Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

इन संस्थाओं में ब्राह्मणों ने पावर को अपना ऐशगाह बना रखा है!

संजीव चंदन-

साहित्य अकादमी में पहली महिला उपाध्यक्ष बनी हैं प्रोफ. कुमुद शर्मा। बहुत बधाई। यह साहित्य अकादमी में अपने किस्म की डायवर्सिटी है। इस निर्वाचन पर लोग आपको भटकाएंगे। संघ-बनाम वामपंथ करेंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन आप न भटकें तो बेहतर। मैं इन दिनों एक लेख के सिलसिले में और हिंदी साहित्य व भाषा के सनंस्थानो के भीतर डायवर्सिटी के अभियान के सिलसिले में लगभग 15 हिंदी संस्थानों के पावर स्ट्रक्चर से गुजर रहा हूँ।

मूल मामला संघ-बनाम वामपंथ का नहीं है। कल एक बड़े साहित्यकार का एक बड़ा सवाल था कि आखिर इनके (दक्षिणपंथी साहित्यकारों के) लिए रास्ता किन लोगों ने बनाया है। साहित्य अकादमी या अन्य संस्थाओं के पुराने कथित वामपंथी ताकतों ने ही न।

और आज उनमें से कई इसे अन्यान्य वजहों से चीयर भी करेंगे। वैसे भी कुमुद शर्मा दिल्ली विश्वविद्यालय में हो रही नियुक्तियों के हर दूसरे पैनल में होती हैं। वे पावरफुल हैं। उनकी विरासत है, वे कथाकार अमरकान्त की पुत्रवधु हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इन संस्थाओं में ब्राह्मणों ने पावर को अपना ऐशगाह बना रखा है। हाई कास्ट हिन्दू मेल ने। इसी वजह से एक महिला का अभी उपाध्यक्ष होना और आगे अध्यक्ष होना डायवर्सिटी के लिहाज से स्वागत योग्य है- इतना ही सही ब्राह्मण पुरूष से ब्राह्मण स्त्री। गति कछुआ है।

हाल यह संस्थाओं का है, लेखक संगठनों का है। जाति के रंग अनेक है। यह अकारण नहीं है कि इन दिनों पावर गेन कर रहे दो युवा आलोचक, भूमिहार और ब्राह्मण एक लेखक संगठन के मुख्य हैं और एक बुजुर्ग विद्वान पिछले 20 सालों से कोषाध्यक्ष है-क्योंकि वह बनिया जाति समूह से आते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यह अकारण नहीं है कि कभी अपने घोषणापत्र में ब्राह्मणवाद को शामिल करने वाले एक लेखक संगठन में बनारसी भूमिहार-ब्राह्मण वर्चस्व होते ही ब्राह्मणवाद की घोषणा पत्र से गायब हो जाती है।

यह अकारण नहीं है कि ग्रैंड ओल्ड लेखक संगठन आज भी भूमिहार-ब्राह्मण-राजपूत-कायस्थ पुरुषों का चारागाह है, जिसके बल पर वे सत्ता पाते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यही वह सत्ता है, जो हिंदी साहित्य और भाषा में हेजेमनी, कैनन और विर्मश रुचती है, हजारो करोड़ के फंड का वारा-न्यारा करती है।

प्रोफ. कुमुद शर्मा को बधाई। वे दो पावर सेंटर हैं। आजकल दिल्ली विश्वविद्यालय की विभागध्यक्ष भी हुईं हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement