रवीश कुमार-
यक़ीन नहीं आ रहा है मगर यह सुखद है कि पत्रकारों की गिरफ़्तारी के विरोध में बलिया की जनता ने बंद रखा वरना जनता को पत्रकार और पत्रकारिता से मतलब ही क्या है।
बड़े शहरों में औपचारिकता निभाने की आदत हो गई है। बलिया में पत्रकारों का साथ देकर बड़ा काम किया है। जनता यही कर सकती है। बोल सकती है। वह नहीं बोलता है तो समाज में कायरता घर कर जाती है।