Connect with us

Hi, what are you looking for?

वेब-सिनेमा

आजमगढ़ में छह दिवसीय अवाम का सिनेमा 26 से 31 मई तक

 आजमगढ़ (उ.प्र.) : जनपद में आगामी 26 से 31 मई तक आयोजित होने अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए सोमवार को समारोह पूर्वक पोस्टरों को जारी किया गया। आम आवाम के किरदारों को दर्शाते हुए ये पोस्टर एक तरफ जहां फिरकापरस्ती से लड़ने से संदेश देते दिखे तो दूसरी तरफ समाज के शोषितों का दर्द उकेरते नज़र आये; इन पोस्टरों के जारी करने के दौरान आयोजन की रूप रेखा से लोगों को अवगत कराया गया।

 आजमगढ़ (उ.प्र.) : जनपद में आगामी 26 से 31 मई तक आयोजित होने अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए सोमवार को समारोह पूर्वक पोस्टरों को जारी किया गया। आम आवाम के किरदारों को दर्शाते हुए ये पोस्टर एक तरफ जहां फिरकापरस्ती से लड़ने से संदेश देते दिखे तो दूसरी तरफ समाज के शोषितों का दर्द उकेरते नज़र आये; इन पोस्टरों के जारी करने के दौरान आयोजन की रूप रेखा से लोगों को अवगत कराया गया।

आयोजक संस्था नेशनल लोकरंग एकेडमी उत्तर प्रदेश आजमगढ़ के अध्यक्ष डा. भक्तवत्सल ने कहा कि भारत की संस्कृति में भिन्न-भिन्न स्थानीय लोक-संस्कृतियों का समन्वय है। अलग-अलग प्रदेशों की अपनी भाषा-भूषा, अपना खान-पान है और इसके साथ ही उस माटी की अपनी-अपनी लोक-संस्कृति की परम्परा है। उन्होंने कहा कि आजादी के 67 वर्षों के बाद भी यही लगता है कि हमारी आजादी बेमानी है। हम उन क्रातिंकारियों को भूलते जा रहै हैं जिन्होंने हमें आवाम के लिए लड़ना सिखाया। समाज में बढ़ती फिरकापरस्ती, अन्याय, शोषण ने आम आवाम का जीना दुश्वार कर दिया है। यह आवाम जो सदियों से राजाओं, जमीदारों व साहूकारों के शोषण को बर्दाश्त करते चले आ रहे हैं पर वे लाखों-करोड़ों में होने के बाद भी इन मुठ्ठी-भर लोगों के विरुद्ध अपनी आवाज बुलन्द करने में नाकामयाब हैं। कारण उनमें या तो नेतृत्व की कमी है या वे संगठित ही नहीं हैं। उनका मासूम होना भी इसका एक बड़ा कारण है। वे हर जुल्म को यह मान कर बर्दाश्त कर लेते हैं कि ईश्वर उन्हें सजा दे रहा है। ऐसे ही लोगों को जगाने के लिए आवामा का सिनेमा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन अन्तराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो रहा है। सिनेमा के प्रदर्शन के साथ उस फिल्म के बारे में जनवार्ता भी आयोजित होगी। छह दिवसीय आयोजन में एकेडमी द्वारा विविध गोष्ठियां आयोजित की जायेंगी जिसे अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार सम्बोधित करेगें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एकेडमी के महासचिव एस के दत्ता ने कहा कि प्रतिरोध की संस्कृति विकसित करने की जरूरत है। सिनेमा में समाज के शोषक वर्ग का बड़ा प्रतिरोध किया है। सिनेमा कम समय में बड़ी आवाज पैदा करता है। आवाम के सिनेमा का प्रदर्शन कर हम एक बार प्रतिरोध की संस्कृति को जिंदा करने का प्रयास कर रहे हैं। कार्यक्रम में आयोजन के बारे में विस्तार से बताते हुए श्री दत्ता ने कहा कि इस इस छह दिवसीय आयोजन में हम उन क्रांतिकारियों को याद कर रहे हैं जिन्होंने समाज को प्रतिरोध करना सिखाया। साथ वो फिल्में जो समाज के सरोकारों से जुड़ी हैं, समाज में चेतना लाती हैं उनका प्रदर्शन किया जायेगा। यह अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसे मुठ्ठी भर बुद्धिजीवियों को दिखाने के बजाय आम आवाम के बीच दिखाया जायेगा। दो दिन जनपद मुख्यालय के बाद यह यात्रा गावों का भ्रमण करेगी। आयोजन की सराहना करते हुए भारत रक्षा दल ने अपने पूरे सहयोग का वादा किया।

हस्तक्षेप डॉट कॉम से साभार

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement