“नरेन्द्र मोदी सेंसर्ड” किताब को वरिष्ठ पत्रकार और डीडी न्यूज़ के टेलीविजन एंकर अशोक श्रीवास्तव ने लिखा है। पिछले दिनों नई दिल्ली के इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र में ‘नरेन्द्र मोदी सेंसर्ड’ का विमोचन किया गया। इस पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह, वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय, भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक श्री केजी सुरेश, श्री विश्वंभर श्रीवास्तव और इस पुस्तक के प्रकाशक श्री अनिल गुप्ता भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने किया।
‘नरेन्द्र मोदी सेंसर्ड’ किताब में अशोक श्रीवास्तव ने सीधे-सीधे उन पत्रकारों-बुद्धिजीवियों को चुनौती दी है जो पिछले पांच साल से यह कहते हैं कि मोदी राज में देश में अघोषित आपातकाल है और पत्रकारों को काम करने की आज़ादी नहीं है। अशोक का दावा है कि यह ‘फेक नैरैटिव’ है और जो पत्रकार यह नैरेटिव खड़ा कर रहे हैं वो दरअसल पत्रकारिता नहीं राजनीति कर रहे हैं। अपनी किताब में अशोक ने इस बात को साबित करने के लिए कई दिलचस्प तथ्य दिए हैं और साथ ही २०१४ में नरेन्द्र मोदी के उस इंटरव्यू को आधार बनाया है जो उन्होंने दूरदर्शन के लिए किया था और जो २०१४ के लोकसभा चुनावों का सबसे विवादित इंटरव्यू बन गया था।
नरेन्द्र मोदी के साथ अशोक श्रीवास्तव के लिए इस इंटरव्यू को पहले गिरा देने की कोशिश हुई थी बाद में इंटरव्यू टेलीकास्ट तो हुआ लेकिन उसे बुरी तरह कांट-छांट दिया गया। कांग्रेस राज में दूरदर्शन नरेन्द्र मोदी का इंटरव्यू प्रसारित करने पर क्यूँ मजबूर हो गया इसकी दिलचस्प कहानी भी अशोक ने किताब में लिखी है।
पुस्तक में अशोक श्रीवास्तव ने बेहद सरल भाषा में लिखा है कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को किस प्रकार 10 साल तक दूरदर्शन से बहिष्कृत किया गया और 2004 में केंद्र में सरकार बदलते ही कैसे दूरदर्शन से 40 पत्रकारों को निकाल दिया गया।
पुस्तक लोकार्पण के मौक़े पर मौजुद पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए श्री राम बहादुर जी ने पुस्तक के तारीफ़ में कहा कि यह पुस्तक पत्रकारों के लिए ही नहीं बल्कि आम लोगो के लिए भी बेहद रोचक और दिलचस्प है जो सच्ची घटना पर उपन्यास की तरह आननद देती है । इस पुस्तक के बारे में चर्चा करते हुए राज्यसभा उप सभापति श्री हरिवंश नारायण ने इसे सत्य का दस्तावेज़ करार दिया।
भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक श्री के०जी० सुरेश ने पत्रकारों को आपातकालीन के दौर को याद कराते हुए कहा की आज के जो पत्रकार अघोषित इमरजेंसी की बात कर रहें है उन्हें पता होना चाहिए की आपातकाल के समय पत्रकारों से झुकने को कहा गया तो कई पत्रकार रेंगेने लग गए थे। पत्रकारों के दफ़्तर में एक इन्स्पेक्टर बैठा करता था जिसके बग़ैर अनुमति के एक शब्द भी छापना अपने पत्र/ पत्रिका को बंद करवाने का न्यौता माना जाता था। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक दरअसल ‘फेक नैरैटिव’ खड़ा करने वाले पत्रकारों-बुधीजीवियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक है। नरेन्द्र मोदी सेंसर्ड किताब को पत्रकारों, पत्रकारिता पढ़ रहे स्टूडेंट्स और आम नागरिकों के लिहाज से बेहद रोचक माना जा रहा है।