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राजस्थान पत्रिका अखबार की सीएम वसुंधरा राजे से जंग जारी है…

राजस्थान के चर्चित न्यूजपेपर राजस्थान पत्रिका का विज्ञापन राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बंद कर रखे हैं। इसीके चलते पिछले लगभग सालभर से भी ज्यादा समय से पत्रिका अखबार मुख्यमंत्री का नाम अपने पेपर में नहीं छाप रहा है। ना ही उनकी किसी फोटो या घोषणाओं को अपने अंकों में स्थान दे रहा है। इतना ही नहीं, पत्रिका मालिकों ने अपने रिपोर्टरों और संपोदकों को भी साफतौर पर कह रखा है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कम से कम कवरेज दे।

<p>राजस्थान के चर्चित न्यूजपेपर राजस्थान पत्रिका का विज्ञापन राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बंद कर रखे हैं। इसीके चलते पिछले लगभग सालभर से भी ज्यादा समय से पत्रिका अखबार मुख्यमंत्री का नाम अपने पेपर में नहीं छाप रहा है। ना ही उनकी किसी फोटो या घोषणाओं को अपने अंकों में स्थान दे रहा है। इतना ही नहीं, पत्रिका मालिकों ने अपने रिपोर्टरों और संपोदकों को भी साफतौर पर कह रखा है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कम से कम कवरेज दे। </p>

राजस्थान के चर्चित न्यूजपेपर राजस्थान पत्रिका का विज्ञापन राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बंद कर रखे हैं। इसीके चलते पिछले लगभग सालभर से भी ज्यादा समय से पत्रिका अखबार मुख्यमंत्री का नाम अपने पेपर में नहीं छाप रहा है। ना ही उनकी किसी फोटो या घोषणाओं को अपने अंकों में स्थान दे रहा है। इतना ही नहीं, पत्रिका मालिकों ने अपने रिपोर्टरों और संपोदकों को भी साफतौर पर कह रखा है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कम से कम कवरेज दे।

इसी क्रम में वसुंधरा राजे 9 दिसम्बर 2016 शुक्रवार को अपने गृह जिले झालावाड़ के दौरे पर गईं। तब उन्होंने वहां कई तरह की घोषणाएं वगैरह की। इस पर अगले दिन के अंक 10 दिसम्बर 2016, शनिवार को पत्रिका के प्रतिद्वंदी अखबार दैनिक भास्कर ने प्रमुखता से उस खबर को पहले पेज पर सम्मान के साथ प्रकाशित किया। लेकिन पत्रिका ने इस दौरे की खबर को झालावाड़ पत्रिका के चौथे पेज पर छोटी सी खबर दी।

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किसी भी छोटे राज्य खासकर जब झालावाड़ जैसा राजस्थान का पिछड़ा जिला हो तो उसमें किसी भी बड़े नेता का दौरा तो वह वैसे ही चर्चा में रहता है। लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री के ही दौरे को पत्रिका ने प्रमुखता से नही लिया और उस खबर को अंतिम पेज पर मात्र भीड़ की एक फोटो चिपका कर ही इतिश्री कर ली। एक ओर दिल्ली के मुख्यंमत्री अरविन्द केजरीवाल के पेज भर कर विज्ञापन मिलने से आम आदमी पार्टी की खबरों को प्रमुखता से राजस्थान, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों के एडिशन में पत्रिका छाप देता है। लेकिन मुख्यमंत्री किसी भी पार्टी का हो, वह पहले राज्य का ही मुख्यमंत्री होता है, उसे भी विज्ञापन की दर से तोलना कहां की पत्रकारिता है।

अब यहां बात यह उठती है कि अगर पाठक अपने मुख्यमंत्री के क्रियाकलापों के बारे में नहीं जानेंगे तो उन्हें कैसे पता चलेगा कि राज्य में क्या हो रहा है। वह छोड़िए, एक टीनेजर जो केवल 6-10 तक की क्लास में पढ़ता है वह अखबार में अपने मुख्यमंत्री का नाम ही नहीं पाएगा तो क्या उसे यह भी पता चलेगा कि उसके राज्य का मुख्यमंत्री कौन है? राजस्थान वैसे भी देश में पिछड़े राज्यों में आता है और यहां तकनीक के मामले में लोग अभी भी बहुत पीछे है। इस कारण जानकारी लेने के लिए अखबार या टीवी ही इनका एकमात्र सहारा होता है।

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एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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