Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

फारवर्ड प्रेस के क्रिश्चियन मालिक आयवन कोस्का को मिल गई जमानत

फारवर्ड प्रेस के मालिक और मुख्‍य संपादक आयवन कोस्‍का को नई दिल्‍ली के पटियाला हाऊस कोर्ट ने गुरुवार को अग्रिम जमानत दे दी। इस मैग्जीन के सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन को भी जमानत मिली। आदालत में मैग्जीन के मालिक और संपादक का पक्ष रखते हुए ख्‍यात नारीवादी लेखक व अधिवक्‍ता अरविंद जैन, साइमन बैंजामिन तथा अमरेश आनंद ने कहा कि फारवर्ड प्रेस पर  पुलिस की कार्रवाई अभिव्‍यक्ति की आजादी पर हमला है। यहां तक कि संपादकों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (अ) , 295 (अ) आज की तारीख में निरर्थक हो गये हैं तथा इसका उपयोग राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है।

<p>फारवर्ड प्रेस के मालिक और मुख्‍य संपादक आयवन कोस्‍का को नई दिल्‍ली के पटियाला हाऊस कोर्ट ने गुरुवार को अग्रिम जमानत दे दी। इस मैग्जीन के सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन को भी जमानत मिली। आदालत में मैग्जीन के मालिक और संपादक का पक्ष रखते हुए ख्‍यात नारीवादी लेखक व अधिवक्‍ता अरविंद जैन, साइमन बैंजामिन तथा अमरेश आनंद ने कहा कि फारवर्ड प्रेस पर  पुलिस की कार्रवाई अभिव्‍यक्ति की आजादी पर हमला है। यहां तक कि संपादकों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (अ) , 295 (अ) आज की तारीख में निरर्थक हो गये हैं तथा इसका उपयोग राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है।</p>

फारवर्ड प्रेस के मालिक और मुख्‍य संपादक आयवन कोस्‍का को नई दिल्‍ली के पटियाला हाऊस कोर्ट ने गुरुवार को अग्रिम जमानत दे दी। इस मैग्जीन के सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन को भी जमानत मिली। आदालत में मैग्जीन के मालिक और संपादक का पक्ष रखते हुए ख्‍यात नारीवादी लेखक व अधिवक्‍ता अरविंद जैन, साइमन बैंजामिन तथा अमरेश आनंद ने कहा कि फारवर्ड प्रेस पर  पुलिस की कार्रवाई अभिव्‍यक्ति की आजादी पर हमला है। यहां तक कि संपादकों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (अ) , 295 (अ) आज की तारीख में निरर्थक हो गये हैं तथा इसका उपयोग राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है।

जमानत के बाद सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन ने उत्‍तर प्रदेश के महोबा जिले में मौजूद महिषासुर (जिन्‍हें भैसासुर के नाम से भी जाना जाता है ) की तस्‍वीरें जारी करते  हुए कहा कि फारवर्ड प्रेस में कोई भी सामग्री सामग्री आधारहीन नहीं है। यह मंदिर भारतीय पुरातत्‍व विभाग द्वारा संरक्षित भी है। ऐसे सैकडों भौतिक साक्ष्‍य उपलब्‍ध हैं, जो यह साबित करते हैं कि ‘दुर्गा-महिषासुर’ का बहुजन पाठ अलग रहा है। उन्‍होंने कहा कि पत्रिका का इन पाठों को प्रकाशित करने का मकसद अकादमिक रहा है। इसके अलावा इस पाठों के माध्‍यम से हम चाहते हैं कि विभिन्‍न समुदाय एक दूसरे की भावनाओं, परंपराओं को समझें तथा एक-दूसरे करीब आएं। फारवर्ड प्रेस का कोई इरादा किसी समुदाय की भावना को आहत करने का नहीं रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

गौरतलब है कि इसके पूर्व उदय प्रकाश, अरुन्धति राय, शमशुल इस्लाम,शरण कुमार लिंबाले, गिरिराज किशोर, आनंद तेल्तुम्बडे, कँवल भारती, मंगलेश डबराल, अनिल चमडिया, अपूर्वानंद, वीरभारत तलवार, राम पुनियानी, एस.आनंद समेत 300 से हिंदी, मराठी व अंग्रेजी लेखकों ने फारवर्ड प्रेस पर कार्रवाई की निंदा की थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement