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सुख-दुख

दिल्ली-एनसीआर का जीवन और सॉफ़्टवेयर डेवलपर की लाश!

सुधीर मिश्रा-

विश्वास नहीं होता कि पांचजन्य देबपुरकायस्था का हाल चाल लेने वाला कोई नहीं था। उसकी कॉरपोरेट दुनिया, दोस्त और घर परिवार में कोई भी नहीं।

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आसाम के रहने वाले इस सॉफ्टवेयर डेवलपर की लाश मेरी ही सोसायटी एचआरसी अपार्टमेंट वैभव खंड इंदिरापुरम में कल शाम उनके फ्लैट में मिली। करीब सात दिन बाद। वह भी तब जब पड़ोसी को बदबू असहनीय हो गई।

आश्चर्य होता है कि यहां पड़ोसी इतने ज्यादा अपने से मतलब रखने वाले क्यों हो जाते हैं। शायद पांचजन्य भी ऐसे ही एकाकी रहने वाले होंगे।

पड़ोस वालों को चार दिन से बदबू आ रही थी, बोले तब जब बहुत मुश्किल हुई। अब हाल यह है कि असम में उनका घर कहां है, यह तक किसी को नहीं पता। इस तरह की मौतें एक सबक हैं। मिलते जुलते रहिए, हाल चाल लेते रहिए। दोस्त बनाइए दोस्त बनिए, सिर्फ दोस्ती के लिए नहीं। यह बताते रहने और जानने के लिए भी कि हम और आप अभी जिंदा हैं।

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