आजकल जिन मीडिया घरानों के पास कथित रूप से पत्रकारिता का ठेका है, वे पत्रकारों को पत्रकार नहीं बल्कि दलाल बनाने में लगे हुए हैं. वे अपने संपादकों को संपादक कम, लायजनिंग अधिकारी ज्यादा बनाकर रखते हैं. ताजा मामला हिंदुस्तान टाइम्स जैसे बड़े मीडिया हाउस का है. बिड़ला जी के इस मीडिया घराने की मालकिन शोभना भरतिया हैं. उनके हिंदी अखबार के प्रधान संपादक शशि शेखर हैं.
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मीडिया की भी लक्ष्मण रेखा है
लक्ष्मण रेखा के उस पार सफलता का उजाला नहीं बल्कि असफलता का जिल्लत भरा अंधेरा है। क्या हमारे देश के पत्रकार और मीडिया संस्थान ‘न्यूज ऑफ द वर्ल्ड’ के अंजाम से कुछ सबक लेंगे? एक चौथाई से ज्यादा सदी बीत चुकी है। उन दिनों मैं नया-नया पत्रकार हुआ था और जमीन-आसमान एक कर देने का जोश तन-मन में हर दम हिलोरें लेता रहता था। उन्हीं इलाहाबादी दिनों में एक किताब हाथ लगी- द आलमाइटी।
बड़े अखबार की छोटी सोच ने शशि शेखर को गायब कर दिया
खुद को दुनिया का सबसे बड़ा अखबार बताने वाले दैनिक जागरण की सोच कितनी छोटी है इसका अंदाजा चार मई को दैनिक जागरण के आगरा एडिशन में प्रकाशित एक समाचार से ही लगाया जा सकता है। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे पर आगरा में आयोजित एक कार्यक्रम में भी दैनिक जागरण समूह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी हिंदुस्तान के साथ अपनी प्रतिस्पर्द्धा को अनदेखा नहीं कर पाया।
शशि शेखर एवार्ड पाने के लिए लाबिंग करा रहे हैं!
राडिया टेप कांट्रोवर्सी अभी ठीक से शांत भी नहीं हुई कि एक नया मामला उजागर हो गया है. यह प्रकरण भी लाबिंग का जीता-जागता प्रमाण है. इस प्रकरण के चपेटे में शशि शेखर आए हैं. द संडे गार्जियन में छपी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो हिंदुस्तान अखबार के एक रिपोर्टर ने अपने प्रधान संपादक शशि शेखर को पदमश्री टाइप एवार्ड दिए जाने के लिए आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के मीडिया सेल के प्रभारी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी से एक चिट्ठी राष्ट्रपति को लिखवाने में सफलता पाई है.
भोपाल त्रासदी, पत्र, फंड और टाटा
रतन टाटा टेप मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं. नीरा राडिया फोन-टैप लीक मामले में. अब तक देश की जनता इन्हें ईमानदार मानती रही है. लेकिन इनकी एक कहानी और भी है जिससे इनकी ईमानदारी, नीयत पर शक होता है. हम भारतीयों की आदत है. पैसे वालों का लाख गुनाह हमें दिखता नहीं. और गुनहगार रतन टाटा जैसा आदमी हो तो बिल्कुल भी नहीं.
यह एडिटर कैसा एडिटर है…
: शशि शेखर ने अपने साप्ताहिक आलेख में फिर की गलती! : हिन्दुस्तान के संपादक शशि शेखर कभी इतिहास की तारीखें बदल देते हैं तो कभी इतिहास। वे गलत लेखन के लिए माफी भी मांग चुके हैं, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता है। गलतियां चालू हैं। क्या इस ताजी गलती के लिए वे माफी मागेंगे, अपनी सुधी पाठकों और इब्ने इंशा से। मुश्किल यह है कि शशि शेखर अपने हिन्दुस्तान के कर्मचारियों की तरह पाठकों को भी मूर्ख समझते हैं। इसलिए कुछ भी लिख डालते हैं। ताजा बदलाव कविताओं में किया है। हिन्दुस्तान में हर रविवार प्रकाशित होने वाले शशि शेखर के ”आजकल” कालम में 14 -11-10 के अंक में शशि शेखर ने फिर से कमाल किया है।
महाश्वेता का ‘हिंदुस्तान’ में कालम लिखने से इनकार
: वरिष्ठ पत्रकारों को निकाले जाने से खफा हैं महाश्वेता : शोभना भरतिया को पत्र लिख छंटनी के तरीके पर आपत्ति जताई : हिंदी की प्रख्यात लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट महाश्वेता देवी ने हिंदुस्तान अखबार में स्तंभ लिखना बंद करने का फैसला किया है. इस बारे में उन्होंने हिंदुस्तान और हिंदुस्तान टाइम्स को संचालित करने वाली कंपनियों की चेयरपर्सन शोभना भरतिया को पत्र लिखा है.
सुधांशु महराज उर्फ छोटे शशि शेखर
: पुराने हिन्दुस्तानी हिंदुस्तान से जाएं तो जाएं कहां : नई दिल्ली। किसी अखबार में बदलाव का सबसे बुरा दौर हिंदुस्तान देख रहा है। यहां के एडीटोरियल विभाग में इस्तीफा देने का दौर लगातार जारी है। शशि शेखर की अमर उजाला नोएडा की लगभग पूरी टीम यहां आ चुकी है। छोटे ओहदे से लेकर बड़े ओहदे तक अमर उजाला के कर्मियों की फौज यहां पर पूरे अस्त्र-शस्त्र के साथ मोर्चा संभाल चुकी है।
वो पगलाए महान संपादक अब दुहाई दे रहे
: ये पन्ने मैं नहीं पलटता अगर एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक के समूह संपादक ने अयोध्या कांड के फैसले को लेकर आदर्श पत्रकारिता की दुहाई न दी होती : ये वही महान शख्स हैं जिन्होंने अयोध्या कांड के समय आगरा के पागलखाने के किसी बदतर पागल की तरह आचरण किया था और शर्म आ गयी थी पत्रकारिता की मूल भावनाओं और उसके आदर्शों को : तब ‘आज’ अखबार के आगरा संस्करण ने वो-वो कुकर्म किये थे कि मत पूछिए : तब अखबारों की उपासना के मानक स्थल भी टूटे थे : सच कहूं तो हम सभी लोग मौका-परस्त कमीने हो गए हैं :
शशि शेखर के बाद सुधांशु हैं नंबर दो!
शशि शेखर के बाद नंबर टू कौन? इसका जवाब खुद शशि शेखर ने दिया है. चीन यात्रा पर गए शशि शेखर ने अपने सहकर्मियों को एक मेल जारी कर उनकी अनुपस्थिति में एक्जीक्यूटिव एडिटर सुधांशु श्रीवास्तव से संपर्क में रहने को कहा है. हिंदुस्तान से जुड़े एक सूत्र ने भड़ास4मीडिया को मेल कर शशि शेखर के आंतरिक मेल की पंक्तियां भेजी हैं, जो इस प्रकार हैं-
शशि शेखर ने जारी की संपादकीय गाइडलाइन
: पंचायत चुनाव में हिंदुस्तान अखबार के पत्रकार क्या करें और क्या ना करें : चुनाव लड़ने, टिकट दिलवाने, पेड न्यूज छापने और विज्ञापन लाने से मना किया पत्रकारों को : Dear Editorial colleagues in HMVL, Organizational values are the most important building block of any great organization.
राजेंद्र कभी नहीं रहे शशि के आदमी!
कहानी दिलचस्प होती जा रही है. जिस राजेंद्र तिवारी को शशि शेखर ने संस्थान के साथ दगाबाजी व विश्वासघात का आरोप लगाकर अचानक झारखंड के स्टेट हेड पद से हटाकर चंडीगढ़ पटक दिया, उस राजेंद्र तिवारी के बारे में सबको यही मालूम है कि उन्हें हिंदुस्तान में लेकर शशि शेखर आए थे. शशि शेखर के ज्वाइन करने के बाद राजेंद्र तिवारी ने हिंदुस्तान ज्वाइन किया, यह तो सही है लेकिन यह सही नहीं है कि राजेंद्र तिवारी को शशि शेखर हिंदुस्तान लेकर आए. हिंदुस्तान, दिल्ली में उच्च पदस्थ और शशि शेखर के बेहद करीब एक सीनियर जर्नलिस्ट ने भड़ास4मीडिया को नाम न छापने की शर्त पर कई जानकारियां दीं. इस सूत्र ने भड़ास4मीडिया को फोन अपने मोबाइल से नहीं बल्कि पीसीओ से किया क्योंकि उसे भी डर है कि कहीं फोन काल डिटेल निकलवा कर और विश्वासघात का आरोप लगाकर उसे भी न चलता कर दिया जाए.
तो इसलिए गाज गिरी राजेंद्र तिवारी पर!
कभी गंभीर-गरिष्ठ साहित्यकारों के हवाले थी पत्रकारिता तो अब सड़क छाप सनसनियों ने थाम ली है बागडोर : झारखंड के स्टेट हेड और वरिष्ठ स्थानीय संपादक पद से राजेंद्र तिवारी को अचानक हटाकर चंडीगढ़ भेजे जाने के कई दिनों बाद अब अंदर की कहानी सामने आने लगी है. हिंदी प्रिंट मीडिया के लोग राजेंद्र पर गाज गिराए जाने के घटनाक्रम से चकित हुए. अचानक हुए इस फैसले के बाद कई कयास लगाए गए. पर कोई साफतौर पर नहीं बता पा रहा था कि आखिर मामला क्या है. लेकिन कुछ समय बीतने के बाद अब बातें छन-छन कर बाहर आ रही हैं.
हिंदस्तान, रांची का चीफ रिपोर्टर हुआ बागी
[caption id="attachment_17259" align="alignleft" width="71"]सुधाकर[/caption]शशि शेखर एंड कंपनी के कारण हिंदुस्तान का एक पुराना विकेट बागी हो चुका है. नाम है सुधाकर चौधरी. हिंदुस्तान, रांची में चीफ रिपोर्टर हुआ करते थे. शशि शेखर के दिल्ली और राजेंद्र तिवारी के रांची पहुंचने के बाद से उन्हें हिट लिस्ट में डाल दिया गया. उन्हें पहले चीफ रिपोर्टर के काम से हटाकर रिपोर्ट बनाने फिर समीक्षा के काम में जोता गया. सुधाकर वही हैं जिन्होंने झारखंड के डीजीपी द्वारा सीक्रेट सर्विस फंड (नक्सली अभियान के सीक्रेट फंड) से करोड़ों रुपये निकाले जाने की खबर ब्रेक की थी.
यशवंत व्यास सलाहकार संपादक बने
अमर उजाला में दो-दो सलाहकार संपादक हुए : ग्रुप एडिटर रखने की गलती नहीं करेगा अमर उजाला : शशि शेखर के समय हुए प्रयोगों का फायदा हिंदुस्तान को मिल रहा, नुकसान अमर उजाला उठा रहा : भास्कर समूह की मैग्जीन अहा जिंदगी के संपादक पद से इस्तीफा देने वाले यशवंत व्यास के बारे में सूचना है कि उन्होंने अमर उजाला, नोएडा में ज्वाइन कर लिया है. उनका पद सलाहकार संपादक (न्यू इनीशिएटिव) का है. सूत्रों के मुताबिक नवरात्र के दौरान वे कामकाज शुरू कर देंगे. बताया जा रहा है कि यशवंत व्यास अमर उजाला के साथ काम करते हुए खुद के प्रोजेक्ट्स पर भी काम करेंगे, इसीलिए उन्होंने सलाहकार संपादक के रूप में ज्वाइन किया है. सूत्रों के मुताबिक यशवंत ने यही प्रस्ताव भास्कर समूह के सामने रखा था. वे भास्कर में सलाहकार के तौर पर काम करना चाहते थे.
शशि की भड़ास और भड़ास4मीडिया
हिंदुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर ने भी अपने गले में अटक गई बात को पिछले दिनों उगल दिया. मतलब, अपनी भड़ास निकाल दी. वैसे, शशि शेखर की यह खासियत है कि वे कोई बात गले या पेट में अटका कर नहीं रखते, उसे वे मौका मिलते ही यत्र-तत्र-सर्वत्र उलटते रहते हैं, सामने वाले परेशान या खुश हों तो हुआ करें, दूसरों की परवाह उन्होंने कभी की ही नहीं सो आज क्यों करते.
क्या शशि शेखर का इतिहास ज्ञान कमजोर है?
शशि शेखर को ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख करते वक्त गूगल या विकीपीडिया को सर्च करने की जरूरत है. अगर तकनीक फ्रेंडली न हों तो उन्हें इतिहास और सामान्य ज्ञान की किताबें अपने पास रखने की आवश्यकता है. खासकर उन मौकों पर जब वे रविवार के दिन के लिए ‘हिंदुस्तान’ में कोई संपादकीय नुमा लेख अपने नाम से लिखते हैं. पिछले दिनों उन्होंने एक गलती की थी. उस गलती के लिए अगले हफ्ते के रविवार के अंक में क्षमा याचना भी की गई. वैसी ही गलती आज के दिन उन्होंने फिर कर दी है. गलती देखने में तो बहुत छोटी है पर इस छोटी-सी गलती के कारण समय का पहिया सौ साल पीछे चला जाता है. पहले बताते हैं कि पहली गलती क्या थी.
शशि को सीमित करने ब्रांड मैनेजर आएगा!
[caption id="attachment_16751" align="alignnone" width="505"]शशि शेखर : हर ओर नाम, चर्चे तमाम [/caption]
‘हिंदुस्तान’ और ‘एचटी’ से उड़ती-उड़ती आ रही एक खबर मीडिया के वरिष्ठों के बीच कानोंकान बड़ी तेजी से फैल रही है। खबर उड़ती-उड़ती आ रही है, इसलिए इसके सौ फीसदी सच होने की गारंटी नहीं है। संभव है, भाई लोगों ने निहित उद्देश्य के तहत फैलाया हो। बावजूद इसके, खबर में शुरुआती दम तो है। एचटी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, खबर यह है कि शशि शेखर के स्टाइल, तौर-तरीके, वाणी, चाल-ढाल को देखकर प्रबंधन ने बिना देरी किए अब ब्रांड मैनेजर के अप्वायंटमेंट का फैसला कर लिया है। ब्रांड मैनेजर बोले तो पूरे अखबार के लिए सर्वाधिक रिस्पांसिबल प्राणी। नवभारत टाइम्स का उदाहरण सामने है जहां ब्रांड मैनेजर ही सर्वेसर्वा होता है। नभाटा में तो कई दफे संपादक लोग भी चिरौरी-विनती करते दिख जाते हैं। एचटी ग्रुप की मालकिन शोभना भरतिया तक हिंदुस्तान के कई लोगों ने लगातार शिकायत भेजी है। इन शिकायतों में कई बातें कही गई हैं।
शशि शेखर, जवानी आपकी भी जाएगी
हिंदुस्तान से प्रमोद जोशी, सुषमा वर्मा, शास्त्रीजी, प्रकाश मनु, विजय किशोर मानव हो रहे हैं विदा : ‘इस्तीफा नहीं दिया है’ जैसी बात कहते हुए भी हिंदुस्तान, दिल्ली के सीनियर रेजीडेंट एडिटर प्रमोद जोशी चले जाने की मुद्रा में आ गए हैं। एकाध-दो दिन आफिस वे आएंगे और जाएंगे लेकिन इस आने-जाने का सच यही है कि वे फाइनली जाने के लिए आएंगे-जाएंगे। दरअसल, एचटी मीडिया से हिंदुस्तान अखबार को अलग कर जो नई कंपनी हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड (एचएमवीएल) की स्थापना की गई है, उसमें रिटायरमेंट की उम्र 60 की बजाय 58 साल रखी गई है। रिटायर होने की उम्र पहले 58 ही हुआ करती थी लेकिन केंद्र सरकार ने इसमें दो साल की वृद्धि की तो नियमतः सभी निजी-सरकारी संस्थानों ने भी अपने यहां 60 साल कर लिया। पर इस लोकतंत्र में नियम केवल नियम हुआ करते हैं, पालन करने योग्य नहीं हुआ करते। कई निजी कंपनियों में तो लोग 44 या 55 की उम्र में ही रिटायर कर दिए जाते हैं। ऐसा ही एक मुकदमा बनारस में चल रहा है।
पर किसी ने मृणालजी का नाम नहीं लिया

हिंदुस्तान की बरेली यूनिट कई लिहाज से खास है। इसे ऐतिहासिक भी कहा जा सकता है। इस यूनिट ने दो प्रधान संपादक देखे। मृणाल पांडे और शशि शेखर। मृणालजी के जमाने में बरेली यूनिट लांचिंग की तैयारियां शुरू हुई। प्रेस और आफिस का उदघाटन मृणालजी ने अपने हाथों से किया। स्थानीय संपादक रखने से लेकर संपादकीय स्टाफ की नियुक्तियां भी उन्हीं की देखरेख में हुई। पर लांचिंग के वक्त मृणालजी नहीं थीं। उनके पद पर शशि शेखर आ गए। सो, शशि शेखर की देखरेख में बरेली यूनिट की लांचिंग का कार्यक्रम कल संपन्न हुआ। लेकिन दुख की बात तो यह कि लांचिंग समारोह में मृणालजी का कोई नामलेवा तक नहीं था।
मेरा अपना कोई निजी एजेंडा नहीं : शशि
[caption id="attachment_15701" align="alignleft"]शशि शेखर[/caption]कुछ ही महीनों में हम सब गर्व से कहेंगे कि हम हिंदुस्तानी हैं : मृणालजी का मैं बेहद सम्मान करता हूं : हिंदुस्तान के एडिटर-इन चीफ पद पर शशि शेखर ने ज्वाइन कर लिया है। ज्वाइन करने से ठीक पहले आज सुबह भडास4मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में शशि शेखर ने कुछ मुद्दों, आशंकाओं व रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने सबसे पहली बात यह कही कि- ‘कुछ ही महीने में हम सब गर्व से कहें कि हम सब हिंदुस्तानी हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हिंदुस्तान में पहले भी कोई क्षेत्रवाद और जातिवाद नहीं था। यह लोगों की फैलाई बात है।
आइए, ‘विदाई’ के मर्म को समझें
[caption id="attachment_15668" align="alignleft"]हिंदुस्तान के आज के अंक में मृणाल पांडे के स्तंभ के आखिर में प्रकाशित सूचना[/caption]हिंदुस्तान का आज का अंक और ‘विदाई’ के तीन संदेश : हिंदुस्तान के दिल्ली संस्करण का आज का अंक कई मायनों में ऐतिहासिक है। पूरे अखबार को गंभीरता से देखने पर तीन पन्नों पर एक चीज कामन नजर आती है। वह है- विदाई। पहले पन्ने पर लीड खबर की हेडिंग है : ‘आडवाणी-राजनाथ की विदाई तय‘। पेज नंबर तीन देखकर पता चलता है कि एचटी मीडिया और बिड़ला ग्रुप के पुरोधा केके बिड़ला आज के ही दिन इस दुनिया से विदा हो गए थे। एचटी ग्रुप ने उन्हें स्मरण करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। एडिट पेज देख पता चलता है कि हिंदुस्तान की प्रमुख संपादक मृणाल पांडे इस अखबार से विदा ले रही हैं।
हिंदुस्तान से मृणाल पांडेय गईं
[caption id="attachment_15664" align="alignleft"]मृणाल पांडेय[/caption]हिंदी मीडिया इंडस्ट्री की बड़ी खबर। हिंदुस्तान अखबार की प्रमुख संपादक मृणाल पांडेय ने इस्तीफा दे दिया है। अमर उजाला के ग्रुप एडिटर और डायरेक्टर न्यूज शशिशेखर एक सितंबर से हिंदुस्तान ज्वाइन करने जा रहे हैं। भड़ास4मीडिया को कई विश्वसनीय और उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मृणाल पांडेय ने शशिशेखर की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए इस्तीफा दिया है। बताया जाता है कि प्रबंधन ने उन्हें शशिशेखर की नियुक्ति के बारे में जानकारी दी तो मृणाल पांडेय ने विरोध स्वरूप अपना इस्तीफा सौंप दिया। देश की जानी-मानी साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडेय कई वर्षों से हिंदुस्तान अखबार के सभी संस्करणों की प्रधान संपादक के रूप में काम कर रहीं थीं। उनके कार्यकाल में कई बड़े विवाद भी हुए और उन पर कई तरह के आरोप भी लगे। दशकों से जमे-जमाए वरिष्ठ पत्रकारों समेत प्रत्येक यूनिट से कई-कई लोग अचानक निकाल दिए गए। कई लोग हिंदुस्तान के माहौल के कारण खुद छोड़कर दूसरे अखबारों में चले गए।