आम तौर पर सरकारी टेंडर लेने के लिये एक तय प्रक्रिया का पालन किया जाता है. जैसे – (1) एक निर्धारित शुल्क ले कर निविदा फॉर्म देना- एक तय तिथि तक. (2) फिर धरोहर राशि के साथ निविदा प्रपत्र एक तय तिथि तक जमा करवाने होते हैं. (3) फिर जो सबसे कम रेट भरता है, उसके नाम टेंडर खुलता है. निवाई {टोंक} नगरपालिका की एक निविदा सूचना दिनांक 24 सितम्बर, 2015 के दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुई. उसे देखने के बाद उस विज्ञप्ति की भाषा संदिग्ध लगी. एक बार लगा शायद प्रिंटिंग त्रुटि हो सकती है. फिर भी जब संशय दूर नही हुआ तो हमारे द्वारा एक आदमी 28 सितम्बर को निवाई नगरपालिका में भेजा गया. वहां उसे बताया गया कि निविदा फॉर्म 5 अक्टूबर को ही मिलेंगे. निविदा शुल्क और धरोहर राशि जमा कराने के बाद दोपहर दो बजे तक. फिर दोपहर 3 बजे तक जमा होंगे और फिर शाम 4 बजे सबके सामने टेंडर खोले जाएंगे.
इसके बाद हमारा शक और पुख्ता हुआ कि यह कैसे संभव है कि कोई आदमी या संस्था सुबह 10 बजे फॉर्म ले, उसको पढ़े-समझे, जरूरी कागज सलंग्न करे और उसी दिन 3 बजे जमा भी करवाये. इसका मतलब सब कुछ पहले से ही तय है कि टेंडर किसको दिया जायेगा. अख़बार में विज्ञप्ति दिखावे के लिये दी गयी है. शक का आधार पुख्ता होने के बाद हमारा एक आदमी दिनांक 05 अक्टूबर को सुबह 11 बजे निवाई नगरपालिका में पहुँचा. उसने एक आम व्यापारी बनते हुए उपरोक्त निविदा में से कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाने की इच्छा जाहिर की और फॉर्म मांगे. उसको बताया गया कि मेला अधिकारी अभी उपस्थित नही हैं. आप 01 बजे बाद आओ. उसने कहा कि अख़बार में अंतिम समय ही 02 बजे का लिखा है. तब वहां उसे बोला गया कि कोई बात नहीं, भले 04 बज जाये, फॉर्म मिल जाएगा आपको.
फिर लगभग डेढ़ बजे मेला अधिकारी और एक अन्य कर्मचारी से हमारे आदमी की जो बात हुई, उसे रिकॉर्ड कर लिया गया. रिकॉर्डिंग काफी रोचक है जहां उक्त सरकारी आदमी खुद कह रहा है कि भाई मैं तो आपके फॉर्म के 200 रुपये बचा रहा हूँ, सब कुछ पहले से ही तय हो चुका है फिर भी आपको फॉर्म चाहिये तो ले लो. उपरोक्त रिकॉर्डिंग लगभग 06 मिनट की है. आप उसको सुनें और खुद समझें कि कैसे ये सरकारी विभाग के कर्मचारी-अधिकारी अपने चहेतों को निविदा बांटने के लिये नियम-कायदों के साथ खेलते हैंं. यहाँ लगभग 8 लाख रुपए की कुल निविदा का मामला है. इसी तरह एक साल में शायद करोड़ से ऊपर की निविदायें इसी बंदरबांट से दी जाती होंगी.
तत्पश्चात हमने नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी सुरेन्द्र सिंह यादव से उनके मोबाइल पर बात की और उन्हें इस गड़बड़ी और स्टिंग ऑपरेशन की जानकारी दी. उनसे पूछा गया कि क्या अब आप इस अनियमित निविदा प्रक्रिया को देखते हुए इसको निरस्त करेंगे, दुबारा विधि पूर्वक निविदा आमंत्रित करेंगे? इस पर उनका कहना था- प्रथम तो ऐसी कोई घटना नहीं हुई है या मेरे संज्ञान में नहीं है, दशहरा आने वाला है यदि आपके पास सबूत है तो आप हमें सबूत दे, उसे हमारी कमेटी देखेगी, उचित होगा तो निविदा निरस्त भी करेंगे.
हमारा उद्देश्य इस प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से सम्बंधित विभाग और अधिकारी को इसकी जानकारी और सबूत देना है और अधिशाषी अधिकारी से आग्रह है कि अब वे उपरोक्त टेंडर को निरस्त करें और दुबारा विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए निविदा आमंत्रित करें. हमारा उद्देश्य किसी सरकारी कर्मचारी या व्यक्ति विशेष को प्रताड़ित करना नहीं है और न ही हम कोई सनसनी या हंगामा खड़ा करना चाहते हैं. लोकतंत्र के चौथे खम्भे की भूमिका निभाहते हुए इस घटना को अन्य साथी मीडिया बंधुओं की मदद से उजागर करना मात्र हमारा मकसद है, ताकि सम्बंधित विभाग-कर्मचारी-अधिकारी अपने पद का दुरूपयोग, जनता के धन की बर्बादी न करें और विधि पूर्वक काम किये जायें. आशा की जाती है सभी मीडिया संस्थान इस घटना और खबर को उचित माध्यम से प्रकाशित / प्रसारित करेंगे. स्टिंग का लिंक ये है : https://www.youtube.com/watch?v=RsTQkUpFTNU
निवेदक
नवनीत चतुर्वेदी
एडिटर
IndiaMirrors News
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