आखिरकार ‘खबरें अभी तक’ चैनल पर लटका ही दिया ताला… शाम 5.15 पर एक नोटिस चस्पा कर चैनल बंद करने की सूचना चैनल कर्माचारियों को दे दी गई… इसी चैनल के प्रबंधन ने नवंबर में कई कर्मचारियों को यह कह कर निकाल दिया था कि कंपनी का पुनर्गठन हो रहा है. इस बहाने कुछ चाणक्यों ने नौकरी बचा ली थी. अब मालिक ने ऐसे चाटुकारों को भी नहीं छोड़ा. चैनल के मालिक सभापा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुदेश अग्रवाल हैं जो बिजली के खोपचे की दुकान का धंधा करते हैं. इन्होंने अपने चैनल से अपने आपको हरियाणा का भावी मुख्यमंत्री घोषित कर दिया था. मात्र 500 के लगभग वोट पाने वाले अग्रवाल अब अपने औकत में आ गए हैं.
ये 60 चैनल कर्मी को नहीं संभाल पाए. नंवबर में पुनर्गठन के बाद सुदेश ने चैनल के बचे हुए कर्मचारियों की मीटिंग लेकर कहा था कि आप सब चैनल को धोखा देकर मत जाना लेकिन अब मालिक साहब ही धोखा दे कर जा रहें हैं.. वह भी मात्र पांच माह में ही.. उस दौरान जो चैनल कर्मचारी निकले उनका किसी चाटुकार ने साथ नहीं दिया… जिसमें कथित रुप से एडिर इन चीफ उमेश जोशी भी था ..अब तीन माह की सैलरी की मांग करने के लिए प्रबंधन से लड़ने के लिए तैयार है …और हड़ताल पर बैठने की धमकी दे रहा है…
आपको चाटुकारों के नाम भी बता दें जो अब तीन माह की सैलरी के लिए भी लड़ने के लिए तैयार है ..जिसमें आउटपुट हेड नितेश सिन्हा ….कथित रुप से इनपुट हेड मनीष मासूम .. (खुद पर बीती तो शेर बने चाटुकार ..)
आइए अब प्रबंधन की जानकारी दें जो सुदेश की ओर से चैनल कर्मचारी से लड़ने के लिए तैयार हैं… पहला परिचय केमिकल की दुकान के मालिक जो चैनल कार्यकारी निदेशक है.. आई.डी गर्ग… निदेशक मार्कटिंग और ऑपरेशन ..जो जी न्यूज में मामूली लाइब्रेरियन थे संजीव कपूर …साथ ही HR का H भी ना पता होने वाले मानव संसाधन प्रबंधक साहब नफे सिंह… मार्कटिंग के प्रबंधक साहब जो खोके की दुकान चलाते थे …बी डी अग्रवाल .. ऐसे प्रबंधन हो तो खाक चैनल चलेगा जिसे पत्रकारिता का कुछ ज्ञान नहीं होता…
प्रबंधन से चैनल कर्मचारी अब तीन माह की सैलरी चाहते हैं… साथ ही बता दें कि अगर चैनल इन्हें तीन माह की सैलरी देगा तो वह साथी भी जो पुर्नगठन के दौरान निकाले गये थे, सभी कर्मी भी अपनी तीन माह की सैलरी के लिए प्रबंधन से लड़ने का मन बना चुके हैं… साथ ही बड़े चाटुकार अपने लाभ निकालने के लिए छोटे कर्मी पर चाणक्य नीति ना अपना दें, इसका भी डर छोटे चैनल कर्मचारी पर मंडरा रहा है…. देखते हैं इस बार कौन चाणक्य बनता है…क्या खबरें अभी तक के कर्मी प्रबंधन के खिलाफ अपनी आवाज उठायेगा या नहीं, जो पत्रकार समाज के शोषण की आवाज उठाता है, क्या अपने शोषण की आवाज उठा पायेगा..
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
jai ho
March 20, 2015 at 5:50 am
जय हो चाटुकारो की …जय हो…
रवीन्द्र
March 20, 2015 at 9:46 am
खबरें अभी तक का यहीं हाल होना था। शुरू के ही दिनों से यहां राजनीति थी। पहले सुभाष चौधरी ने रेणु रंगीला को निकालने की चाल चली। फिर जब चैनल विनोद मेहता नाम के एक दलाल पत्रकार के हाथ आ गया तो फिर तो चैनल में काम कम होता था और नैनशिकाई ज्यादा। विनोद मेहता अक्सर खबरें अभी तक के सामने के पार्क में लड़कियों के साथ घूमते नजर आते थे। ऐसे में आप उम्मीद कर सकते हैं कि चैनल में काम क्या होता होगा। एंकर भी उन्ही की पसंद की और कार्यक्रम भी। ऐसे में उनके चंपूओं ने खूव मलाई खाई औऱ उन्होंने भी जमकर माल बटोरा। फिर ये नए साहब आ गए इस बीच नीतेश सिन्हा भी अजगर की तरह चैनल में अपने आसपास के सभी सीनियर्स की कुर्सी खाता गया। जिसमें बिजेन्द्र कुमार का किस्सा बेहद रूला देने वाला है। एक के बाद एक सभी की नौकरी खाने वाला ये अजगर आजतक यहां डंटा बैठा रहा। अब चलो एक नर्क खत्म हुआ। लेकिन, अब डर ये अभी तक यहां थे तो अच्छा था। लेकिन, जब ये और दूसरी जगह जाएंगे तो वहां भी ये यहीं करेंगे। यानी गंदी राजनीति
ramesh
March 21, 2015 at 4:50 am
stringers se busness maange walo ka yahi haal hona tha. stringer bechara saara din garmi me or sardi me jaa ke unko khabar kr k de or uske baad use hi kahte hai k business do nahi to aapki payment nahi hogi. or jo air condition room me bethkar maje maarte hai un pr koi business ka target ni hota. is channel ka to ye haal hona hi tha. achha hua jo time se chhod diya. Is saalo ko haryana ke stringers ki aah le mari.
Roney
March 21, 2015 at 4:04 pm
Achchi kgabar.
kuwar pawan
March 21, 2015 at 5:17 pm
बहुत ख़ुशी है इस बात की कि इस घटनाक्रम में उन दोगलों को उनकी औकात पता चल गयी जो सिर्फ दूसरों के खिलाफ षड्यंत्र रचकर अपनी नौकरी बचाते रहे।मालिक सुदेश और मार्केटिंग हेड संजीव कपूर के तलबे चाट चाट कर अपनी वफ़ादारी का सबूत देते रहे और मालकान के इशारे पर अपने वफादार कर्मठ और सक्रिय साथियों का गला काटते रहे।शर्म आती है उमेश जोशी नितेश सिन्हा और मनीष मासूम जैसे चाटुकारों पर चापलूसी कर प्रमोशन पाते रहे अपनी सैलरी बड़वाते रहे और वाकी कर्मचारियों को उनके हक़ की आवाज न उठाने देने का भरोसा मालिक और मैनेजमेंट को देते रहे। ऐसे लोगों को पत्रकार कहना पत्रकारों की तौहीन है। ये तो सिर्फ दलाल है।नवम्बर 2014 में चैनल ने काफी कर्मचारियों को पुनर्गठन के नाम पर कॉमन नोटिस देकर निकल था तब ये तीनों दल्ले एक ओर तो कर्मचारियों के सामने अपनी मज़बूरी दिखा रहे थे दूसरी ओर मालिक से मिले हुए थे।तब निकाले गए कर्मचारियों ने तीन महीने की सेलरी की माग की तो इन तीनों दलालो ने किसी कर्मचारी का साथ नहीं दिया पर अब तीनों तीन महीने की सेलरी और धरना प्रदर्शन की बात कह रहे है।लेकिन उम्मीद यही है की ये दल्ले सिर्फ अपना भला देख कर बाकी कर्मचारियों का फिर भला नहीं होने देंगे।अब इन तीनों की मिलीभगत को सभी कर्मचारी जान भी गए है ऐसे में अब शायद कोई संसथान ऐसे दलाल पत्रकारों को नौकरी देने से पहले सौ बार सोचेगा।