मुद्दा टीम अन्ना नहीं भ्रष्टाचार है

: ज़रूरत भारतीय जनमानस को समझने की है : “अन्ना सही हैं; अन्ना ग़लत हैं; अन्ना राजनीति कर रहे हैं, टीम अन्ना में फूट हो गई है; अन्ना फैक्टर की वजह से कांग्रेस उपचुनाव हारी है, अन्ना संघ के हाथों में खेल रहे हैं; लोकपाल बनाने से क्या भ्रष्टाचार मिट जाएगा, इतने क़ानून आए क्या भ्रष्टाचार मिटा?” इन तमाम प्रश्नों के बीच में मूल प्रश्न कहीं खो गया है।

मीडिया की स्‍वतंत्रता पर नकेल कसने की साजिश

गांधी ने कहा था कि “समाचार के उद्देश्यों में से एक है जनभावनाओं को समझना और उन्हें अभिव्यक्त करना; दूसरा है जनता में कुछ वांछित व न्यायोचित भावनाओं को उभारना और तीसरा है समाज के गुण-दोषों को उजागर करना”। क्या भारत प्रजातांत्रिक संस्थाएं जिनमें मीडिया भी है इन अवधारणाओं पर खरी नहीं उतरी हैं?

प्रजातंत्र के मंदिर से नहीं, पुजारियों से डिगी है आस्‍था

लोकपाल विधेयक या यूं कहें कि जनलोकपाल विधेयक की चर्चा के दौरान नेताओं ने संसद में बोलते हुए बार-बार याद दिलाया कि संसद प्रजातंत्र का मंदिर है। प्रकारान्तर से जो इस मंदिर में बैठे हैं यानि सांसद वह इसके पुजारी हैं। पुजारियों के लिए कुछ आचार-संहिता बनी हुयी है। अगर वह आचार-संहिता से इतर कोई काम करता है तब भक्तों का विश्वास मंदिर से नहीं बल्कि पुजारी से उठता है।

भारतीय मीडिया और विकिलीक्स

[caption id="attachment_20895" align="alignleft" width="99"]एनके सिंह [/caption]एक प्रशिक्षु जर्नलिस्ट को भी जो पहला पाठ पढ़ाया जाता है वह यह कि अपने तथ्यों को जनता के बीच देने के पहले क्रॉस चेक करे। भारतीय दण्ड संहिता(आई.पी.सी) की धारा 499 में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि आरोप लगाने वाला व उसे प्रकाशित करने वाला समान रूप से दोषी होता है।

यह डिब्बा बंद नहीं होगा नेताजी

[caption id="attachment_20895" align="alignleft" width="99"]एनके सिंह [/caption]आज़ादी मिलने के कुछ दिनों बाद पंडित जवाहरलाल नेहरु ने कहा था कि अगर हमें एक स्वतंत्र प्रेस जो अराजक होकर नकारात्मक भूमिका निभा रहा हो और एक ऐसा प्रेस जो नियंत्रित हो, के बीच चुनाव करना हो तो मैं पहले विकल्प को चुनूंगा। लगभग 64 साल बाद जदयू के नेता शरद यादव ने संसद में अपने भाषण में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को डिब्बे की संज्ञा देते हुए बंद करने की वकालत की।

भ्रष्टाचार रोकने के लिए कानून की कम, हजारों अन्ना की जरूरत ज्यादा

किसी ने गणना की थी कि इस दुनिया में करीब तीन करोड़ तीस लाख कानून हैं। अगर दुनिया के लोग बाइबिल के टेन कमांडमेंट्स या गीता का निष्काम कर्म या कुरान की कुछ पवित्र आयतों को मानने लगें, तो शायद एक भी कानून की जरूरत न पड़े। लेकिन हमने न तो पवित्र ग्रंथों से कुछ सीखा, न ही इतने सारे कानूनों के बावजूद अपराध रुक पाए। भ्रष्टाचार दरअसल नैतिक प्रश्न ज्यादा है।

भूत, भभूत और भय से आगे की खबरों का दौर

भविष्यवाणी, भूत-प्रेत, भय, भभूत भारतीय न्यूज मीडिया से खत्म हो चुके हैं या जल्द ही खत्म होने जा रहे हैं। इसलिए नहीं कि इनकी टीआरपी नहीं है, बल्कि इसलिए कि चैनलों में शीर्ष के स्तर पर एक नया दायित्व-बोध उभरा है।

अवमानना का डर ना होता तो पीएम मीडिया की तरह कोर्ट की भी आलोचना कर देते

एनके सिंह केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, कांग्रेस या यह कहिए कि यूपीए की तरफ से डीएमके के नेता करुणानिधि के पास सजदा करने गए थे। सजदा करते-करते उन्होंने यह प्रस्ताव रखा कि वो अपने तीन रिश्तेदारों जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्रिमण्डल से बाहर होना पड़ा है, की जगह तीन नए लोग दे दें उन्हें मंत्रिमण्डल में ले लिया जाएगा।

एनके सिंह करेंगे शलभ के साथ हुई घटना की जांच

: बीईए ने विज्ञप्ति जारी कर लखनऊ में हुई घटना की निंदा की : लखनऊ में आईबीएन7 के पत्रकारों के साथ पुलिस द्वारा की गई मारपीट एवं अभद्रता की घटना की घटना से बीईए काफी नाराज है. इस पूरे मामले की जांच ब्रॉडकास्‍ट एडिटर्स एसोसिएशन की एक टीम करेगी. चार सदस्‍यीय इस जांच टीम का नेतृत्‍व बीईए के महासचिव एवं वरिष्‍ठ पत्रकार एनके सिंह करेंगे.

जो चैनल दिल्ली से निकला वह राष्ट्रीय, और राष्ट्रीय चैनल जो कहे-करे वही सत्य

एनके सिंह: रीजनल चैनलों को बाजारी ताकतों की साजिश से लड़ना होगा : सरकार भी बाजारी ताकतों पर नकेल कसे ताकि आम जनता की आवाज कहीं घुटकर न रह जाए : इन टीआरपी मीटर्स ने क्षेत्रीय चैनलों का काफी नुकसान किया : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जो दो कदम उठाए, वे प्रशंसनीय हैं :

भारतीय राजनीति का घिनौना चेहरा

एनके सिंह भारतीय राजनीति भ्रष्‍ट है. असंवेदनशील है. जनकल्‍याण से दूर होती जा रही है. अपनी सार्थकता खोती जा रही है. ये सारे आरोप दरकिनार. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के नए रहस्‍योद्घाटन ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि अब यह घिनौनी होती जा रही है.

प्रभात डबराल का साधना से इस्तीफा

[caption id="attachment_18304" align="alignleft" width="77"]प्रभात डबरालप्रभात डबराल[/caption]: उत्तराखंड के इनफारमेशन कमिश्नर बने : साधना ग्रुप से बड़ी खबर है. प्रभात डबराल ने इस्तीफा दे दिया है. साधना न्यूज नाम से कई चैनल लांच कराने वाले और इन चैनलों को स्थापित करने वाले प्रभात डबराल नई पारी उत्तराखंड राज्य के सूचना आयुक्त के रूप में शुरू करने जा रहे हैं.

एनके देख रहे साधना, प्रभात को लेकर चर्चाएं

साधना न्यूज में अंदरखाने सरगर्मी बढ़ी हुई है. एनके सिंह को नोएडा स्थित मुख्यालय लाकर बिठा दिया गया है. वे अभी तक झंडेवालान स्थित ब्यूरो आफिस बैठते थे. उन्हें साधना न्यूज के तीनों न्यूज चैनलों का इंचार्ज बना दिया गया है. मार्केट में कई दिनों से चर्चा फैली है कि प्रभात डबराल किनारे कर दिए गए हैं या प्रभात डबराल ने इस्तीफा दे दिया. चैनल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रभात डबराल से भड़ास4मीडिया ने जब इस बारे में संपर्क किया तो उनका कहना था कि कई नए न्यूज चैनलों को लांच करने की तैयारी चल रही है. काम काफी बढ़ चुका है. ऐसे में एनके सिंह को चैनलों का प्रभारी बनाए जाने का फैसला उनकी पहल पर, सहमति से और जानकारी में रखते हुए हुआ है.

फिर कौन करेगा इन संपादकों का सम्मान!

nk singh: जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए उसे सेलिब्रिटी बना दिया : किसी संस्थान की प्रासंगिकता खत्म हो जाने के बावजूद मीडिया की भूमिका खत्म नहीं हो जाती। इसका काम उन लोगों को सामने लाना है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पटरी से उतारने में लिप्त हैं। समाचार चैनल यदि लोकतंत्र में अपनी जगह बनाए रखना चाहते हैं, तो उन्हें मनोरंजन चैनलों से फुटेज लेना बंद करना होगा। तथाकथित मनोरंजन कार्यक्रम अधिकांशत: अश्लील हैं।

Crime Reporting

NK SinghThis article has been written for young journalists who are being initiated into the profession and who have opted for very challenging beat—Crime Reporting. Written by N K Singh, Consulting Editor, Sadhna News and General Secretary, Broadcast Editors’ Association (BEA)


:: Crime coverage :: “The criminal law represents the pathology of civilization”, Morris Cohen, Russian -born American philosopher : Professionally speaking, it is one of the best beats in which your contribution to the cause of journalism is unparallel. And perhaps among all kinds of human events, it has the widest length and breadth.

Govt again on muzzle media move

NK Singh: Task Force presents its Black draft : “A judge cannot sit in his own judgment” thus goes the argument preferred by the Union Information and Broadcasting Ministry officials who have prepared a draft for regulating media under the soothing  phrases like “co-regulation” “independent body” and Broadcast Authority.

एनके सिंह की नई पारी साधना समूह के साथ

ईटीवी से पिछले दिनों इस्तीफा देने वाले एनके सिंह ने नई पारी की शुरुआत साधना समूह के साथ करने का फैसला लिया है. एनके सलाहकार के रूप में साधना न्यूज को अपनी सेवाएं देंगे. माना जा रहा है कि साधना समूह के नेशनल ब्यूरो को एनके सिंह हेड करेंगे. भड़ास4मीडिया से कल शाम बातचीत में एनके सिंह ने साधना न्यूज के साथ नई पारी की शुरुआत के बारे में पुष्टि की.

नए राज्यों में ईटीवी के विस्तार की योजना तैयार

जगदीश चंद्रा उत्तर भारत के सबसे प्रभावशाली इलेक्ट्रानिक मीडिया संचालक बन जाएंगे : खबर है कि ईटीवी प्रबंधन कई नए राज्यों में अपने न्यूज चैनल्स लांच करने की योजना बना रहा है. अभी तक दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल आदि प्रदेशों के लिए ईटीवी के न्यूज चैनल्स नहीं हैं. सूत्रों के मुताबिक उत्तर भारत में ईटीवी के संचालन के सभी अधिकार हासिल कर लेने वाले जगदीश चंद्रा उत्तर भारत के जिन प्रदेशों में ईटीवी के न्यूज चैनल नहीं है, वहां भी इस चैनल को लांच कराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

रामोजी राव संग काम करना स्पीरिचुवल प्लीजर

NK Singhइंटरव्यू : एनके सिंह (वरिष्ठ पत्रकार) : ईटीवी की व्यूवरशिप बहुत है पर टीआरपी नहीं, ऐसा फाल्टी टीआरपी सिस्टम के कारण : ईटीवी से अलग होना मेरा खुद का फैसला, नाराजगी बिलकुल नहीं है : मैं बहुत डिसीप्लीन्ड आदमी हूं :

अजय सेतिया बने ईटीवी, हिंदी चैनल्स के ब्यूरो चीफ

खबर है कि एनके सिंह के इस्तीफा देने के बाद प्रबंधन ने ईटीवी के दिल्ली ब्यूरो को दो भागों में विभाजित कर दिया है. एक ब्यूरो होगा ईटीवी के हिंदी चैनलों का. दूसरा ब्यूरो नान-हिंदी चैनलों का होगा. ईटीवी के हिंदी चैनल्स के ब्यूरो का चीफ अजय सेतिया को बनाया गया है. अजय सेतिया ने अभी हाल में ही राजस्थान पत्रिका के पोलिटिकल एडिटर का पद छोड़ा है. ईटीवी के नान-हिंदी चैनल्स का ब्यूरो चीफ वी. श्री हर्षा को बनाया गया है. वी. श्री हर्षा अभी तक दिल्ली में रहते हुए न्यूज कोआर्डिनेटर का काम करते थे.

एनके सिंह ने ईटीवी से इस्तीफा दिया

[caption id="attachment_17022" align="alignleft" width="102"]एनके सिंहएनके सिंह[/caption]ईटीवी के पोलिटिकल एडिटर और पूरे ग्रुप के एडिटोरियल हेड एनके सिंह ने ईटीवी को गुडबाय बोल दिया है. वे करीब दस वर्षों से इस मीडिया समूह के साथ थे. बिहार के सिवान जिले के निवासी एनके सिंह की पढ़ाई-लिखाई लखनऊ में हुई और लखनऊ में ही नेशनल हेराल्ड से पत्रकारीय करियर की शुरुआत की. वे हेराल्ड में पांच वर्ष रहे. उसके बाद दी पायनियर अखबार के साथ हो लिए.

पागल करने वाली टीआरपी होड़ : एनके सिंह

सन् 1948 में पुनर्संगठित सीआईए के निदेशक ने अपने कर्मचारियों से कहा था, आपकी सफलताएं शायद ही कोई जान पाता है, पर आपकी एक भी असफलता पूरी दुनिया में नगाड़े की तरह बजती है। भारतीय मीडिया का भी कमोबेश यही हालत है। राठौर के करतूतों को सामने लाना और वो भी तब, जबकि एक छोटी सी सजा के रास्ते से वह अपने सारे गुनाहों को मुंह चिढ़ाते व मुस्कुराते हुए निकल रहा हो, एक बड़ी उपलब्धि है। ठीक उसी के कुछ दिन बाद आंध्र प्रदेश के कुछ चैनलों की करतूत ने भारतीय मीडिया को शर्मसार कर दिया। जनता की नजरों में मीडिया का ग्राफ फिर नीचे हो गया। संस्थाओं के ग्राफ को चढ़ाने-उतारने में व्यक्तिगत लोगों व संगठनों की बड़ी भूमिका होती है। आंध्र प्रदेश के तीन चैनलों ने जिस तरह से देश के एक औद्योगिक घराने का नाम लिया और कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्‍डी की मौत के पीछे इनका ही हाथ है और यह कि दुर्घटना महज एक इत्तफाक नहीं, बल्कि एक साजिश का हिस्सा है, इन चैनलों का एक बहुत ही भौंडा कृत्य था।