: देखें सीसीटीवी फुटेज और अन्य वीडियो : सतना (मध्य प्रदेश) की घटना याद होगी. न्यूज चैनलों पर बार-बार दिखाया गया. एक मानसिक रूप से बीमार आदमी को पुलिसवालों द्वारा मिलकर सरेराह पीटा जाना. और इसी के चलते उस आदमी की मौत हो जाना. पिटाई की सीन को जिसने भी देखा, उसने पुलिसवालों को जमकर गालियां दी और देश में अंग्रेजी राज जैसे पुलिस दमन की कल्पना की.
पर इस घटनाक्रम का दूसरा पहलू भी है. जिसे मानसिक रूप से बीमार बताया जा रहा है, वह आदमी एक दुकान में बड़ी-सी हंसिया लेकर घुसता है और दुकानदार के गर्दन के आसपास ले जाकर उसे कत्ल कर देने की धमकी देता है. वह दुकान के टेबल आदि पर चढ़ जाता है. वह हाफ पैंट और बनियान निकालकर पूरी तरह नंगा हो जाता है और नंगा होने के बाद फिर हंसिया लेकर दुकानदार को कत्ल करने की धमकी देता है. दुकान में मौजूद लोग चिल्लाने लगते हैं. यह सब दृश्य एक वीडियो में कैद है. दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में सब कुछ कैद है. इस फुटेज को कुछ लोगों ने भड़ास4मीडिया के पास भेजा है, एक पत्र लिखकर. पत्र यूं है-
Dear Yashwant ji
Namaskaar
As discussed about the matter over phone please find below two videos. It is clear that the famous “mentally challenged” person was about to KILL a jewellery shop owner and was even moving around in the market of Satna (M.P.) with a sickle & baton in his hand & could have harmed/killed other people if the Police has not reached on time. The public & the business community is in favour of the Police Action but this fact is being hidden by the popular news channels in order to gain fake TRP & mislead the public without probing about the real matter which lead to such a Police action.
As a responsible Police Officer Mr. B.S. Jaggi controlled the situation by first catching the accused person & then to put a psycological pressure on him he used some force to calm-down this guy. But a local News Channel & other popular channels in order to defame the Police Officer only showed HALF TRUTH where only the Police is shown as beating the person but the FULL TRUTH of the nuisance created by that person is deliberately not shown….It was done just to gain TRP but the result is that the diligent & responsible Police Officer – Mr. B.S. Jaggi, Kotwali Incharge, Satna was suspended without even trying to know the real story.
I request your intervention in the matter & request JUSTICE for the Police Officer for his efforts in controlling the person by the medium of your MEDIA which will open the eyes of others & show them what RESPONSIBLE JOURNALISM means….Hope to get your support in the matter on urgent basis.
Thanx & Regards,
Varinder
जिन सज्जन ने ये पत्र भेजा है, उन्हें मैं नहीं जानता. उनका फोन आया तो उन्होंने सारी बात बताई. मीडिया पर आरोप लगाया कि एकतरफा कवरेज करके पुलिस वालों का मनोबल डाउन किया गया और पुलिस वालों को सस्पेंड करा दिया गया. मैंने उनसे वीडियो और डिटेल भेजने को कहा. नीचे तीन वीडियो के लिंक दिए जा रहे हैं. पहला वीडियो सीसीटीवी फुटेज है जिसे देखकर कोई भी कह सकता है कि इस पागल आदमी को दुकान के भीतर ही गोली मार देनी चाहिए, प्राण रक्षा के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए. दूसरे वीडियो में दुकान के बाहर पुलिस, जनता और पागल आदमी के दृश्य हैं. पर इस दूसरे वीडियो में पुलिस द्वारा पीटे जाने के सीन को कम-कट कर दिया गया है.
तीसरा वीडियो स्टार न्यूज पर प्रसारित खबर है, जिसमें पुलिस वाले उस पागल को पीटते दिख रहे हैं. तीनों वीडियो के देखने के बाद मुझे यही लगता है कि उस पागल आदमी ने जो कुछ किया, वह बहुत खतरनाक था, कई लोगों की जान ले सकता था वह. पर पुलिस वाले भी पागल हो जाएंगे, यह कतई उम्मीद न थी. पुलिस वालों को उस व्यक्ति को लोकल नागरिकों की मदद से पकड़कर बांधकर थाने ले जाने चाहिए था और किसी इलनेस सेंटर वगैरह में भर्ती करा देना चाहिए या किसी पागलों के डाक्टरों से उसे दवा-इंजेक्शन वगैरह दिलाकर काबू में कर लेना चाहिए था. इसकी बजाय पुलिस ने सारे नियम कानूनों को ताकपर रखकर अपने आखिरी ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, दे दनादन मारना शुरू कर दिया. यह बिलकुल गलत, निंदनीय और अलोकतांत्रिक है.
इन पुलिसवालों को निलंबित किया जाना छोटा सा दंड है. कायदे से इन्हें नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिए क्योंकि उन्होंने पागल आदमी को कंट्रोल करने के नाम पर खुद को और पूरे पुलिस विभाग को पागल साबित कर दिया है. एक मानसिक रूप से विक्षिप्त और खतरनाक दिख रहे आदमी को पांच-दस पुलिसवाले मिलकर कंट्रोल नहीं कर सकते तो ये किसी शातिर शूटर से मुठभेड़ में कैसे जीत पायेंगे. आखिर क्यों पुलिस वाले छोटी-मोटी घटनाओं में भी आपा खोकर लाठी-डंडा लेकर टूट पड़ते हैं, इन्हें क्यों नहीं समझ में आता कि बल प्रयोग हर हालत में अंतिम विकल्प होना चाहिए और वह भी सीमित मात्रा में.
किसी को मारने, जेल भेजने या फांसी पर लटकाने का फैसला देने का काम करने के लिए अदालतों की व्यस्था इसीलिए है. अगर अदालतों का काम भी पुलिस वालों ने ले लिया है और तालिबानियों की तरह सड़क पर फैसला करने लगे हैं तो फिर इस देश का भगवान मालिक. प्रोग्रेसिव और माडर्न पुलिसिंग के लिए हमारे देश की सरकारें भी कुछ नहीं करतीं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. कैसे अपराधियों को हैंडल किया जाए, कैसे उन्हें पकड़ा जाए, कैसे उनसे निपटा जाए… इसको लेकर शिक्षण-प्रशिक्षण और जागरूरकता का काम लगातार करते रहना चाहिए. पर सरकारें पुलिस विभाग को पालतू और दिमागविहीन बनाकर रखने में ही खुश रहती हैं क्योंकि ऐसा रखकर सरकारें अपने गलत-सही कानून विरोधी काम इन्हीं पुलिसवालों से बिना ना नुकूर के करा लेती हैं.
सतना की घटना पूरे देश के पुलिसवालों के लिए नसीहत है. सबक है. पुलिस वालों को एक बार फिर अपने मैनुवल, नियम-कानून पढ़ने चाहिए और स्मार्ट पुलिसिंग के लिए खुद के स्तर पर पहल करना चाहिए. वर्दी पहन लेने का मतलब किसी पर भी डंडा चला देना नहीं होता है. वर्दी पहनने का मतलब चीजों को इंटेलीजेंट तरीके से टैकल कर समाज में सुख शांति कायम रखना होता है. सतना में पुलिस वालों ने सड़क पर जिस तरह से पीट पीटकर एक पागल आदमी को मार डाला, उसे देखकर कई संवेदनशील लोगों को डिप्रेशन हो गया होगा. यह सच है. क्योंकि हम पढ़े लिखे लोग यह कतई उम्मीद नहीं करते कि अपने भारत देश में कहीं भी तालिबानियों का राज हो. पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए दिन खबरें आती हैं कि किस तरह वहां पुलिसवालों ने निर्दोष युवकों को घेरकर गोली मार दी, सड़क पर ही तालिबानियों ने (अ)न्याय कर दिखाया.. आदि आदि. तब वह सब देखकर लगता है कि चलो अच्छा है, हम लोगों का देश, हम लोगों की व्यवस्था उनसे ज्यादा मेच्योर और डेमोक्रेटिक है. पर सतना जैसी स्थितियां देखकर लगता है कि नहीं, हम लोग गलत हैं. हमारे यहां भी सिस्टम में पागलों की भयंकर भरमार है.
हां, इस मामले में मीडिया ने यह गलती जरूर की है कि उसने सिर्फ पुलिसवालों द्वारा पीटे जाने का ही दृश्य दिखाया. मीडिया को पागल आदमी के कारनामों को भी दिखाना चाहिए था. सीसीटीवी फुटेज को भी प्रसारित करना चाहिए था. आम लोगों के रिएक्शन को भी दिखाना चाहिए था, भले ही वे आम लोग पुलिस कार्रवाई का समर्थन कर रहे हों. और, मीडिया को वरिष्ठ विश्लेषकों की राय को भी प्रसारित करना चाहिए था. तब जाकर इस प्रकरण के जरिए मीडिया पूरे देश के दर्शकों और पुलिसवालों को ट्रेंड, जागरूक और सचेत कर पाता. पर टीआरपी के भूखे न्यूज चैनलों को चेतना और जागरूकता से क्या लेना देना. वे तो एक ही सीन को बार बार दिखाते रहेंगे और दर्शकों में जुगुप्सा, उत्तेजना पैदा करते रहेंगे. मीडिया के इस एकतरफा और सनसनीखेज रवैये की भी हम लोग भर्त्सना करते हैं.
तीनों वीडियो देखने के लिए इन शीर्षकों पर क्लिक करें-
मैंने अपनी बात रख दी. संभव है, मैं गलत होऊं. यह एक बड़ा मुद्दा है जिस पर बात होनी चाहिए. अगर आप अपने विचार रखेंगे तो अच्छा रहेगा. नीचे दिए गए कमेंट बाक्स का सहारा ले सकते हैं या फिर bhadas4media@gmail.com पर मेल भेज सकते हैं.
यशवंत
एडिटर, भड़ास4मीडिया
bhadas4media@gmail.com
Comments on “इस पागल, नंगे व खतरनाक शख्स को पुलिस ने मारकर क्या गलत किया?”
The whole observation is excellent & I totally agreed with your unbiased inference in the matter wheN you say that …
“इस मामले में मीडिया ने यह गलती जरूर की है कि उसने सिर्फ पुलिसवालों द्वारा पीटे जाने का ही दृश्य दिखाया मीडिया को पागल आदमी के कारनामों को भी दिखाना चाहिए था.”
“पुलिसवालों को निलंबित किया जाना छोटा सा दंड है. कायदे से इन्हें नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिए क्योंकि उन्होंने पागल आदमी को कंट्रोल करने के नाम पर खुद को और पूरे पुलिस विभाग को पागल साबित कर दिया है.”
किसी को मारने, जेल भेजने या फांसी पर लटकाने का फैसला देने का काम करने के लिए अदालतों की व्यस्था इसीलिए है. अगर अदालतों का काम भी पुलिस वालों ने ले लिया है और तालिबानियों की तरह सड़क पर फैसला करने लगे हैं तो फिर इस देश का भगवान मालिक.
However must I tell you for Taliban they have instructions to kept them happy & healthy at Tihar as in “kasaB” & others mentally ill politicians like “kalmadis” case.
सब बौरा गये हैं, अगर पुलिस वाले एक पागल को मार सकते हैं और उन्हें इसकी अनुमति मिल जाती है तो कल को किसी अच्छे भले आदमी को पागल बताकर मारने से उन्हें कौन रोकेगा. अगर ये पागल था तो इसे मानसिक चिकित्सालय में भरती कराना चाहिये न कि इस तरह से मारना. क्या आज तक कोई पागल मारने पीटने से ठीक हुआ है. अगर इसी तरह से ठीक हो जाते तो इन पुलिस वालों के साथ भी यही होना चाहिये क्योंकि उन्होंने जो किया वह भी इस व्यक्ति के कारनामों से कम नहीं था. पुलिस वाले इतने ही बड़े साहसी हैं तो आतंकवादियों के सामने क्यों इनकी बहादुरी हवा हो जाती है. एक आम आदमी को तो नंगा कर मारते हैं. अमरमणि, तस्लीमुद्दीन, शहाबुद्दीन, धनन्जय सिंह, न जाने कितने हैं जिनके आगे यही पुलिस वाले पानी भरते हैं. पुलिस वालों की सम्पत्ति की भी जांच होना चाहिये. इन्हें जज का काम करने में बहुत मजा आता है. किसी भी शहर के आटो और बसों की जांच हो, बेनामी जायदादों क जांच हो सब पता चल जायेगा.
मुख्य धारा की मीडिया से अलग हर पक्ष को सुनना,दिखाना और बताना ही भड़ास की सबसे बड़ी खूबी है…धन्यवाद..यशवंत जी इस सारी जानकारी के लिए..