राजकुमार सिद्धार्थ के बुद्ध बनने की कहानी आप सब जानते हैं। संसार के दुखों ने उन्हें सोचने समझने को मजबूर किया। वे सोचते और बढ़ते चले गए। फिर बुद्ध हो गए। उन्होंने दुनिया की बहुत बड़ी आबादी को दुखों से मुक्ति का रास्ता दिखाया।
एक ऐसा ही बालक फिर प्रकट हुआ है। वो इस बात से दुखी है कि कोई बच्चा सड़क पर सामान की बिक्री में क्यों जुटा रहता है?

चिंतक और लेखक सुशील मानव के इस सुपुत्र का नाम स्पर्श है। इनकी उम्र और इनकी चिंता और इनकी संवेदना को देखिए, महसूसिए! इस लिटिल बुद्ध को प्रमाण करिए! क्लिक करें-