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साहित्य

न्यूज़ चैनलों के भीतर कैसे नेरेटिव गढ़े जाते हैं, विधिवत पढ़ें.. पूरी सड़न!

हेमराज सिंह चौहान-

कुंदन शशिराज की किताब ‘सड़न’ मैंने तीन दिन में पीआईसीयू में बैठकर ख़त्म की है. टीवी न्यूज़ चैनलों में मैंने भी क़रीब चार साल काम किया है और जब देखा कि न्यूज़ चैनल पत्रकारिता छोड़कर कुछ और कर रहे हैं तो टीवी न्यूज़ चैनलों को साल 2016 में गुड बॉय बोलकर डिजिटल मीडिया में चला आया.

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साल 2014 के बाद से मैंने टीवी न्यूज़ रूम में चीजों को तेज़ी से बदलते देखा. अखलाख समेत कई घटनाओं का गवाह भी रहा. इस किताब को पढ़ते हुए हर किरदार को अपने आप जोड़ते चला गया क्योंकि पत्रकार के तौर पर मेरा भी कुछ ऑब्सजर्रवेशन है.

चैनलों और एंकरों को नेरेटिव सैट करते हुए देखा है. अगर आप न्यूज़ चैनलों में कैसे नेरेटिव सेट किया जाता है जानना चाहते हैं. तो मौजूदा दौर के हालात समझने के लिए इस किताब को ज़रूर पढ़े.

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किताब अमेजन पर भी उपलब्ध है और पढ़ने का लिंक ये रहा… SADDAN : The rotten Pillar of democracy

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