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चुनाव नतीजों के दिन एबीपी न्यूज़ बना नंबर वन न्यूज़ चैनल

नई दिल्ली : बिहार चुनाव नतीजों के दिन यानी 8 नवंबर को एबीपी न्यूज़ व्यूअरशिप के मामले में देश का नंबर वन न्यूज़ चैनल रहा. BARC के मुताबिक एबीपी न्यूज़ का मार्केट शेयर 19 फीसदी रहा और इस मुकाम को कोई भी हिंदी न्यूज़ चैनल छू नहीं सका. 17 फीसदी मार्केट शेयर के साध आजतक दूसरे स्थान पर रहा तो 12 फीसदी मार्केट शेयर के साथ इंडिया टीवी तीसरे पायदान पर रहा.

नई दिल्ली : बिहार चुनाव नतीजों के दिन यानी 8 नवंबर को एबीपी न्यूज़ व्यूअरशिप के मामले में देश का नंबर वन न्यूज़ चैनल रहा. BARC के मुताबिक एबीपी न्यूज़ का मार्केट शेयर 19 फीसदी रहा और इस मुकाम को कोई भी हिंदी न्यूज़ चैनल छू नहीं सका. 17 फीसदी मार्केट शेयर के साध आजतक दूसरे स्थान पर रहा तो 12 फीसदी मार्केट शेयर के साथ इंडिया टीवी तीसरे पायदान पर रहा.

आपको बता दें कि 8 नवंबर को एबीपी न्यूज़ व्यूअरशिप के मामले में पूरे दिन नंबर वन रहा. इसके साथ ही 8 नवंबर को जैसी ही वोटों की गिनती शुरू हुई, आपके चैनल एबीपी न्यूज़ का हैशटैग #ABPResults ट्विटर पर नंबर वन ट्रेंड बना.

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(एबीपी न्यूज की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर)

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  1. शुभचिंतक

    November 20, 2015 at 8:26 am

    एबीपी आगे जा रहा है परन्तु ज़ी ग्रुप के प्रादेशिक चैनलों का भट्ठा बैठ रहा है , परन्तु ज़ी ग्रुप के कर्ता धर्ता सो रहे है ,
    सुभाष चंद्रा जागो , आपके प्रदेशिक चैनलों को आपके चहेते संपादक दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी बर्बाद करने पे तुले है | है | क्या दलीप तिवारी ने ज़ी को जो सड़क का ठेका दिलवाया उस कारण ज़ी ने आंखे बंद कर ली |
    – —-
    आशीष पंडित , दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी तीनों की दोस्ती और घपले करने के लिए की गई यारी ज़ी ग्रुप को बर्बाद कर रही है , आशीष पंडित को तो सुभाष चंद्रा ने थप्पड़ मार कर निकाल दिया क्योंकि उसका घपला तो सामने आया गया पर दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी के लिए ज़ी ग्रुप मौन क्यों है , क्या प्रबंधकों को कुछ दिखाई नही दी रहा , क्या अब तक पता नही चला की तीनों मिल कर घपले कर रहे है , क्या उनको अभी तक यह पता नही चला कि दिनेश शर्मा मिट्टी का माधो है , जो कुछ दलीप तिवारी ज़ी एमपी में करता है वही कुछ दिनेश शर्मा ज़ी पंजाब हरियाणा में करता है , अब तक का चिट्ठा उठा कर देख लो , जो कुछ दलीप तिवारी ने किया वही कुछ दिनेश ने अपने चैनल में लागू किया , साफ़ है कि दिनेश का पाना दिमाग तो है ही नही , चैनल क्या चलेगा , सुभाष चंद्रा जागो , जाँच करो कही यह सब कही नवीन जिंदल के लिए तो नही काम कर रहे ,जो ज़ी को बर्बाद कर रहे हों | ज़ी ग्रुप आप नीचे लिखी इन बातों पर ध्यान दो दलीप तिवारी ने ज़ी एमपी में किया वही कुछ ज़ी पंजाब हरियाणा में हुआ , कैसे आ रही है बर्बादी –
    बर्बादी का कारण है पुराने लोगों को निकाल कर नए लोगों को भर्ती करना , नए लोग अनुभवहीन है , वो सुभाष चंद्रा को कुछ दिन में करोड़ों कमा कर देने का वादा कर के कुर्सिओं पर काविज हों गए है , जबकि वो कुछ भी नया करके दिखा नही पाए , हाँ यह जरूर किया है कि पुराने लोगों को निकाल नए लोग भर्ती कर लिए है जो कि ज़ी ग्रुप के काबिल नही है , यह काम ज़ी एमपी और ज़ी पंजाब हरियाण में एक समान हुआ | जिस कारण अब अच्छी खबर प्रदेशिक चैनलों पर नही चलती , सब से बुरी हालत इस समय ज़ी पंजाब हरियाणा हिमाचल की है , रिपोर्टर से संपादक बने दिनेश शर्मा का ध्यान अब खबर की तरफ कम है , मालिक को पैसे कैसे अधिक से अधिक कमा कर दिए जाए इस तरफ अधिक है , क्या ज़ी ग्रुप में एक भी ऐसा जिम्मेवार नही रहा जो पिछले सालों में चल रही ख़बरों और अब गिरते स्तर की चल रही ख़बरों में कोई फर्क देख कर कोई कारवाई कर सके , क्या पैसे ही सब कुछ है , हिन्दोस्तान से ले कर विदेशों तक बनी इज्ज़त क्या सुभाष चंद्रा के लिए कोई मतलब नही रखती , क्या सुभाष चंद्रा को हों रही बर्बादी दिखाई नही दी रही , उन को पता क्यों नही चल रहा कि ज़ी पंजाब हिमाचल हरियाणा को दिनेश शर्मा बर्वाद करने पे तुला है , दिनेश शर्मा ने सम्पादक के कुर्सी सम्भालते ही चैनल में पुराने काम करने वाले ( जो लोग पंद्रह साल से जब चैनल की शुरूआत हुई तब से थे ) सब लोगों को निकाल बाहर किया है , सुभाष चंद्रा और मैनेजमेंट को कुछ क्यों नही दिखाई नही दे रहा | अगर समय रहते सुभाष चंद्रा ना जागे तो ज़ी पंजाब हरियाणा हिमाचल का डूबना तय है | पंजाब की न्यूज़ ज़ी पंजाब से खत्म हों रही है , क्योंकि दिनेश को सिर्फ़ हिंदी आती है , दिनेश ने अपने चापलूस भर्ती कर लिए है और अब उसकी मंशा ज़ी पंजाब को खत्म कर सिर्फ़ हरियाणा हिमाचल बनाने की है , ज़ी पंजाब के कारण ज़ी ग्रुप की पहचान विदेशों में है वो भी खत्म हों जायगी , पता चला है के दिनेश ने पंद्रह करोड़ जुटा के मैनेजमेंट को देने है , इस कारण दिनेश ब्लैकमेलरों को भर्ती कर उन के द्वारा पैसे जुटाना चाहता है | लगता है जल्दी ही ज़ी ग्रुप को नवीन जिंदल जैसे एक और स्टिंग का सामना करना पडेगा | जब सुधीर चौधरी जैसा स्टिंग में फस सकता है तो दिनेश तो सुधीर के पांव की जूती जितना काबिल भी नही है, सुभाष जी जागिए , पुराने लोगों के साथ एक मीटिंग करो आप को सब सच पता चल जायगे , दिनेश शर्मा ने ज़ी के सर पर अब तक कितने कम लिए इस बात की पड़ताल करने के लिए आप को हिमाचल में जाँच करवानी पडेगी , सब सच सामने आ जायगे | इज्ज़त को सब कुछ समझने वाला गोयनका परिवार जुलम होते हुए क्यों देख रहा है क्यों दिनेश शर्मा जैसे लोगों के कारण अपनी इज्ज़त नीलाम कर रहा है | पैसे तो पहले भी आ रहे थे बस फरक इतना है कि वो इज्ज़तदार टीम द्वारा इज्ज़त के साथ कमा कर दिए जा रहे थे | दिनेश शर्मा ने अधिकतर पुराने रिपोर्टर हटा दिए उनके स्थान पर नए अनुभवहीन जो कि ब्लैकमेलरों के रूप में जाने जाते है उनकी भर्ती शुरू कर दी है , जिस कारण जल्दी ज़ी ग्रुप पर कलंक का तिलक लगना तय है , सुभाष जी आप खुद नए लोगों की जांच करे , पुराने रिपोर्टर दस पन्द्रह साल से काम कर रहे है , उनको खबर के नब्ज का भी पता है और अब तक कभी कोई कलंक नही लगने दिया , फिर किस कारण वो लोग निकाले गए , मुझे तो नए स्थान पर नौकरी मिल गई है परन्तु मैंने अपनी जवानी आप के चैनल पे लगी दी , बदले में मुझे दिनेश ने निकाल कर आप के चैनेल के बर्वादी शुरू कि जो अब तक जारी है , मैंने वफादारी से काम किया सो अब बर्बादी देखते हुए मेरी आंखे भर आती है , आप जागो , नही तो एक दिन आप की आँखों में भी आंसू होंगे |
    जाँच करो दलीप तिवारी और दिनेश शर्मा ने जो लोग स्टाफ में रखे है उनकी दूसरे चैनलों में क्या पोजीशन थी क्या सेलरी थी अब ज़ी में एक दम से बढ़कर कितनी हों गई , अगर वो काबिल लोग है तो जिन चैनलों में रहे उनको क्यों कामयाब नही कर सके , उनके दामन पर कितने दाग है यह भी जाँच का विषय है , उनका बात करने का ढंग कैसा है वो पेशेवर लोग नही है , ज़ी में आ कर भी वो गुंडों की तरह हे बात करते है , जैसे वो अपने पिछले और निम्न दर्जे के चैनल में करते थे , क्या ज़ी ग्रुप भी अब टुच्चों का हों गया है , दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी की कॉल डिटेल निकलवाओ सब साफ हों जायगा ,

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