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दिल्ली

महज पीएस के चुनाव पर मोदी के ऑफिस ने राजनाथ की पसंद में टांग फंसा दी

Nadim S. Akhter : चलिए, अंदर की बात बाहर तो आई. शीतयुद्ध का पता तो चला. नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह की -सोच- के बीच का अंतर जगजाहिर तो हुआ. पीएमओ (नरेंद्र मोदी पढ़ें) ने राजनाथ सिंह की पसंद पाले पीएस की नियुक्ति को फिलहाल रोक दिया है. ये वही राजनाथ हैं जिन्होंने बीजेपी अध्यक्ष होने के नाते मोदी को -पीएम बनाने- के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. सरकार बनने के बाद मंत्रालय भी मिला तो ठीक अटल-आडवाणी वाली जोड़ी की तर्ज पर. गृह मंत्रालय. राजनाथ गदगद.

<p><img src="images/demo/nadimsakhtar.jpg" alt="" /></p> <p>Nadim S. Akhter : चलिए, अंदर की बात बाहर तो आई. शीतयुद्ध का पता तो चला. नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह की -सोच- के बीच का अंतर जगजाहिर तो हुआ. पीएमओ (नरेंद्र मोदी पढ़ें) ने राजनाथ सिंह की पसंद पाले पीएस की नियुक्ति को फिलहाल रोक दिया है. ये वही राजनाथ हैं जिन्होंने बीजेपी अध्यक्ष होने के नाते मोदी को -पीएम बनाने- के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. सरकार बनने के बाद मंत्रालय भी मिला तो ठीक अटल-आडवाणी वाली जोड़ी की तर्ज पर. गृह मंत्रालय. राजनाथ गदगद.</p>

Nadim S. Akhter : चलिए, अंदर की बात बाहर तो आई. शीतयुद्ध का पता तो चला. नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह की -सोच- के बीच का अंतर जगजाहिर तो हुआ. पीएमओ (नरेंद्र मोदी पढ़ें) ने राजनाथ सिंह की पसंद पाले पीएस की नियुक्ति को फिलहाल रोक दिया है. ये वही राजनाथ हैं जिन्होंने बीजेपी अध्यक्ष होने के नाते मोदी को -पीएम बनाने- के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. सरकार बनने के बाद मंत्रालय भी मिला तो ठीक अटल-आडवाणी वाली जोड़ी की तर्ज पर. गृह मंत्रालय. राजनाथ गदगद.

लेकिन मोदी अपने आगे किसी को बड़ा कहां होने देते हैं. सरकार उनकी है, सो चलेगी भी उन्हीं की. बेचारे राजनाथ को किसी नए पीएस की तलाश करनी पड़ सकती है. और ये सब हो रहा है- मंत्रियों और विभागों पर सीधे पीएमओ का नियंत्रण बनाने के नाम पर. मुझे याद है जब अटलजी पीएम थे और आडवाणी जी को गृहमंत्री से उठाकर डिप्टी पीएम बनाया गया तो अपने घर में खाने की मेज पर एक साक्षात्कार देते वक्त आडवाणीजी ने कहा था–इसमें क्या नई बात है. पद मिलना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं. इसके पहले भी वही काम करता आ रहा था और आगे भी वही करूंगा….

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मतलब साफ है, जो सम्मान अटल और आडवाणी का एक-दूसरे के लिए था, वह मोदी-राजनाथ की जोड़ी में नजर नहीं आती. ज्यादातर मौकों पर अटल-आडवाणी एक-दूसरे की बात नहीं काटते थे लेकिन महज पीएस के चुनाव पर मोदी के ऑफिस ने राजनाथ की पसंद में टांग फंसा दी है. मामला बहुत छोटा है लेकिन बात अगर ईगो पर आई तो अंदर ही अंदर बड़ी हो सकती है.

लेकिन मोदी इन सबसे बेपरवाह हैं. उन्हें पता है कि जैसा बहुमत पार्टी को मिला है, उसका पूरा क्रेडिट उनको दिया जा रहा है. सो चलेगी उन्हीं की. सुषमा से लेकर सारा आडवाणी खेमा हथियार डाल चुका है. अब देखिए ना. झारखंड के हजारीबाग में अपने यशवंत सिन्हा बाबू जनता को बिजली दिलाने की -जबरदस्त लड़ाई- लड़ाई लड़ रहे हैं, जमानत ना देकर लगातार जेल की रोटी तोड़ रहे हैं लेकिन मोदी और उनका खेमा है कि उनको पूछ तक नहीं रहा. किसी ने घास नहीं डाली तो यशवंत की इज्जत बचाने के लिए अब आडवाणी हजारीबाग जा रहे हैं.

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याद है ना, यशवंत के बागी तेवर, जब मोदी का कद पार्टी में बढ़ रहा था. तब जेटली-राजनाथ और सुशील मोदी जैसे लोग उनके साथ खड़े थे. सो सिंहासन मिलते ही राजा ने तोहफे बांट दिए हैं. सुशील मोदी को भी तगड़ा इनाम देरसबेर मिल ही जाएगा. लेकिन राजनाथ के पर कतर कर नरेंद्र मोदी ने ये संकेत दे दिया है कि आने वाले 5 साल वह देश पर एकछत्र राज करेंगे. उनको चुनौती कोई नहीं दे सकता. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी नहीं.

पत्रकार नदीम एस. अख्तर के फेसबुक वॉल से.

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