प्रिय यशवंत सर , सादर चरण स्पर्श. एपीन में संवाददाताओं की हालत की खबर छाप कर आपने सही किया. आपका तहे दिल से शुक्रिया. सर कृपा करके मेरा नाम प्रकाशित ना करें. आपकी मेहरबानी होगी. मैं एपीएन की कुछ और कहानी बता रहा हूं. जब आपने स्ट्रिंगरों को पैसा न दिए जाने की खबर छापी तो भड़ास की खबर के बाद एपीएन प्रबंधतंत्र ने संवाददाताओं को नॉएडा आफिस बुलाया. वो भी 10-10 जिले करके. पूरे दिन बैठा कर ढकोसलेबाजी हुई. वहां गये रिपोर्टर के आगे बड़ा कैमरा लगा दिया गया, जैसे आज ही ये स्टार बना दिए जाएंगे. दोपहर में खाना तो दिया मगर उसके बाद निवाला ही छीन लिया.
सभी लोग फरवरी से काम कर रहे थे लेकिन उनसे 5 अप्रैल से बिल माँगा गया और जब एचआर लोकेश मिले तो उन्होंने कमाल कर दिया. सबकी स्टोरी घटा दी. यानि 55 स्टोरी थी तो 20 स्टोरी कर दिया. भुगतान का पता नहीं. बेचारे पत्रकार इस उम्मीद के साथ गए थे कि उनका कुछ भला होने वाला है. मगर वहां तो उन्हें आश्वासन ही मिला. ऊपर से वहां दलाली का नुस्खा सिखा दिया गया. कहा गया कि किसी भी चैनल पर खबर दिखे तो एपीएन का पत्रकार सौदेबाजी कर आफिस से 300 रुपये में सीडी खरीद लेगा और बेच देगा. विज्ञापन 1000 रुपये का एक दिन के लिए लेगा और वसूली पार्टी के हिसाब से करेगा.
वाह एपीएन. वाह एपीएन का मैनेजमेंट. वाह एपीएन के एचआर लोकेश जी. सभी मिलकर बेचारे स्ट्रिंगर के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं. प्रदीप राय जी, राजश्री राय जी, ध्यान से सुन लीजिए. आप लोग भले मानते हों या नहीं मानते हों. गरीब की आह देर से लगती है लेकिन लगती जरूर है. पेट पर लात मारने का अंजाम बहुत बुरा होता है. बड़े बड़े अहंकारी और धनवाले अचानक भरभराकर एक दिन गिर गए. इसलिए अपने स्ट्रिंगरों को मत सताइए. उनके कमजोर होने का फायदा मत उठाइए. उन्हें उनका वाजिब हक दे डालिए.
एपीएन में कार्यरत एक स्ट्रिंगर द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
मूल खबर….
chetram
July 19, 2014 at 8:04 am
मुझे एक बात समझ नहीं आती
ये सारे एचआर ऐसे ही क्यों होते हैं ?
कर्मचारियों का शोषण और उनके साथ अन्याय करना
जैसे इन सबका जन्म सिद्ध कर्तव्य हो
कर्मचारी भूखे मर जाएँ ,पर ये सदा ओछे बनकर लालाओं की ही गुलामी
करते व चमचगिरी ही करेंगे
Neeraj
August 1, 2014 at 7:03 am
Abey Chetram tu intnee badi badi batain bol raha hey tu khud kaya hey, terey sey rikshwala 20 rupey mangta hey tu ussey 10 kehta hey, abey pehley khud ko sudhar ley samaj ko sudharney chala hey, tujey patta bhi hey ki HR hota kaya hey, khud ka ghar sambhala jata nahi duniya ki chinta sir per sawar hey.
Mukesh
August 1, 2014 at 7:08 am
Neeraj Bhai yey sala khud bahut bada chamcha hey, zindgi bhar chamchagiree kar kar key dusro key per daba daba kar key ab itnee aukat bana li hey ki comments likney laga hey. Pehley khud chamchagiree band kar phir bolna. Terna naam Chetram nahi Ched Ram hona chahiyey, jis thali mey khata hey ussi mey Ched karta hey.