राजनीति-सरकार
: अपनी आंखों का इलाज क्यों नहीं करवाते कांग्रेसी युवराज : मनमोहन जी और कितने घोटालों की जरुरत है हटने के लिये, आप तो...
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: अपनी आंखों का इलाज क्यों नहीं करवाते कांग्रेसी युवराज : मनमोहन जी और कितने घोटालों की जरुरत है हटने के लिये, आप तो...
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में गलती से पुर्तगाल के विदेश मंत्री का भाषण पढ़ गए भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा इसे बड़ी...
सच्चाई की जीत होती है। सच से बड़ा कोई नहीं। सच कभी नहीं हारता। सदा सच ही बोलो। ये वाक्य मास्टरों से लेकर घर...
महीने भर की मियाद के बावजूद भले ही सरकारी बाबू सूचना का ससमय व सही जवाब नहीं दे पाते हों, मगर खाद्य सुरक्षा से...
इन दिनों श्रीनगर के लाल चौक पर भाजयुमो की ओर से 26 जनवरी को तिरंगा झंडा फहराने के ऐलान को लेकर राजनीति अपने पूरे...
केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हो चुका है. कुछ मंत्रियों की छुट्टी की भी चर्चा थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं, हालांकि तीन नए लोगों को...
विदेश में जमा रकम वालों का नाम बताना विदेशी बैंकों के साथ हुये एकरारनामें का उल्लंघन है। विदेशी बैंकों से प्राप्त सूचना का उपयोग...
: राजनीति की चटर पटर और बात का बतंगड़ : क्या यह संभव है कि कोई मंत्री, किसी विभाग का मुखिया सीएमओ को महत्व...
देश के विभिन्न राज्यों में पिछले दो दशकों के दौरान क्षेत्रीय दल भारतीय राजनीति की प्रमुख धुरी रहे हैं। लेकिन उत्तराखण्ड इसका बहुत बड़ा...
: नीतीश कुमार के महादलित और राजनाथ के फार्मूले की आई याद : आरक्षण आज की राजनीति का एक अजीब हथियार बन गया है....
: इमरजेंसी के खलनायक को आडवाणी द्वारा सही बताने की कोशिश अब्सर्ड है : समकालीन इतिहास का सबसे बड़ा अजूबा संजय गाँधी को माना...
सुना भी है और पढ़ा भी है कि एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है। पढाई और जिंदगी के अब तक के...
कर्नाटक में पंचायत चुनाव चल रहे हैं. दो दौर में पूरे राज्य में चुनाव होने हैं. पहले दौर का चुनाव 26 दिसंबर को पूरा...
नीरा राडिया तब कुछ और ज्यादा जवान रही होगी। अब भी देखने में वे अच्छी ही लगती है, लेकिन 1994 में जब भारतीय जनता...
एक पुरानी मान्यता है कि अज्ञानी से कहीं अधिक खतरनाक अल्पज्ञानी होते हैं। क्योंकि होते तो हैं वे अल्पज्ञानी, किन्तु स्वांग भरते हैं पूर्ण...
देश सावधान हो जाए। एक बार फिर सांप्रदायिक आधार पर देश को बांटने की तैयारी हो रही है। बिल्कुल ब्रिटिश शासकों की तर्ज पर।...
पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली को अपराध की राजधानी कहा जाने लगा है. शहर में रोज़ ही दो चार बलात्कार होते हैं, कत्ल होते...
जब चारो तरफ भ्रष्टाचार का सम्राज्य हो, नीचे से ऊपर तक लूट खसोट में व्यस्त सरकार हो, गूंगे बहरे निजाम और प्रशासन से चर्चा...