग छह बजे गुड़ाबांधा के पास जंगल में बीडीओ प्रशांत कुमार लायक को प्रभात खबर की टीम को सही सलामत सौंप दिया. नक्सलियों ने पत्रकारों की सुरक्षा का वादा निभाया. जब तक प्रभात खबर की टीम जंगल में थी, प्रदेश सरकार ने भी अपना वादा निभाते हुए कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे स्थिति बिगड़ती. प्रभात खबर की टीम को माओवादियों द्वारा संदेश दिया गया कि किस जगह पर पहले जाना है. जहां जाना था, वहां जाते ही कहीं और जाने का संदेश मिलता. कई बार जगह बदली गयी. मुसाबनी से डुमरिया होते हुए गुड़ा के रास्ते में सुरक्षाकर्मियों की भरमार थी. इसके बावजूद प्रभात खबर की टीम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती गयी. टीम के सामने चुनौतियां थीं. एक ओर माओवादी थे, तो दूसरी ओर पुलिसकर्मी. जरा सी चूक से जान जा सकती थी. टीम बढ़ती जा रही थी और उस पर माओवादियों की ओर से नजर भी रखी जा रही थी. निर्धारित जगह पर जब टीम कुछ देर रुकती, तो उसे कुछ देर बाद संदेश मिलता. फिर दूसरी जगह की ओर टीम रवाना होती. कितने लोग हैं, कौन-कौन हैं, सवाल किये जाते.

प्रभात खबर की टीम, रिहा बीडीओ और पुलिस के लोग

एक जगह पर एक कम उम्र का बालक मिला. वह एक जंगल की ओर ले गया. लगभग पौने छह बज रहे थे. वहीं टीम को खड़ा कर दिया गया. वहां करीब 15 मिनट तक इंतजार करने के बाद जंगल की ओर से हलचल हुई. फिर पांच माओवादी बीडीओ प्रशांत को लेकर आए. संगठन के कॉमरेड मंगल अपने चार साथियों के साथ गुड़ाबांदा के बीहड़ से पैदल ही निकले. प्रभात खबर की टीम ने परिचय दिया. माओवादियों ने धालभूमगढ़ के बीडीओ प्रशांत कुमार लायक को शुक्रवार शाम करीब छह बजे मुक्त कर दिया और प्रभात खबर की टीम के हवाले कर दिया. अत्याधुनिक हथियार से लैस माओवादियों में दो लड़कियां भी थीं. सभी ड्रेस में थे. चेहरे ढक रखे थे. उन लोगों ने कहा कि बीडीओ को आप लोगों को सौंपने का आदेश है. माओवादियों ने तसवीरें भी खिंचवाई. बहुत बातचीत नहीं की. सभी माओवादी कम उम्र के थे. बीडीओ खुश थे. उस समय चेहरे पर तनाव भी नहीं था.

बीडीओ ने माओवादियों के सामने ही कहा कि उनके साथ अच्छा व्यवहार किया गया. पैर में चप्पल भी थे. प्रशांत को लेकर प्रभात खबर की टीम पैदल ही रवाना हो गयी. उधर माओवादी भी घने जंगल में चले गये. जहां गाड़ी खड़ी की गयी थी, वहां पहुंचने के बाद बीडीओ प्रशांत को गाड़ी पर बैठाया गया. टीम उन्हें लेकर जंगल से बाहर जा रही थी. अंधेरा था. टीम डुमरिया होते हुए घाटशिला की ओर जानेवाले रास्ते पर थी. गुड़ा के पास अचानक सैकड़ों की संख्या में सुरक्षा बलों ने गाड़ी को घेर लिया. हथियार निकाल लिया. टीम अचंभित थी. खुद एसपी नवीन सिंह भी वहां थे. उन्होंने कड़क आवाज में पूछा- कहां है बीडीओ. इसके पहले कि टीम कुछ समझ पाती, बीडीओ को एसपी ने बाहर खींच लिया. जो बीडीओ प्रभात खबर की टीम के साथ गाड़ी में अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे थे, वही बीडीओ एसपी की कार्रवाई के बाद रोने लगे. प्रभात खबर की टीम ने उन्हें समझाया. एसपी ने साफ-साफ कहा कि बीडीओ को वे अपनी कस्टडी में लेते हैं.

एसपी नवीन सिंह (बाएं)के साथ बीडीओ प्रशांत (दाएं)

प्रभात खबर के लोगों ने इसका विरोध किया और कहा कि बीडीओ को या तो उनके परिवार को सौंपा जायेगा या फिर घाटशिला में राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष. ऐसा इसलिए, क्योंकि यह प्रभात खबर के विश्वास के साथ जुड़ा मामला है. एसपी नहीं माने. जब प्रभात खबर की टीम ने मुख्यमंत्री शिबू सोरेन या डीजीपी से बात करने की इच्छा जतायी, तो उन्हें मोबाइल का प्रयोग नहीं करने दिया गया. प्रभात खबर की टीम अड़ी रही. अंतत: प्रभात खबर ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए बीडीओ प्रशांत को एसपी नवीन सिंह को सौंप दिया. इसकी तसवीर भी ली गयी. गुड़ा के पास जो स्थिति बन गयी थी, अगर कुछ देर पहले ही पुलिस वैसी कार्रवाई कर देती, तो बीडीओ और पत्रकारों की जान भी जा सकती थी. बाद में प्रभात खबर की टीम बगैर बीडीओ के घाटशिला आयी. वहां आइजी समेत अनेक अधिकारी थे. सबों को जानकारी दे दी गयी कि प्रभात खबर ने अपने दायित्व का निर्वाह कर दिया है. फिर घाटशिला में बीडीओ के घर भी टीम गयी. परिजनों से मुलाकात की. बाद में बीडीओ को लेकर खुद एसपी डीबी आये. वहां बाकी मीडिया के सामने अपनी बातें रखीं. जब बीडीओ घर गये और बेटी से मिले, तो वह दृश्य भाव विह्लल करनेवाला था.

(प्रभात खबर टीम के सदस्यों से बातचीत पर आधारित)

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0 Comments

  1. अमित गर्ग

    February 20, 2010 at 11:05 am

    आखिर जीत ही गया भरोसा और हार गयी नफरत. प्रभात खबर को बधाई जिसने मीडिया का भरोसा जिन्दा रखा.

  2. Raj Kumar Ranjan

    February 20, 2010 at 1:15 pm

    Es News ko padne ke baad lagta hai ki Prabhat Khabar me logo ka vishwash hai.

  3. rajat

    February 20, 2010 at 3:51 pm

    प्रभात खबर ने पत्रकारिता के उच्च मानदंड को बरकरार रखा है, इसलिए उसे खुले दिन से बधाई देनी चाहिए। अपने आप को राष्ट्रीय समाचार पत्र कहने का ढिंढोरा पीटने वाले समाचार पत्र इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं। कॉमरेड हरिवंश को इसके लिए कोटि-कोटि बधाई और भाई यशवंत को इसकी शानदार रिपोर्ट पहुंचाने के लिए बहुत-बहुत बधाई। बॉस कमाल कर रहे हो।

  4. Ramnandan

    February 20, 2010 at 5:41 pm

    Prabhat khabar ki team ko bahut-bahut badhai…Dainik Jagran ko isse sabak lena chahiye ki apne aap ko sirf vishwa ka sarwadhik padha jane wala akhbaar kahne se nahi hota hai…uske liye bahut kuch karna hota hai.Prabhat Khabar ke Jaambaajon ko dil se badhai. Jai Hind- Jai Bharat

  5. Kalyan Kumar Sinha

    February 20, 2010 at 5:47 pm

    प्रभात खबर के झारखंड हेड अनुज कुमार सिन्हा और प्रभात खबर की टीम को बहुत-बहुत बधाई. प्रधान संपादक हरिवंशजी को भी बधाई.

  6. abc

    February 21, 2010 at 7:12 pm

    prabhat khabar aur haribans sir jee anuj sinha jee aur unke sahyogi koti koti naman

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