: साहित्यकार के घर कथित गुंडों की तलाश में सरकारी गुंडई : डीएनए चेयरमैन के पैतृक आवास पर पुलिसिया तांडव : चौरासी वर्षीय बीमार विधवा व बहू से की अभद्रता : राजनीतिक छवि धूमिल करने का प्रयास- उत्पल राय : इलाहाबाद। हमेशा बैकफुट पर रहने वाली, सही को गलत और गलत को सही साबित करने वाली सूबे की पुलिस कब, क्या कर जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।
नियम-कानूनों का हवाला देकर, खुद नियमों की धज्जियां उड़ाने में माहिर पुलिस ने आधी रात डेली न्यूज़ ऐक्टिविस्ट के चेयरमैन प्रोफेसर निशीथ राय और शहर के प्रख्यात साहित्यकार स्व. प्रो. रामकमल राय के आवास पर नग्न तांडव किया। पुलिसिया तांडव का ही परिणाम रहा कि स्व. राय की बीमार वृद्धा पत्नी घटना के दूसरे दिन भी बिस्तर पर पड़ी रहीं। बिना सर्च वारंट और महिला पुलिस के ताला तोड़ भीतर घुसी पुलिस ने घंटों मनमानी की।
आवास के हर कमरे की खाक छानने के बाद भी जब पुलिस का मन नहीं भरा तो बीमार वृद्धा और उनकी बहू के साथ अभद्रता की। ज्ञातव्य हो कि बदले की भावना और तानाशाह रवैये के लिए जानी जाने वाली मायावती सरकार को सच्चाई और आलोचना बर्दाश्त नहीं होती। यही वजह है कि इसके पहले ‘डेली न्यूज़ ऐक्टिविस्ट’ के चेयरमैन प्रो. निशीथ राय की अनुपस्थिति में लखनऊ, राजभवन स्थित आवास से पूरा सामान बाहर फेंकवा दिया गया था और अब इलाहाबाद स्थित उनके पैतृक आवास को निशाना बनाया गया। प्रो. निशीथ राय और कांग्रेस नेता उत्पल राय दोनों स्व. रामकमल राय के बेटे हैं।
गुरुवार की आधी रात जब पूरा शहर गहरी नींद में था, उसी समय जार्जटाउन एरिया के 90सी बाघम्बरी गद्दी, अल्लापुर मोहल्ला, पुलिस के सायरन से गूंज उठा। कुछ ही देर में पुलिस की दर्जनभर से अधिक गाडिय़ां इविवि के प्रोफेसर व साहित्यकार स्व. रामकमल राय के आवास के पास पहुंच चुकी थीं। स्व. राय के आवास पर दस्तक देते ही पुलिस ने दरवाजा-खिड़की पीटना शुरू कर दिया। रात के शांत माहौल में दरवाजा-खिड़की पीटे जाने की आवाज सुनकर स्व. राय की बहू के अलावा पड़ोसियों की भी नींद टूट गई और उन्होंने बाहर आकर देखा तो उनका आवास संगीनों से लैश वर्दीधारियों से घिरा था। इस पर उन्होंने आधी रात इस तरह आने का कारण पूछा।
आरोप है कि पुलिस ने न तो सर्च वारंट दिखाया और न ही कोई ठोस कारण बताया। स्व. राय की बहू द्वारा दरवाजा खोलने से इनकार करने पर पुलिस ने मकान के पिछले हिस्से में स्थित शटर का ताला तोड़ दिया। अंदर घुसने के बाद ग्रिल व छज्जे के सहारे पुलिस मकान के ऊपरी हिस्से पर पहुंच गई और वहां भी एक ताला तोड़ा। इसके बाद अंदर घुसे दर्जनों वर्दीधारियों ने वह सबकुछ किया, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। मकान के सभी कमरों की तलाशी लेने के अलावा किचन, बाथरूम और टॉयलेट तक में पुलिस ने घुसकर कोना-कोना छान मारा।
अपराधियों को खोजने के बहाने भीतर घुसी पुलिस के हाथ जब कुछ नहीं लगा तो उसने बिस्तर-कालीन और आलमारी को उलटना-पलटना शुरू कर दिया। तकरीबन घंटेभर मनमानी करने के बाद स्व. राय की बीमार पत्नी और बहू के साथ दुर्व्यवहार किया। स्व. डॉ. रामकमल राय के छोटे पुत्र व ग्रामीण आवास विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष उत्पल राय ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत मानवाधिकार, महिला आयोग, मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक से की है। श्री राय ने कहा कि वे मऊ जनपद की नत्थूपुर विधानसभा सीट से वर्ष 2002 में मामूली अंतर से चुनाव हारे थे। राजनीतिक छवि धूमिल करने और परिवार को प्रताड़ित करने की कोशिश की जा रही है। साभार : डीएनए
Comments on “यूपी पुलिस ने आधी रात स्व.प्रो. रामकमल राय के घर का ताला तोड़ा”
bsp apna news channel jansandesh aur apna akhbaar jansandesh nikal kar bauraa gayi hain. lekin bsp yeh dyaan rakh ley ki chand doyam durjey ke patakaron ko apney yaha lagakar usney koi media kharid nahi li hain. aur haa yashwant jee aapkey portel par is samay jansandesh ke sampaadak koi pratikriya nahi vyakat kar rahey hain. kya baat hain unhey dar lag raha hain ki kahin bahanjee unhey naukari se nahi nikal dey. vaisey to aapkey portel par chapey rahtey hain aur bahut bada chaapaas ka rog bhi hain unhey lekin aaj kahin dikh nahi rahey hain.
मीडिया पर आधात
लखनऊ से प्रकाशित डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट के चैयरमैन डॉ. निशीथ रॉय के पैत्रिक आवास पर मध्य रात्रि के बाद हुई पुलिसिया करवाई लोकतंत्र का गला घोटने के लिए मीडिया पर किया गया आधात है. इसकी जितनी भी निंदा की जाय कम हैं. पिछले साल भी इस दैनिक के तेवर से घबडा कर इसके चैयरमैन के आवंटित आवास को रात्रि में पुलिस भेज कर खाली कराया गया था. घर की महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया था तथा घर के सामान को बहार निकाल कर फेंक दिया गया था. शब्द-शब्द संघर्ष का मूल वाक्य और जयघोष के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लिए मीडिया के इस प्रहरी को शुरू से ही मायावती सरकार प्रताड़ित करती रही हैं. कभी बिजली कनेक्शन कटा गया तो कभी प्रिंटिंग मशीन को जब्त किया गया….. जब इसके बाद भी अख़बार समझौता के लिए तैयार नहीं हुआ तो तरह-तरह की धमकियाँ दी गयी. दरअसल शासन की चहुओर विफलता से घबराई मायावती सरकार अब पुलिस का दुरूपयोग कर आम लोगों को भयभीत करना चाहती है. अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं. उसके पहले मायावती अपने तमाम विरोधियों को सबक सिखाना चाहती हैं. लोकतंत्र के लिए यह शुभ नहीं है. महामहिम राष्ट्रपति महोदय और केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए. अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को भी करवाई करनी चाहिए…..
raja g…..naukar to aap bhi hai….ye aap nahi apki naukri bole rahi hai….kisi per ungli udhana asaan hai ….bs jhank ker dekhney ki jarurat hai….maaf kariyega….apney sampadak g ki burai nahi sun sakta…
kabhi vigyapan to kabhi ahsaan key taley roj media bik rahi hai….aap kis hose mey hai janab….raja g