वर्धा : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में सुप्रसिद्ध पत्रकार व विवि के प्रो.रामशरण जोशी ने ‘वर्धा संवाद’ की ओर से ‘भारत की राजनीतिक-अर्थव्यवस्था’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान विचार व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री का यह बयान कि ‘यदि आप (न्याय पालिका) चोटी के व्यापारियों को जेल में ठूंसेंगे तो पूंजी नियोजन कैसे होगा.. आज विकास और नियोजन को प्रोत्साहित करने की जरूरत है…’, इस पर हमें विमर्श करने की अवश्यकता है।
Tag: vardha
हिंदी विवि में फिरोज अब्बास खान ने किया त्रिदिवसीय फिल्म समारोह का उद्घाटन
: फिल्मोत्सव में कई फिल्मी हस्तियां थीं मौजूद, गांधी माई फादर रही उद्घाटन फिल्म : वर्धा, 06 सितम्बर, 2011; महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में पहली बार आयोजित त्रिदिवसीय (6-8 सितम्बर, 2011) महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का उद्घाटन कई फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक फिरोज अब्बास खान ने किया। फिरोज अब्बास खान की फिल्म गांधी माई फादर उद्घाटन फिल्म रही।
प्रेमचंद के पुनर्पाठ के लिए योग्य वारिस का होना है जरूरी : लाल बहादुर वर्मा
वर्धा : कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती व गोदान के 75 वर्ष होने के उपलक्ष्य में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के क्षेत्रीय केंद्र, इलाहाबाद में ’75वें वर्ष में गोदान : एक पुनर्पाठ’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए इतिहासबोध पत्रिका के संपादक लाल बहादुर वर्मा ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं के पुनर्पाठ के लिए योग्य वारिस का होना जरूरी है।
हिंदी समाज के लेखक-पत्रकार कितने पदलोलुप और बिकाऊ हैं, यह विभूति नारायण राय ने हमें बता दिया
: विभूति नारायण राय और राजकिशोर कथा : आओ पद-पद खेलें : कल जीटी एक्सप्रेस से राजकिशोर जी वर्धा से दिल्ली की ओर पदमुक्त होकर जाने वाले थे. उनसे खार खाए मेरे जैसे कुछ लोग इस जानकारी के बाद से खुश थे. मुझे लगा कि वर्धा आते ही एक अच्छी खबर सुनने को मिल गई, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
पत्रकार रामशरण जोशी हिंदी विवि में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त
[caption id="attachment_20741" align="alignleft" width="122"]रामशरण जोशी[/caption]वर्धा : हिंदी पत्रकारिता जगत के ख्यातिलब्ध पत्रकार व समाजविज्ञानी प्रो.रामशरण जोशी महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में प्रोफेसर के पद पर हाल ही में नियुक्त हुए हैं। करीब साढे चार दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न ओहदों पर काम करने वाले जोशी ने समाज के झंझावातों से जूझने के लिए कलम को हथियार बनाया।
अब हिंदी माध्यम से कीजिए एमबीए, बीबीए की पढ़ाई
हिंदी भाषा को ज्ञान-विज्ञान की भाषा के रूप में समृद्ध करने तथा रोज़गारोन्मुख बनाने के उद्देश्य से स्थापित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय), वर्धा ने दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस लर्निंग) के माध्यम से मैनेजमेंट के क्षेत्र में ‘मास्टर ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन(एमबीए), बैचलर ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए), पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट (पीजीडीएम), डिप्लोमा इन मैनेजमेंट (डीबीएम) के पाठ्यक्रम शुरू किया।
आलोक धन्वा की नई कविताएं
समकालीन हिंदी कविता के सुधी पाठकों के लिए यह एक अत्यंत सुखद समाचार है कि बहुपठित और बहुप्रशंसित काव्यकृति ‘दुनिया रोज बनती है’ के रचनाकार आलोक धन्वा लंबे अंतराल के बाद फिर से कविता लेखन में अपनी एक नई शुरुआत कर रहे हैं। वे १९९७ के बाद फिर कविताएं लिख रहे हैं।
वर्चस्वकारी तबका नहीं चाहता हाशिए के लोग मुख्य धारा में शामिल हों
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में ”हाशिये का समाज” विषय पर आयोजित परिसंवाद में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में सुप्रसिद्ध आदिवासी साहित्यकार व राजस्थान के आईजी ऑफ पुलिस पद पर कार्यरत हरिराम मीणा ने कहा कि समाज का वर्चस्वकारी तबका नहीं चाहता है कि हाशिये के लोग मुख्यधारा में शामिल हों। फादर कामिल बुल्के अंतरराष्ट्रीय छात्रावास में आयोजित समारोह की अध्यक्षता विवि के राइटर-इन-रेजीडेंस सुप्रसिद्ध साहित्यकार से.रा. यात्री ने की।
चोरगुरु दीपक केम बर्खास्त किए गए, वीएन राय कब भगाएंगे अनिल अंकित को?
जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली के सेंटर फार कल्चर एंड मीडिया गवर्नेस विभाग के रीडर चोरगुरु डा. दीपक केम को नकल करके पुस्तकें लिखने के मामले में बर्खास्त कर दिया गया। चोरगुरु दीपक केम और चोरगुरु अनिल के राय अंकित ने मिलकर कटपेस्ट करके जो किताब अपने नाम बनाई है उसका पृष्ठवार चोरी के दस्तावेज सहित खुलासा पत्रकारद्वय कृष्णमोहन सिंह व संजय देव ने अपने खोजपरक कार्यक्रम “चोरगुरू” में किया।
पत्रकारिता का व्यवहारिक ज्ञान लेने निकले वर्धा के विद्यार्थी
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के जनसंचार के विद्यार्थी पत्रकारिता की व्यावहारिक व तकनीकी पहलुओं से रू-ब-रू होने के लिए नागपुर के विविध मीडिया संस्थानों में शैक्षणिक भ्रमण के लिए रवाना हुए। जनसंचार के विभागाध्यक्ष प्रो.अनिल के.राय ‘अंकित’ रीडर व वरिष्ठ पत्रकार डॉ. कृपाशंकर चौबे ने जनसंचार एमए के द्वितीय छमाही के विद्यार्थियों को पत्रकारिता के सैद्धांतिक व व्यावहारिक बातें बताते हुए शैक्षणिक भ्रमण के लिए भेजा।
पंकज राग को केदार सम्मान पुरस्कार
: याद किए गए केदारनाथ अग्रवाल : कवि केदार की जनवादी लेखनी पूर्णरूपेण भारत की सोंधी मिट्टी की देन है। इसीलिए इनकी कविताओं में भारत की धरती की सुगंध और आस्था का स्वर मिलता है। यही कारण है कि उनकी कविताओं का अनुवाद रूसी, जर्मन, चेक और अंग्रेजी में हुआ है। जब चार बड़े कवियों की जन्मशती का वर्ष हो और हिंदी भाषा की सम्वृद्धि के उद्देश्य से स्थापित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा ‘बीसवीं सदी का अर्थ : जन्मशती का सन्दर्भ’ श्रृंखला का आयोजन किया गया।
साहित्यकार सेवा राम यात्री बने हिंदी विश्वविद्यालय के राइटर-इन-रेजीडेंस
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार से.रा. यात्री (सेवा राम यात्री) राइटर-इन-रेजीडेंस के रूप में नियुक्त हुए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें महात्मा गांधी पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की है, आगामी 19 मई के कार्यक्रम में उन्हें दो लाख रूपये की राशि, सरस्वती की कांस्य प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र व शॉल प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा।
मुश्किलों के बावजूद जीवनभर लोगों को हंसाते रहे अश्क
: जन्मशती संदर्भ श्रृंखला में याद किए गए उपेंद्रनाथ : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा ‘बीसवीं सदी का अर्थ : जन्मशती का सन्दर्भ’ श्रृंखला के तहत ‘उपेन्द्रनाथ अश्क की जन्मशती’ पर विश्वविद्यालय के इलाहाबाद क्षेत्रीय विस्तार केंद्र में ‘अश्क साहित्य में अभिव्यक्त समय और समाज’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई।
”केदारनाथ से बात करना रोमांचकारी अनुभव था मेरे लिए”
: जन्मशती श्रृंखला समारोह आयोजित : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा ‘बीसवीं सदी का अर्थ : जन्मशती का सन्दर्भ’ श्रृंखला के तहत ‘केदारनाथ अग्रवाल की जन्मशती पर आयोजित दो दिवसीय समारोह के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि बांदा में आकर केदारजी जैसे जनकवि को याद करना एक तरह से अलग व अनूठा प्रयास है। इलाहाबाद व गाजियाबाद में जब भी उनसे मुलाकात होती थी उनसे वार्तालाप करना ही एक रोमांचकारी अनुभव था मेरे लिए। उनकी बातचीत में आमजनों की पीड़ा स्पष्ट रूप परिलक्षित होती थी।
सवर्णों ने पैदा की है जाति व्यवस्था : राजकिशोर
: हिंदी विवि में डॉ. अम्बेडकर जयंती पर वैचारिक विमर्श आयोजित : भारतीय संविधान के निर्माता, भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती के अवसर पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर रचित संविधान बीसवीं शताब्दी का सबसे बड़ा ग्रंथ है। यह ग्रंथ उत्पीडि़त अस्मिताओं की मुक्ति का महाख्यान है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान और वर्धा विश्वविद्यालय के खिलाफ जांच शुरू!
प्रीति सागर नामक किसी सज्जन या सज्जनी ने एक मेल भड़ास4मीडिया के पास भेजा है जिसमें कुछ गंभीर किस्म की जानकारियां दी गई हैं. कुछ घपलों-घोटालों के बारे में उन्होंने बात कही है. उनकी बातों की चपेट में वर्धा स्थित अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय भी है जो अपनी आंतरिक राजनीति के कारण अक्सर चर्चा में रहता है पर हाल के कई महीनों से वर्धा से किसी नए बखेड़े की कोई खबर नहीं आई. वर्धा से बहुत दिनों से सिर्फ अच्छी-अच्छी खबरें ही आ रही हैं.
उग्र वामपंथ के मुद्दे पर वर्धा घोषणा पत्र जारी
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा ने ‘भारत में उग्र वामपंथ के मुद्दे’ विषय़ पर एक घोषणा पत्र जारी कर समस्या के समाधान की प्रत्याशा में राष्ट्रीय पहल की है। विश्वविद्यालय के कुलपति विभूतिनारायण राय के निमंत्रण पर देशभर से आए चिंतकों ने गत 30 व 31 मार्च 2011 को इस विषय पर गंभीर विमर्श करने के बाद यह घोषणा पत्र जारी किया।
भारत में उग्र वामपंथ के मुद्दे पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में भारत में उग्र वामपंथ के मुद्दे विषय पर आयोजित दो दिवसीय (30-31 मार्च) राष्ट्रीय संगोष्ठी के उदघाटन समारोह में भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व अध्यक्ष व न्यायमूर्ति पीबी सावंत ने कहा है कि वर्तमान की सारी समस्याओं का हल लोकतंत्र है। कार्पोरेट सेक्टर चाहते हैं कि आप मौन रहें ताकि वे मुनाफा कमा सकें। माओवाद नक्सलवाद का एक रूप है। क्या आजतक आम जनता को माओवाद के मूल कारणों की जानकारी किसी ने दी है।
अमेरिका तय करने लगा है लोकतंत्र का मतलब : प्रो. तुलसीराम
: वर्धा में ‘इस्लामिक देशों में लोकतंत्र का भविष्य’ विषय पर चर्चा : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के फैकल्टी एण्ड ऑफिसर्स क्लब द्वारा ‘इस्लामिक देशों में लोकतंत्र का भविष्य’ विषय पर आयोजित चर्चा के दौरान जनवादी व दलित चिंतक और जेएनयू, नई दिल्ली के प्रो. तुलसीराम ने कहा कि आज डेमोक्रसी मोबोक्रेसी में बदल गया है। अमेरिका अपनी नीतियों को मनवाने के लिए डेमोक्रेसी के नाम पर जनता की भीड़ को सड़क पर उतार देता है। जहां-जहां उनके समर्थक सत्ता में आ जाते हैं उसे ही वे डेमोक्रेसी कहते हैं। आज डेमोक्रेसी से तात्पर्य हो गया है कि हम अमेरिका की विदेश नीति को मानें।
नागार्जुन की कविताओं में आमजन की जिंदगी के रंग हैं
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा पटना स्थित एएन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में नागार्जुन जन्मशती के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय समारोह में देशभर के साहित्यकारों के विमर्श का लब्बोलुआब था कि नागार्जुन जनकवि थे। ‘बीसवीं सदी का अर्थ : जन्मशती का संदर्भ’ श्रृंखला के तहत नागार्जुन एकाग्र पर आयोजित समारोह के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति व वरिष्ठ कथाकार विभूति नारायण राय ने की।
गांधी ने पत्रकारिता को बनाया परिवर्तन का हथियार : गिरिराज किशोर
: हिंदी विवि के जनसंचार विभाग द्वारा ‘मीडिया संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित ‘मीडिया संवाद’ कार्यक्रम में ‘वर्तमान संदर्भ में गांधीजी की पत्रकारिता की प्रासंगिकता’ विषय पर उद्बोधन देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री गिरिराज किशोर ने कहा कि गांधीजी ने पत्रकारिता को परिवर्तन का हथियार बनाया था। जब वे दक्षिण अफ्रीका गए तो उन्होंने देखा कि ‘गिरमिटिया’ के अनुबंध पर गए भारतीय मजदूरों के साथ वहां के शासक शोषण व अत्याचार करते हैं। उन्होंने वहां चार भाषाओं-तमिल, हिंदी, गुजराती, अंग्रेजी में ‘इंडियन ओपीनियन’ नामक पत्र निकाला। अंग्रेज प्रतीक्षा करते थे कि गांधीजी की पत्रिका कब आएगी, उसमें गांधीजी ने क्या कहा, राजनीति के बारे में उनकी क्या योजना है। गांधीजी अपने पत्र में सामयिक, राजनीतिक, सरकार की नीतियों पर छोटी-छोटी टिप्पणी लिखा करते थे।
ब्लॉग अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम
: वर्धा में चल रहे चार दिवसीय स्त्री अध्ययन का समापन : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा व भारतीय स्त्री अध्ययन संघ के संयुक्त तत्वावधान में 21से 24 जनवरी को आयोजित स्त्री अध्ययन के 13 वें राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन बौद्धिक विमर्श के साथ आज हुआ। देश-विदेश से स्त्री विमर्श के लिए वर्धा में आयी तकरीबन 650 स्त्री अध्ययन अध्येताओं ने वर्धा महासम्मेलन को सफल करार दिया। चार दिनों से चल रहे महासम्मेलन में हाशिएकरण का प्रतिरोध और वर्चस्व को चुनौती विषय पर हिंदी विश्वविद्यालय में यह आयोजन किया गया था।
पुरुष के बदले बिना समाज नहीं बदलेगा
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा व भारतीय स्त्री अध्ययन संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित स्त्री अध्ययन के 13 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन रविवार को मध्य भारत की नारीवादी आंदोलन से जुड़ी कार्याकर्ताओं ने ‘तुम बोलोगी, मुंह खोलोगी, तभी तो जमाना बदलेगा’ से स्त्री विमर्श को नया आयाम दिया।
दक्षिण एशियाई प्रतिरोधी लेखन पर साझा हुए अनुभव
: हाशिएकरण का प्रतिरोध और वर्चस्व को चुनौती देने के लिए वर्धा में स्त्री अध्ययन महासम्मेलन के दूसरे दिन पाकिस्तान जाहिदा हिना, बांग्लादेश की शाहिन अख्तर व श्रीलंका की पेन्या ने किया रचनाओं का पाठ : वर्धा : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा व भारतीय स्त्री अध्ययन संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित स्त्री अध्ययन के 13 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को पाकिस्तान की लेखिका जाहिदा हिना, बांग्लादेश की शाहिन अख्तर, श्रीलंका से आयी पेन्या ने अपने अनुभ्ावों को साझा करते हुए स्त्री अध्ययन को गंभीर विमर्श से जोडा।
चुनौती के अलावा कोई और विकल्प नहीं
: वर्धा में चल रहे स्त्री अध्ययन सम्मेलन का दूसरा दिन : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा व भारतीय स्त्री अध्ययन संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित स्त्री अध्ययन के 13वें राष्ट्रीय सम्मेलन के उदघाटन अवसर पर भारतीय स्त्री अध्ययन संघ की अध्यक्ष अनीता घई ने कहा कि हमें महिला जीवन के विविधता व उनके अंतर-संबंध को समझने की जरूरत है और विभिन्न वर्गों के हाशिएकरण में छिपे संरचनात्मक असमानता को पहचानने की जरूरत है।
स्त्री अध्ययन का पांच दिवसीय सम्मेलन वर्धा में
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा व भारतीय स्त्री अध्ययन संघ के संयुक्त तत्वावधान में स्त्री अध्ययन के 13 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतर्गत पांच दिवसीय सम्मेलन में ‘हाशिएकरण का प्रतिरोध, वर्चस्व को चुनौती : जेंडर राजनीति की पुनर्दृष्टि पर गंभीर विमर्श करने के लिए गांधीजी की कर्मभूमि वर्धा में देशभर के 650 स्त्री अध्ययन अध्येताओं का सम्मेलन हो रहा है। हर चौथे वर्ष आयोजित होने वाले स्त्री अध्ययन संघ का यह अधिवेशन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में हो रहा है, इसके पहले 11वां अधिवेशन गोवा में और 12 वां लखनऊ में आयोजित किया गया था।
ओरिएंटेशन प्रोग्राम में सम्मिलित हुए हिंदी के विदेशी शिक्षक
हिंदी भाषा और साहित्य की अभिवृद्धि तथा विकास, हिंदी में आधुनिक विमर्शों व अंतरानुशासनिक विषयों का अध्ययन तथा शोध, हिंदी को अधिक प्रकार्यात्मक दक्षता और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के उद्देश्य से स्थापित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में पहली बार विदेशी हिंदी अध्यापकों के लिए 13 दिनों का अभिविन्यास (ओरिएंटेशन) कार्यक्रम सम्पन्न्ा हुआ। हिंदी भाषा की शिक्षण प्रविधि पर आयोजित अभिविन्यास कार्यक्रम में क्रोएशिया, जर्मनी, थाईलैण्ड, मॉरीशस तथा चीन के हिंदी अध्यापकों ने सहभागिता की।
अद्वितीय लिपि है देवनागरी
: हिंदी विवि में दिखायी गयी ‘देवनागरी लिपि और हमारी वर्णमाला एक अभिनव परिचय’ नामक डाक्यूमेंट्री : मराठी भाषा के गंभीर अध्येता, लेखक व ‘सुधारक’ के संपादक दिवाकर मोहनी ने कहा है कि देवनागरी लिपि अद्वितीय है क्योंकि इसमें व्यंजन और स्वर एक साथ लिखे जाते हैं। श्री मोहनी महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के आखर अद्यतन श्रृंखला के तहत हबीब तनवीर सभागार में आयोजित एक गरिमामय समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह का आयोजन श्री मोहनी द्वारा बनाई गई डाक्यूमेंट्री ‘देवनागरी लिपि और हमारी वर्णमाला एक अभिनव परिचय’ के प्रदर्शन व उनसे संवाद के लिए किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने की।
पत्रकारों को मानव कचरा बना रहे मीडिया हाउस
: वैकल्पिक मीडिया भविष्य की मीडिया : दैनिक हिन्दुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार व उपन्यासकार प्रदीप सौरभ्ा ने कहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमतियों का अहम स्थान है। असहमतियों को पत्रकारिता में उचित स्थान मिलता था, पर आज पत्रकारिता में असहमतियां गायब हो रही हैं तथा विचारों को लगभग समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
गूगल को पत्रकारिता का पर्याय न मानें : पुण्य प्रसून
: ‘इलेक्ट्रानिक मीडिया – वस्तुनिष्ठ प्रसारण की जिम्मेदारी’ पर विमर्श : सुपसिद्ध टीवी पत्रकार और स्तंभकार पुण्य प्रसून वाजपेयी ने पत्रकार को अपना कैनवास बड़ा करने की बात कही। वे रविवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के जनसंचार विभाग की ओर से पत्रकारिता के भीष्म पितामह कहे जाने वाले संपादकाचार्य बाबूराव विष्णु पराडकर की स्मृति पर्व पर ‘मिशनरी पत्रकारिता : संदर्भ और प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के तृतीय अकादमिक सत्र के दौरान ‘इलेक्ट्रानिक मीडिया : वस्तुनिष्ठ प्रसारण की जिम्मेदारी’ सत्र के दौरान बतौर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
कलम का धर्म खामोश होगा तो नया महाभारत होगा
: हिंदी विवि में ‘हिंदी पत्रकारिता – मिशनरी के दीपस्तंभ गांधी, पराडकर, राजेन्द्र माथुर व प्रभाष जोशी के संदर्भ’ में विमर्श : दैनिक भास्कर के समूह संपादक प्रकाश दूबे ने पत्रकारों को सामाजिक सरोकारों से जुड़ने की बात कही। वे रविवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के जनसंचार विभाग की ओर से पत्रकारिता के भीष्म पितामह कहे जाने वाले संपादकाचार्य बाबूराव विष्णु पराडकर की स्मृति पर्व पर ‘मिशनरी पत्रकारिता : संदर्भ और प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के चतुर्थ अकादमिक सत्र ‘हिंदी पत्रकारिता : मिशनरी के दीपस्तंभ गांधी, पराडकर, राजेन्द्र माथुर व प्रभाष जोशी के संदर्भ’ विषय पर आयोजित सत्र के दौरान वक्तव्य दे रहे थे।
पांचवें खंभे से दूर होती जा रही पत्रकारिता
: वर्धा में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी : सांस और संचार का अटूट रिश्ता है, इस रिश्ते को बनाने में पत्रकारिता की महती भूमिका है। पराडकरजी मराठी भाषी होते हुए भी उन्होंने ‘मी मराठी की बजाय मी भारतकर’ की अलख जगाई। उन्होंने पत्रकारिता को वृति से नहीं अपितु व्रत से देश की दिशा तय करने में अपना अमूल्य योगदान दिया पर आज पत्रकारिता बाजारीकरण का अंग बन चुका है। लोकतंत्र का चौथा खंभा अगर मीडिया है तो आम आदमी लोकतंत्र का पांचवां खंभा है। इस पांचवें खंभे पर मीडिया के कैमरे की नजर नहीं जा पा रही है। हालांकि 50 फीट गढ्ढे में प्रिंस को बचाए जाने में मीडिया की भूमिका सराहनीय रही परन्तु प्रिंस एक प्रतीक मात्र है। लोकतंत्र में मीडिया के मिशन का तत्व जीवित रहेगा। उक्त विचार महामना पंडित मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान, वाराणसी के प्रो.राममोहन पाठक ने व्यक्त किए।
हाशिमपुरा कर्ज की तरह मेरे सिर पर लदा था, उसे अब मैं उतार रहा हूं : वीएन राय
[caption id="attachment_18294" align="alignleft" width="309"]वीएन राय[/caption]: इंटरव्यू : वीएन राय, कुलपति (महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय) : विभूति नारायण राय का इंटरव्यू, वादे के अनुरूप प्रकाशित किया जा रहा है लेकिन इसे टेक्स्ट फार्म में नहीं दे पा रहे हैं, इसके लिए माफी चाहता हूं. वेब मीडिया की खासियत है कि इसमें प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और रेडियो, सभी मीडिया माध्यम समाहित हैं. सो, यह तय किया कि अगर वीडियो फार्मेट में इंटरव्यू है तो इसे टेक्स्ट में रूपांतरित करने जैसा थोड़ा मुश्किल काम क्यों किया जाए. दूसरे, वीडियो या इलेक्ट्रानिक फार्मेट जब अपने आप में कंप्लीट फार्मेट है तो उसका प्रिंट फार्म क्यों जनरेट किया जाए. सो, जस का तस रख दिया गया है पूरा इंटरव्यू. और, इसी बहाने भड़ास4मीडिया के इंटरव्यू सेक्शन में ये पहला वीडियो इंटरव्यू प्रकाशित करने का नया रिकार्ड भी कायम हो रहा है.
वीएन राय, ब्लागिंग और मेरी वर्धा यात्रा
[caption id="attachment_18266" align="alignnone" width="505"]विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के ठीक बगल में लिखे नाम के साथ तस्वीर खिंचवाता मैं.[/caption]
वर्धा में भले सिर्फ दो, सवा दो दिन रहा, लेकिन लौटा हूं तो लग रहा है जैसे कई महीने रहकर आया हूं. जैसे, फेफड़े में हिक भर आक्सीजन खींचकर और सारे तनाव उडा़कर आया हूं. आलोक धन्वा के शब्दों में- ”यहां (वर्धा में) आक्सीजन बहुत है”. कई लोगों के हृदय में उतर कर कुछ थाह आया हूं. कुछ समझ-बूझ आया हूं. कइयों के दिमाग में चल रहीं तरंगों को माप आया हूं. दो दिनी ब्लागर सम्मेलन के दौरान विभूति नारायण राय उर्फ वीएन राय उर्फ पूर्व आईपीएस अधिकारी उर्फ शहर में कर्फ्यू समेत कई उपन्यास लिखने वाले साहित्यकार उर्फ महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति, ये सब एक ही हैं, से कई राउंड में, मिल-जान-बतिया आया हूं.