अब लगता है, सारे संचार माध्यम पूरी तरह से बकैतों के कब्जे में आ गए हैं। टीवी का कोई भी चैनल खोल लीजिये, वहां कोई न कोई आपको ज्ञान देता मिल जाएगा। ज्ञान मतलब, आध्यात्मिक से लगायत सांस्कृतिक और विज्ञान से लेकर खेल,राजनीति, खेती किसानी, यहां तक की खाना बनाने और कपड़े पहनने तक का।
तकलीफ तब और बढ़ जाती है, जब किसी समाचार चैनल पर कुछ रिटायर हुए या किये गए खिलाड़ी, अपना पूरा अनुभव और प्रतिभा किसी ख़ास खिलाड़ी की कमी को दूर करने में भरभरा कर उड़ेलने लगे हों और ये ज्ञान उस एंकर को अपनी तौहीन लगे, जिसके कारण वह एंकर जो कभी शायद गली क्रिकेट में थर्डमैन ही रह पाया हो , उन भूतपूर्व महारथियों को चुप करा कर अपना वाला ठेलने लग जाय ।
हमे तो डर है कहीं इन सब से खींझ कर धोनी अपने और अपनी टीम के बदले इन विशेषज्ञों को ही अगला मैच खेलने को न बुला लें । अब देखो रेडियों पर भी कोई ऐसे ही धनियां रोपने की विधि सिखा कर गया है।
सुभाष विक्रम के फेसबुक वॉल से