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दुनिया के सारे झूठे, फरेबी, घोटालेबाज, चालाक और मक्कार किस्म के लोग अपना हित साधने से पहले आदर्शवाद और नैतिकता की बातें करते हैं,...
कांग्रेस के युवराज एवं राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी बैतूल आकर चले भी गये, लेकिन उनके आगमन के दौरान पत्रकारों पर लगे दाग आज तक...
आखिरकार बीबीसी हिंदी का भारत के प्रति सोचने का नजरिया सामने आ ही गया. समझ नहीं आता क्या सोचकर बीबीसी हिंदी ने विषय रखा...
शर्मा जी एक ईमानदार कलमकार थे। ईमानदार थे इसलिए मुफलिस थे और अपने घर-परिवार की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं थे। वही शर्मा जी अब...
भारत में आर्थिक उदारीकरण आने और सेटेलाइट चैनलों के प्रादुर्भाव होने के बाद भारतीय पत्रकारिता में मानो क्रांति आ गयी. एक ओर जहां कई...
: पाश्चात्य संस्कृति की पिछलग्गू बन चुकी है भारतीय मीडिया : भारतीय मीडिया का समग्र ढांचा कहीं न कहीं पाश्चात्य मीडिया के अनुसरण पर...
: निजी स्वार्थ के लिए देश को बदनाम करने की साजिश : ये हिन्दुस्तान की मीडिया का अब तक का सबसे शर्मनाक चेहरा है....
: सबकी रखवाली करने वाले की रखवाली कर रहे हैं इंसान : अक्टूबर 1991 में जब मैं अपनी शादी से पहले अयोध्या गयी थी...
: "मर्द और औरत की शैतानी- इंसान की नादानी" देखिए आज रात दस बजे... "कौन है लड़कियों का शिकार करने वाला शैतान बाबा"- पूरी...
: सीईओ के सामने बोर्ड की भी नहीं चलती :1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो तय किया गया कि टेलीविज़न और...
: अयोध्या मामले में बढ़ा-चढ़ा कर दिखा रहे हैं खबरें : इससे सौहार्द बिगड़ने का खतरा बढ़ रहा है : देश की समरसता व...
: मीडिया को नहीं दिखते अहिंसक आंदोलन :हिन्दुस्तान में आए दिन किसी न किसी बात को लेकर विरोध-प्रदर्शन और धरने आदि का कार्यक्रम सम्पन्न...
आजादी के बाद सत्ता में आते ही पहली भारतीय जनतांत्रिक सत्ता ने अंग्रेजी से लड़ाई लड़ी, इसी का नतीजा यह रहा कि ‘उदारीकरण‘ के...
हिन्दी दिवस के अवसर पर हम इंदौर नगर के बुद्धिजीवी गाँधी-प्रतिमा के समक्ष देश भर के लगभग सभी हिन्दी अखबारों की एक-एक प्रति जुटाकर...
: मऊ पुलिस खोज रही है सहारा के रिपोर्टर को : सहारा कल्चर का एक और नमूना मऊ में तब पेश आया, जब सहारा...
: नहीं ला सके दिल्ली में टीवी वाले बाढ़ : शायद केन्द्र सरकार के दबाव में हरियाणा ने समेट लिया बाढ़ : वृहस्पतिवार की...
: पेड न्यूज के लिए कुत्तों की तरह टूट पड़े थे नैतिकता की दुहाई देने वाले अखबारों के एजेंट : खबर नहीं सौदा पटा...
: अपने ऑफिस में लगे भारतमाता के चित्र हटवा दीजिए :‘पेपर साबुन का झाग होता है, जिसको ब्यूरो जब चाहे तब छू कर फोड़...
:मेरी विदेश डायरी-5 : बड़े संपादक आलोक मेहता के लिए मैं कभी नौकरी पाने लायक नहीं बन सका : जिसे मैनेज करना नहीं आएगा...