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मध्य प्रदेश के अख़बार मालिक सरकारी दबाव में

: रवीन्द्र जैन के बाद अवधेश बजाज हुए सरकारी दबाव के शिकार : भोपाल। मध्यप्रदेश के अख़बारों पर शिवराज सरकार का दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है और दबंग पत्रकार इस दबाव का शिकार हो रहे हैं। रवीन्द्र जैन के बाद इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है. अवधेश बजाज ने भी अख़बार प्रबंधन से खटपट के चलते पीपुल्स समाचार के समूह सम्पादक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।

<p style="text-align: justify;">: <strong>रवीन्द्र जैन के बाद अवधेश बजाज हुए सरकारी दबाव के शिकार </strong>: भोपाल। मध्यप्रदेश के अख़बारों पर शिवराज सरकार का दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है और दबंग पत्रकार इस दबाव का शिकार हो रहे हैं। रवीन्द्र जैन के बाद इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है. अवधेश बजाज ने भी अख़बार प्रबंधन से खटपट के चलते पीपुल्स समाचार के समूह सम्पादक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।</p> <p>

: रवीन्द्र जैन के बाद अवधेश बजाज हुए सरकारी दबाव के शिकार : भोपाल। मध्यप्रदेश के अख़बारों पर शिवराज सरकार का दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है और दबंग पत्रकार इस दबाव का शिकार हो रहे हैं। रवीन्द्र जैन के बाद इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है. अवधेश बजाज ने भी अख़बार प्रबंधन से खटपट के चलते पीपुल्स समाचार के समूह सम्पादक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।

ख़बर है की अवधेश बजाज पर सरकार विरोधी ख़बरें न छापने के लिए दबाव डाला जा रहा था। अवधेश बजाज ने हाल ही में मिनाल मॉल को लेकर विशेष टिप्पणी लिखी थी, जिसमें मध्य प्रदेश सरकार को आईना दिखाया था और सरकार से सवाल किया था कि मिनाल के खिलाफ कार्यवाई मीडिया पर दबाव बनाने का प्रयास तो नहीं है। राज एक्सप्रेस के मालिक अरूण सहलोत के मिनाल मॉल को गिराने के बाद से सरकार के हौंसले बुलंद हो गए हैं, और वह एक-एक करके दबंग पत्रकारों का शिकार कर रही है।

सरकार का पहला शिकार राज एक्सप्रेस के सम्पादक रवीन्द्र जैन बने और अब पीपुल्स समाचार से अवधेश बजाज का इस्तीफा भी सरकारी दबाव का हिस्सा माना जा रहा है। इस मामले में ख़ास बात यह है कि सरकार ऐंसे अख़बार मालिकों पर दबाव बना रही है जिन्होने अपने गोरखधंधों को सरकारी प्रकोप से बचाने एवं सरकार पर दबाव बनाने के लिए ही अख़बार निकाला था। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में इल्डर-बिल्डर टाइप के लोग इस पवित्र पेशे में अख़बार या टीवी मालिक बनकर घुस आए हैं। यही कारण है की सरकार उन पर दबाव बनाने में आसानी से सफल हो रही है, लेकिन इसका ख़मियाजा मीडिया जगत को भुगतना पड़ रहा है।

रवीन्द्र जैन पर सरकारी जुल्म जारी : राज एक्सप्रेस से छुट्टी कराने के बाद भी मध्य प्रदेश सरकार ने रवीन्द्र जैन का पीछा नही छोड़ा है। नित-नए हथकंडे अपना कर सरकार के नुमांइदे आज भी उन पर जुल्म ज्यादती कर रही है। खबर है की प्रोफेसर कालोनी स्थित उनके आवास की बार-बार नपती की जा रही है और उस मकान के एक भाग को अतिक्रमण बताकर तोड़ने की तैयारी है।

भोपाल से अरशद अली खान की रिपोर्ट

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0 Comments

  1. atul

    May 31, 2011 at 6:50 am

    मध्यप्रदेश में मीडिया पर नौकरशाही का दबाव
    जनता पर दबाव बनाते हुए अब नौकरशाही पत्रकारों पर दबाव बना रहे हैँ जब वे इसमें सफल नहीं हुए तो मालिकों के काले-पीले धंघों के बहाने संपादकों पर दबाव बनाने का काम कर रहे हैं जो इस दबाव का विरोध कर रहे हैं उन्हें अपना पद गवांना पड़ रहा है राज एक्सप्रेस के समूह संपादक रवींद्र जैन के बाद इस दबाव के शिकार धाकड़ संपादक अवधेश बजाज हुए हैं। शिवराज सरकार पूरी तरह से मनमानी पर उतर आई है अब प्रदेश में जो भी मुंह खोलेगा उसे परेशान किया जाएगा। लगता है शिवराज सरकार अब स्वयं की कब्र खोदने में लग गई है।

  2. trpti prasad

    May 31, 2011 at 2:35 pm

    भाई अरशद अली खान साब से कुछ सवाल-
    1-भोपाल में ऐसा कौन-सा अखबार है, जो अखबार की ओट में गोरखधंधे नहीं कर रहा?
    2-फिर सरकार ने दबाव राज एक्सप्रेस पर ही क्यों बनाया?
    3-क्या पीपुल्स से बजाज साब सरकार विरोधी खबरों के कारण ही बाहर किए गए हैं? बताओ, उनके कार्यकाल में पीपुल्स में सरकार विरोधी कितनी खबरें छपीं? केवल एक मंत्री को जरूर निशाने पर रखा गया था।
    4-क्या रवीन्द्र जैन दबंग पत्रकार हैं, जैसा आपने लिखा है? क्यों पत्रकारिता का मजाक उड़ाते हो भाई? बजाज साब और जैन साब को एक ही तराजू पर तौलना क्या पत्रकारिता के साथ न्याय है?
    5-जैन साब सरकार विरोधी खबरें लिखने के कारण राज से निकाले गए हैं या अनुराग जैन विरोधी खबरें लिखने के कारण?
    6-अनुराग जैन के विरोध में खबरें राज एक्सप्रेस के फायदे के लिए लिखी जा रही थीं या रवीन्द्र जैन अपने निजी फायदे के लिए लिख रहे थे?
    अभी इतने ही सवालों के जवाब दीजिए। बाद में समय मिला तो कुछ सवाल और पूछूंगी।

  3. आम

    May 31, 2011 at 2:52 pm

    सरकारें सभी के साथ ऐसा ही करती हैं..

  4. arshad ali khan

    May 31, 2011 at 6:39 pm

    भाई प्रसाद त्रिपाठी,आपने मुझसे 6 सवाल पंूछे हैं। हालांकि इन सभी सवालों के जवाब आपके पास भी है फिर भी आपके सभी सवालों के जवाब देने की मैं कोषिष करता हूं ,इसके साथ ही आषा करता हूं की आप मैंरे जवाबों से संतुष्ट होंगे। आपके सवालों का जवाब देने से पहले मैं यह बात स्पष्ट कर दूं की आपके सवालों के जवाब देने के पीछे मैंरा मकसद आपसे मुंह जोरी करना नही है। बल्कि अपने भाई की जिज्ञासा दूर करना है।
    आपकी पहली बात से मैं सहमत हूं लेकिन वह लोग सरकार से पंगा लेने का जोखिम नही उठाते जिस प्रकार से राज एक्सप्रेस ने उठाया इसी लिए सरकार उनका बुरा नही करती (इसी में आपके दूसरे सवाल का भी जवाब है)।
    तीसरी बात पीपुल्स समाचार के मुख्य पेंज पर हाल ही छपी बजाज साब की विषेष टिप्पणी क्या सरकार को नाराज करने वाली नही थी?
    चौथी बात जिस सम्पादक के लेखन से नाराज होकर सरकार अखबार मालिक का करोड़ो का नुकसान कर दे क्या उस पत्रकार को आप दबंग नही कहेगे?
    पांचवी बात जब मिनाल मॉल टूटा तो सभी ने एक स्वर में यह बात कही की मॉल सरकार विरोधी खबरे छापने के कारण टूटा है।
    आख़री बात राज एक्सप्रेस में जब अनुराग जैन के विरूद्ध खबरे छप रही थी तब अरूण सहलोत को यह बात समझ नही आयी की रवीन्द्र जैन अपने स्वार्थ के लिए अनुराग जैन के बारे में ख़बरे छाप रहे हैं? क्या सहलोत अनपढ़ हैं?
    भाई प्रसाद आषा है की आप मैंरी बात से संतुष्ठ हो गए होंगे। समय के आभाव में जितना बन पड़ा मैंने कोषिष की। यदि इसके बाद भी आप संतुष्ट नही हुए हो तो इसे मैं अपना दुर्भाग्य समझूंगा। अरषद अली खान 09425025438 [b][/b]

  5. R.K. sharma

    June 4, 2011 at 7:48 am

    Are arshad thik se pad to le jawab dene se pahle, sawal bhai ne nahi teri behan ne puche he.

  6. vjain

    June 8, 2011 at 4:23 pm

    sarkaar our media ke jhagde mai janta pis rahi hai, kya koi is bare mai sochta hai?

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