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कहने को ये सारे सीनियर जर्नलिस्ट हैं, इनकी हरकतें देखिए ज़रा!

कोई कह सकता है, ये पत्रकार हैं? फिलहाल कहने को तो ये सारे सीनियर जर्नलिस्ट हैं, लेकिन इन सभी की हरकतें देखिये ज़रा! कैसे एक पटाखा नुमा चीज के लिए आपस में जूझे पड़ रहे हैं. देखिए..

रवीश कुमार-

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संसद की सुरक्षा में आज सेंध लगी है लेकिन पत्रकारिता में सेंध दस साल पहले लग चुकी थी। विजय चौक पर पत्रकारों के हाथ अगर मुर्ग़ा छाप अनार लग गया होता तो इसी वक्त दीवाली मना रहे होते। घटनाएँ दो घटी हैं। मैं केवल एक की निंदा कर रहा हूँ। दूसरी घटना से लोग लोट-पोट हो रहे हैं। उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

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