उत्तराखंड के भूमाफिया डीजीपी बीएस सिद्धू का एक और कारनामा सामने आया है। डीजीपी साहब के एक पीआरओ हैं उनको साल भर में पुलिस विभाग ने दो बार विशिष्ट सेवा सम्मान दे दिया। 26 जनवरी 2014 को पहली बार सराहनीय सेवा सम्मान चिन्ह दिया गया था, 15 अगस्त 2014 को उत्कृष्ट सेवा सम्मान भी दे दिया गया। नियम यह है कि एक बार पुरस्कार मिलने के बाद 6 साल बाद ही अगला पुरस्कार दिया जा सकता है। और उस पर तुर्रा यह कि सम्मान देने वाली कमेटी के अध्यक्ष डीजीपी खुद ही हैं। लेकिन डीजीपी कहते हैं कि सब कमेटी करती है मुझे तो याद ही नहीं कि किसको कितनी बार पुरस्कार मिला है।
हालांकि इन बड़े घाघों का जल्दी कुछ होता नहीं, चाहे ये सबको मारकर खा जाएं लेकिन अवैध जमीन कब्जाने वाले डीजीपी के बुरे दिन शुरू हो गए लगते हैं। वन्य भूमि कब्जाने को लेकर डीजीपी की अपील ग्रीन ट्रिब्यूनल ने खारिज कर दी है। डीजीपी का कहना था कि जब कोर्ट में सुनवाई चल रही है तो ट्रिब्यूनल में सुनवाई नहीं होनी चाहिए। पर ट्रिब्यूनल ने डीजीपी को झटका देते हुए आदेश दिया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोर्ट में सुनवाई चल रही है या नहीं। ट्रिब्यूनल को कोर्ट के साथ सुनवाई करने का अधिकार है और दोनों जगह सुनवाई चलती रहेगी। वैसे यह देखना दिलचस्प होगा कि डीजीपी साहब के एक के बाद एक कारनामें आने के बाद सीएम हरीश रावत क्या करते हैं।