हाल ही में मध्यप्रदेश की सरकार ने प्रदेश के अधिमान्य पत्रकारों के दुर्घटना बीमा तथा चिकित्सा बीमा कराने की घोषणा की थी। इसी के तहत जनरल इंश्योरेंस कम्पनी की इकाई नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा पत्रकारों के स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा किए जाने के आवेदन लिए गए। जिले में मौजूद जिला जनसम्पर्क कार्यालयों द्वारा यह फार्म पत्रकारों को वितरित किए गए।
जुलाई अगस्त माह से प्रारंभ हुई इस योजना में अनेक पत्रकारों ने स्वास्थ्य तथा दुर्घटना बीमा के लिए आवेदन किया तथा निर्धारित शुल्क जमा भी किया। जिनमें प्रसार भारती के दूरदर्शन आकशवाणी के अंशकालिक संवाददाताओं ने भी बीमा हेतु आवेदन किया। हाल ही में जब आवेदन करने वाले प्रसार भारती के दूरदर्शन आकशवाणी के अंशकालिक संवाददाताओं ने इंश्योरेंस कम्पनी में पालिसी न आने संबंधी शिकायत की तो बताया गया कि इस योजना में प्रसार भारती के दूरदर्शन आकशवाणी के अंशकालिक संवाददाताओं को शामिल नहीं किया गया है।
इस संबंध में जब जनसम्पर्क संचालनालय के अधिमान्यता शाखा में पदस्थ श्री पाठक से चर्चा की गई तो उन्होंने भी बताया कि इस योजना में प्रसार भारती के दूरदर्शन आकशवाणी के अंशकालिक संवाददाताओं को शामिल नहीं किया गया है। पहले भी प्रदेश सरकार द्वारा पत्रकारों को लैपटाप बांटने की योजना प्रारंभ की गई। लेकिन इसमें भी इन संवाददाताओं को शामिल नहीं किया गया।
प्रसार भारती के दूरदर्शन आकशवाणी के अंशकालिक संवाददाता भी पत्रकार ही हैं और वह दूरदर्शन आकाशवाणी के लिए उसी तरह समाचार संकलन करते हैं जिस तरह अन्य न्यूज चैनल या समाचार पत्रों के संवाददाता। शासन की विभिन्न योजनाओं को भी आमजन तक रेडियो तथा टीवी के माध्यम से पहुंचाते हैं। खास बात यह भी है कि राज्य शासन के जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रसार भारती के दूरदर्शन आकशवाणी के अंशकालिक संवाददाताओं को अधिमान्यता प्रदान कर अधिमान्य पत्रकार के रूप में स्वीकार भी किया है।
ऐसे में इस योजना के तहत प्रसार भारती के दूरदर्शन आकशवाणी के अंशकालिक संवाददाताओं को शासन द्वारा प्रदत्त पत्रकारों की इस महती योजना में शामिल नहीं किया जाना आश्चर्यजनक तथा पत्रकारों के साथ दो तरह का व्यवहार करना दर्शाता है।
दीपक कांकर
पत्रकार
रायसेन