Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

वेतन देने में देरी करो, माहौल ख़राब करो और बिना छंटनी किए ही छंटनी का काम कर लो…

वेतन देने में देरी करो, माहौल ख़राब करो और बिना छंटनी किए ही छंटनी का काम कर लो… यूपी-उत्तराखंड का चैनल ‘के न्यूज’ का प्रबंधन फिलहाल इसी फॉर्मूले पर काम कर रहा है। चैनल प्रबंधन पिछले तीन सालों से वादा कर रहा है कि मार्च महीने में कर्मचारियों को इंक्रीमेंट देगा। तीसरे साल का मार्च बीत गया और कर्मचारियों का इंक्रीमेंट कौन कहे वेतन तक नहीं दे पाया प्रबंधन।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>वेतन देने में देरी करो, माहौल ख़राब करो और बिना छंटनी किए ही छंटनी का काम कर लो... यूपी-उत्तराखंड का चैनल 'के न्यूज' का प्रबंधन फिलहाल इसी फॉर्मूले पर काम कर रहा है। चैनल प्रबंधन पिछले तीन सालों से वादा कर रहा है कि मार्च महीने में कर्मचारियों को इंक्रीमेंट देगा। तीसरे साल का मार्च बीत गया और कर्मचारियों का इंक्रीमेंट कौन कहे वेतन तक नहीं दे पाया प्रबंधन।</p>

वेतन देने में देरी करो, माहौल ख़राब करो और बिना छंटनी किए ही छंटनी का काम कर लो… यूपी-उत्तराखंड का चैनल ‘के न्यूज’ का प्रबंधन फिलहाल इसी फॉर्मूले पर काम कर रहा है। चैनल प्रबंधन पिछले तीन सालों से वादा कर रहा है कि मार्च महीने में कर्मचारियों को इंक्रीमेंट देगा। तीसरे साल का मार्च बीत गया और कर्मचारियों का इंक्रीमेंट कौन कहे वेतन तक नहीं दे पाया प्रबंधन।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वेतन में देरी की वजह इंक्रीमेंट से बचना बताया जा रहा है। 2015 में भी के न्यूज प्रबंधन ने मार्च के बाद बस कुछ खास लोगों की सैलरी बढ़ाकर चैनल ने बाकियों का वेतन लटका दिया था। कर्मचारियों से तब कहा गया था कि चैनल आर्थिक संकट में है इसलिए इंक्रीमेंट देने में सक्षम नहीं है। तब कर्मचारियों ने भरोसा कर लिया और मान गया। प्रबंधन ने तब वादा किया कि अगले साल मार्च में इंक्रीमेंट देगा। लेकिन 2016 में भी कर्मचारियों के साथ धोखा हुआ और मार्च से लेकर जून तक आर्थिक संकट का माहौल बनाकर कर्मचारियों को फिर धोखा दिया गया।

यूपी-उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान जब पत्रकारों को दूसरे चैनलों से अच्छी तनख्वाह के ऑफर आने लगे तब फिर ‘के न्यूज़’ ने जाल रचा और तब बताया गया कि मार्च में 20 से 30 फीसदी तक इंक्रीमेंट होना है। इसके लिए बाजाप्ता डिपार्टमेंटल हेड से प्रस्ताव मंगाए गए। कर्मचारियों से एक फॉर्म भरवाया गया। एक-एक कर्मचारी को कागजी कार्रवाई के जरिए भरोसे में लिया गया। इस काम में प्रबंधन ने चैनल की एचआर निहारिका सिंह और संपादक दुर्गेंद्र सिंह चौहान को लगाया। लेकिन जब भरोसा खो चुके कर्मचारी नौकरी छोड़ने लगे तो खुद चैनल के चेयरमैन अनुराग अग्रवाल और डायरेक्टर धर्मेश चतुर्वेदी एक-एक कर्माचारी को मार्च में मिलने वाले इंक्रीमेंट का पूरा ढांचा समझाने लगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कर्मचारियों को डायरेक्टर धर्मेश चतुर्वेदी और कानपुर में एक अखबार के रिपोर्टर से सीधे चैनल का संपादक बने दुर्गेंद्र सिंह चौहान पर तो भरोसा नहीं हुआ लेकिन चेयरमैन अनुराग अग्रवाल और एचआर मैनेजर निहारिका सिंह पर भरोसा हो गया। और इसी भरोसे ने एक बार कर्मचारियों को कहीं का नहीं छोड़ा। प्रबंधन अब छंटनी की तैयारी में है और इसके लिए प्रक्रिया अपनाई गई है वेतन डिले की। वेतन में देरी होने पर तीन सालों से लगातार धोखा खा रहे कर्मचारियों का ग़ुस्सा बढ़ रहा है और जब वो वेतन की मांग कर रहे हैं तो उनसे कहा जा रहा है कि इस्तीफा दीजिए आपका अब तक का हिसाब कर दिया जाएगा।

प्रबंधन के इशारे पर संपादक दुर्गेंद्र सिंह चौहान इस्तीफा करवाओ मिशन में जुट गए हैं। चैनल के प्रधान संपादक अमिताभ अग्निहोत्री ने भी बेहाल कर्मचारियों की तरफ से मुंह फेर लिया है। जून के पहले सप्ताह में कर्मचारी अप्रैल के वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं और प्रधान संपादक, संपादक मजे में प्रबंधन के साथ लंच-डिनर ले रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. dukhi staff

    June 12, 2017 at 11:51 am

    विधानसभा चुनाव-2017 में प्रबंधन को करोड़ों रुपए दिलाने के सब्जबाग दिखाकर अपने गिरोह समेत के.न्यूज के एडिटर इन चीफ और CEO बने अमिताभ अग्निहोत्री का भाण्डा फूट गया है। चुनाव में विज्ञापन रेवेन्यू के नाम पर फूटी कौड़ियों से ही के.न्यूज के निदेशकों को संतोष करना पड़ा। यही वजह रही कि निदेशकों में ही आपस में खींचतान शुरू हो चुकी है। चैनल के एक निदेशक बेचारे अनुराग अग्रवाल दूसरी फील्ड से हैं, इसलिए खुद को बुरी तरह से फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं जबकि चैनल की बेहतरी के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। निदेशकों की आपसी लड़ाई का सीधा असर चैनल और स्टॉफ पर साफ नजर आ रहा है। माहौल भांपकर अमिताभ अग्निहोत्री इस बीच चार जगह इंटरव्यू दे चुके हैं किन्तु अभी बात बनती नजर नहीं आ रही है। मोटी सैलरी पर आए अमिताभ और उनकी टीम को तो सैलरी वक्त पर मिल रही है, बाकी स्टॉफ के समक्ष सैलरी का संकट हो गया है। तीन हजार से 10-12 हजार सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को अभी बीते माह की सैलरी नहीं मिली जबकि यह महीना भी पूरा होने वाला है। उनके समक्ष रोजमर्रा के खर्च का संकट खड़ा हो गया है। इससे चैनल में जबर्दस्त आक्रोश है। वीडियो एडिटिंग विभाग और कुछ अन्य कर्मचारियों में विरोध के स्वर भी मुखर हैं। कई कर्मचारी दफ्तर नहीं आए और अपने प्रभारियों का फोन भी नहीं उठा रहे हैं।
    एक दुखी कर्मचारी
    के.न्यूज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement