रविशंकर उपाध्याय-
बिहार का एक फर्जी (सो कॉल्ड पत्रकार) फेक न्यूज फैलाने के आरोप में कभी भी गिरफ्तार हो सकता है। लेकिन जरूरत है कम से कम आधा दर्जन को गिरफ्तार कर तुरंत जेल भेजने की। इन सबने पैसा कमाने के लिए गाली गलौज और जाति पाती को हथियार बनाया हुआ है।

विडंबना है कि यूट्यूब और फेसबुक जैसा टूल इनके लिए पैसा कमाने का टूलकिट बन चुका है। लोग भी रोज 2 जीबी डेटा खर्च करने के टारगेट को लिए इन्हीं सब को देखते रहते हैं, रोमांटिसाईज होते रहते हैं। क्या ही किया जाए।
और हां यदि इन सब चिरकुट को मिलियन व्यूज मिल रहे हैं तो वह कोई मानदंड नहीं है। कई और सामाजिक बुराईयों को अरबों लोग देखते हैं लेकिन वह कभी भी समाज में स्वीकार्यता नहीं बना सकता है। एक बात और जो पत्रकार गिरफ्तार हो सकता है वह यहीं पटना में दंगा फैलाने के आरोप में जेल भी जा चुका है। यह तो हम सब जानते ही हैं लेकिन 2019 की दैनिक भास्कर की यह खबर आपसबके सहूलियत के लिए लगा रहा हूं।

अभिषेक कुमार सिंह-
कोई भी चीज़ जब अति होने लगे तब समझ जाइए उसका अंत जल्दी होने वाला है…बिहार के यूटूबर्स और कंटेंट क्रिएटर्स ने भी अति कर रखा था…अब अंत होने की शुरूआत हो चुकी है…बिहार इतना बड़ा बाज़ार सोशल मीडिया का बन चुका है कि यहाँ कुछ भी बेच दो सब बिकता है..यहाँ के बाज़ार को देखकर उत्तर प्रदेश के कुछ यूटूबर्स बिहार में डेरा जमाए रहते हैं…
इस बाज़ार में सबसे ज्यादा डिमांड गाली गलौज करने वाले यूटूबर्स की है…उसके बाद खेसारी और पवन को लेकर कॉन्ट्रवर्सी झूठ सच दिखाने वालो की…उसके बाद जाती आधारित खबरें बना कर यूट्यूब पर दिखाने की…ऐसे ऐसे लोग इस तथाकथित न्यूज़ यूट्यूब में लग गए है जिनको पत्रकारिता का पी तक नहीं मालूम…उनको सिर्फ मालूम है व्यूज कैसे आता है…
तमिल नाडु हिंसा मामले को लेकर कुछ यूटूबर्स पर एफआईआर दर्ज हुई है…उनमे से एक यूटूबर्स अपने आप को स्टार से कम नहीं समझता है….वो कहता है हम रेलते हैं….अरे भाई जब रोड पर कोई गाली देता है चिल्लाता है ..तब उसको लोग बाइक रोक-रोक कर देखने लगते हैं.. तुम अगर गाली देकर सोशल मीडिया पर डालोगे तो लोग देखेंगे ही..ये लोग समाज के लिए जहर का काम कर रहे हैं और अपनी जेब भर रहे हैं…बिहार पुलिस का पहल सराहनीय है…ऐसे तथाकथित पत्रकारों पर अब आर्थिक अपराध इकाई की पैनी नज़र है….