Satyendra Pratap Singh : नोएडा में चीन की मोबाइल कंपनी विवो की फैक्टरी है। कंपनी ने पिछले 2 महीने में 500 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। कल जब 50 लोगों को निकाला गया तो लोग विरोध प्रदर्शन पर उतारू हो गए। पहले तो आफिस के बाउंसरों, सुरक्षा कर्मियों ने विरोध करने वालों को कूटा। फिर पुलिस बुला ली गई। थानेदार ने बीच बराव किया। थानेदार ने निर्देश भी दिया कि आपस में बीच बराव कर लें। कंपनी का कहना है कि वह कंसालिडेशन कर रही है। यह कारोबार का हिस्सा है। कर्मचारी कह रहे हैं कि बगैर नोटिस के निकाला जा रहा है (जैसे ससुर को 1 महीना पहले कंपनी ने नोटिस दे दिया होता तो कुछ उखाड़ लिए होते)।
साहेब चाइनिज मुखिया के साथ झूला झूलते हैं। उनकी कंपनी का आप लोग कुछ नहीं कर सकते। साहेब को तो आखिर आप लोगों ने ही चुना है। अब जो सरकारी नौकरी पाकर मस्त हैं कि जो निकाले जा रहे हैं, वो चूतिया थे, उनके लिए दो शब्द। मान लीजिए कि आप सरकारी डाक्टर हैं। बड़े काबिल हैं, इसलिए किसी एम्स वगैरा में हैं। आप मस्त हैं कि विवो वाले चूतिया थे, इसलिए निकाल दिए गए इसमें मोदी जी बेचारे क्या करें। तो यह समझ लीजिए कि इन कर्मचारियों के पास खाने को पैसा नहीं रहेगा और अधमरे होकर सरकारी मेडिकल कालेज में पहुंचेगे। वहां आपको कूट देंगे। फिर आप चिचियाएंगे कि हम काहे को लतियाए गए। तो भाई साहब… यह श्रृंखला है। आपका भी नंबर आएगा ही देर सबेर। अपनी अपनी बारी का इंतजार करिए।
बिजनेस स्टैंडर्ड में कार्यरत पत्रकार सत्येंद्र प्रताप सिंह की एफबी वॉल से.