Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

मालदीव भारत झड़प में वीरता प्रचारित करने वाली पत्रकारिता को समझिये

14 फरवरी 2019 को पुलवामा, 27 फरवरी 2019 की कत्ल की रातऔर अभिनंदन वर्तमान की रिहाई की याद दिलाने वाली किताब की खबर भी आज है

संजय कुमार सिंह

आज इंडियन एक्सप्रेस की लीड का शीर्षक हिन्दुस्तान टाइम्स और  द हिन्दू में पहले पन्ने पर नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया और द टेलीग्राफ में लीड ही है पर शीर्षक में अंतर है। आज यह भी रेखांकित करने योग्य है। ऐसे में द हिन्दू की लीड, अच्छी खासी महत्वपूर्ण है और अनुच्छेद 370 हटाने के बाद के कश्मीर की हालत बताती है। इसके अनुसार, कश्मीर में स्थानीय निकायों का कार्यकाल आज पूरा हो जायेगा तथा अगले चुनाव की अभी कोई खबर नहीं है। ऐसे में कल से राज्य के स्थानीय निकायों का कोई सदस्य नहीं होगा और सिर्फ छह सांसद और जिला विकास परिषद के सदस्य ही बचे हुए निर्वाचित प्रतिनिधि होंगे।  

Advertisement. Scroll to continue reading.

1. इंडियन एक्सप्रेस – मोदी के खिलाफ टिप्पणी को लेकर विवाद के बाद मालदीव ने तीन मंत्रियों को निलंबित किया। 2. टाइम्स ऑफ इंडिया – मोदी के खिलाफ टिप्पणी को लेकर मालदीव ने तीन मंत्रियों को निलंबित किया 3. द टेलीग्राफ में इसे फ्लैग शीर्षक में बताया गया है। मोदी विरोधी टिप्पणियों के लिए मंत्री पद छिना। मुख्य शीर्षक है हिन्दी अखबारों में शीर्षक मोदी की प्रशंसा और भारत की वीरता बताने वाला है। 4. नवोदय टाइम्स – भारत के कड़े रुख के बाद घुटनों पर आया मालदीव। और 5. अमर उजाला का शीर्षक है – भारत व पीएम मोदी पर अशोभनीय टिप्पणी करने वाले मालदीव के तीन मंत्री निलंबित। उपशीर्षक है, भारत के दबाव और अपने मंत्रियों के पैदा किये शर्मनाक हालात में झुकी मालदीव सरकार। मुद्दा यह है मालदीव जैसा देश भारत से क्या टक्कर लेगा? पर प्रचार है। ऐसे में खबर तो यही है कि संबंध या माहौल ऐसे हैं कि उसके मंत्री भी प्रधानमंत्री के लिए भला-बुरा बोल दे रहे हैं। टेलीग्राफ का शीर्षक यही है। दि हिन्दू ने प्रमुखता नहीं दी है तो इसी कारण कि इस झड़प का क्या मतलब।    

मुझे यह नहीं समझ में आ रहा है कि अपने मंत्रियों की टिप्पणी के कारण राष्ट्रपति या वहां की सरकार ने अगर उन्हें निलंबित किया तो यह उनका निजी और आंतरिक मामला है। मालदीव कैसे झुका या घुटनों पर आया। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो क्या भारत मालदीव पर हमला करने वाला था या उन मंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकता था। जो भी हो, अमर उजाला ने बताया है इससे भारत में कितना गुस्सा है, भारतीयों ने रद्द की 10,500 होटल बुकिंग व 5520 विमान टिकट। हम जानते हैं कि विमान टिकट हर आदमी का अकेला होता है और भारतीय रेल की तरह एक से ज्यादा लोगों के प्लैटफॉर्म टिकट एक साथ नहीं बनते हैं। ऐसे में 5520 लोगों ने 10,500 कमरे क्यों बुक कराये थे या वहां बुकिंग का मतलब कमरे से होता है? जो लोग जा रहे थे उनका मकसद घूमना था, सुंदरता देखनी थी या अच्छे संबंधों के लिए कृपा करना था। पता नहीं। क्या ये लोग पाकिस्तान इस कारण नहीं जाते हैं कि संबंध खराब हैं?       

Advertisement. Scroll to continue reading.

इनके अलावा, आज के अखबारों में दो दिलचस्प खबरें हैं दोनों का संबंध सत्तारूढ़ भाजपा की चुनाव तैयारियों और करीब आते 2024 के लोकसभा चुनाव से है इसलिए दोनों दिलचस्प हैं और इनका पिछला संदर्भ भी। पहली खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में है जो पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे अजय बिसारिया की किताब, ऐंगर मैनजमेंट द ट्रबल्ड डिप्लोमैटिक रिलेशनशिप बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान से संबंधित खबर और एक खास समय की यादें हैं। दूसरी खबर द हिन्दू में पहले पन्ने पर छपी है। जीएसटी वसूली बढ़ने के प्रचार से निकले आंकड़ों से संबंधित यह खबर दिलचस्प है और उस सच को बताती है जो गोदी मीडिया नहीं बताता है। सरकार तो छिपाती ही रहती है।

एक तरफ सरकार चुनाव की तैयारियों में व्यस्त है, मंदिर मामले से धु्रवीकरण की कोशिशें चल रही हैं तो दूसरी ओर यह डर भी है कि इससे काम चल जायेगा? गोदी मीडिया की खबरों का सच रिटायर अफसरों की किताबों और संस्मरणों से सामने आने लगा है। मोदी राज में घुटे अफसर अगर किताबों के जरिये सच बताने लगे तो 2024 के चुनावों पर उसका असर पड़ सकता है क्या? देखना दिलचस्प होगा कि कैसे निपटेगी सरकार? किसकी, कितनी किताबें रुकेंगी और कितनों का अंश छपेगा। जहां तक रिटायर अफसरों की किताबों का सवाल है, इसमें देशभक्ति और उसके खुलासे की भी पूरी गुंजाइश है। और उसपर तानाशाही वाला प्रतिबंध भी आसान नहीं होने वाला है। इतिहास गवाह है कि सीबीआई ने इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया था और ताजा कहानी है कि तृणमूल विधायक को गिरफ्तार करने गई ईडी की टीम पिट गई। बाकी मामलों की जो खबरें छपीं या नहीं छपी और उनमें ट्रोल सेना की मदद से देशभक्ति का जो एंगल दिया गया तो उसके कारणों को भी देखना होगा। यह सब मोदी है तो मुमकिन है और नामुमकिन मुमकिन है जैसे नारों के बीच हुआ है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री, प्रतिभा पाटिल के राष्ट्रपति, मीरा कुमार के लोकसभा अध्यक्ष रहने तथा बहुचर्चित आईपीएस किरण बेदी के बाद देश में ‘बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा तथा पहलवान बेटियों का विरोध तथा उनकी शिकायतों के बावजूद बलात्कार के आरोपी को मिला संरक्षण देश ने देखा है और तब ऐसे मीडिया वाले हैं जो कथित बलात्कारियों की फोटो राहुल गांधी के साथ डालकर पूछते हैं कि इसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है या राहुल गांधी का करीबी है तो बचाया क्यों जा रहा है जबकि सरकार राहुल गांधी की विरोधी है। राहुल गांधी खुद जमानत पर हैं, संसद की सदस्यता जा चुकी है, निचली अदालतों से बहाल नहीं हुई और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सदस्यता खत्म करने के फैसले में क्या खामियां थीं। अपने बहनोई रॉबर्ट वाड्रा को नहीं बचा रहे हैं और हर चुनाव में उनकी जांच शुरू हो जाती है।

ऐसे में मीडिया की भूमिका बड़ी है और जब वह ठीक नहीं है तो किताबों का महत्व बढ़ जाता है और वह देखने लायक होगा। हाल के समय में दो किताबें नहीं आने की खबर है। पहली किताब इसरो के पूर्व प्रमुख एस सोमनाथ की है जो मलयालम में लिखी गई थी। इसका नाम है, निलवु कुडिचा सिमहंगल। बताया जाता है कि इसमें चंद्रयान दो की नाकामी से संबंधित कुछ चूक का जिक्र है। विवाद या चर्चा छिड़ने पर लेखक ने स्वयं इसे वापस ले लिया। हालांकि, खबरों के अनुसार उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने उन्हें ऐसा करने के लिए नहीं कहा था। फिर भी, किताब वापस लिये जाने का मतलब है, खासकर अपने विषय के कारण। इन दिनों पूर्व नौकरशाह, अनिल स्वरूप की किताब, एनकाउंटर्स विद पॉलिटिशियंस भी चर्चा में है। इसमें उन्होंने तमाम अन्य बातों के साथ बताया है कि 2014 के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2016 में नोटबंदी के बाद बदल गये। कैसे बदले और क्यों बदले होंगे। इसपर अटकलें ही हो सकती हैं पर दिलचस्प होंगी। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे की किताब चर्चा में है। जनरल नरवणे 30 अप्रैल 2022 को रिटायर हुए थे और उनकी किताब, फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी लगभग तैयार है। कुछ दिन पहले प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने उसकी समीक्षा की थी और इसके अंश के आधार पर खबरें भी की थीं। इनके अनुसार, पूर्व सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने अपने संस्मरण में 31 अगस्त 2020 को रक्षा मंत्री से हुई अपनी बातचीत का विवरण दिया है। बाद में इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि सेना अपने पूर्व प्रमुख की किताब में लद्दाख की भिड़ंत के विवरण की समीक्षा कर रही है। प्रकाशक से कहा गया है कि वह समीक्षा पूर्ण होने तक किताब का विवरण साझा न करे। फिलहाल किताब के बारे में अगली सूचना का इंतजार है।

रिटायर अफसरों द्वारा किताबें लिखना कोई नई बात नहीं है। इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने वाले आईपीएस एनके सिंह की किताब, द प्लेन ट्रुथ है तो एक लाख 76 हजार करोड़ के 2जी घोटाले पर अपनी किताब, नॉट जस्ट एन अकाउंटैंट में, “सब कुछ जानने के बाद भी ‘मौन’ रहे मनमोहन” लिखने वाले, इस सरकार से पुरस्कृत पूर्व सीएजी विनोद राय भी हैं। भारत-पाक संबंध पर पूर्व विदेश सचिव जेएन दीक्षित से लेकर पीएमओ में अधिकारी रहे जरनैल सिंह की किताब, विद फोर प्राइम मिनिस्टर्स भी है। यही नहीं, राजदूत बीएम ओजा ने बोफर्स पर द अम्बैसडर्स एवीडेंस के नाम से किताब लिखी थी। ये तो रिटायर अफसरों की किताबें हैं, पुलवामा साजिश पर आईपीएस दनेश राणा की भी किताब है। ऐज फार ऐज सैफ्रॉन फील्ड्स सेवा में रहते हुए लिखी गई है और ऐसी कुछ दुर्लभ किताबों में है। दूसरी ओर, राफेल पर मशहूर पत्रकार रवि राय और परंजय गुहा ठकुरता की किताब, ‘फ्लाइंग लाईज?’ स्व प्रकाशित है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कानून बनाकर जब मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है तब यह बताना दिलचस्प है कि मशहूर चुनाव आयुक्त, टीएन शेषन ने संजय हजारिका के साथ, “द डीजेनरेशन ऑफ इंडिया” नाम से किताब लिखी थी। कहने की जरूरत नहीं है कि क्षरण की दास्तां किताबों के रूप में आये तो रोकने का बहाना जो भी हो, तानाशाही जैसा ही होगा। ट्रोल सेना और गोदी मीडिया मिलकर कहानी चाहे जो परोसें सच यह भी है कि किताबों के जरिये अगर कांग्रेस की सरकार को बदनाम किया गया है तो मौजूदा सरकार ने किताबों से प्रचार भी किया है। अभी मैं ईवीएम के खिलाफ लिखी और प्रचारित किताबों की बात नहीं करूंगा बल्कि यह बताना चाहूंगा कि हाल में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की भगवान राम पर लिखी किताब का लोकार्पण दिल्ली में हुआ है।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमें मर्यादा पुरूषोत्तम राम की आवश्यकता है ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के चरित्र का निर्माण कर सकें। खबरों के अनुसार, रंग भवन ऑडिटोरियम में ‘राम मंदिर राष्ट्र मंदिर एक साझी विरासत’ किताब का लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी महाराज समेत तमाम लोग मौजूद थे। इस दौरान आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भगवान राम ने हमारे लिए जो किया असल में उनके लिए उन्हें मर्यादा पुरूषोत्तम कहा जाता है। उन्होंने कहा, ‘जरा गौर करिए जब वन जाने का फैसला हुआ तो राजा दशरथ उनसे अकेले में कहते हैं, तुम मुझे कैद कर लो, तुमने वचन नहीं दिया है, मैंने वचन दिया है। तुम मेरे वचन के पाबंद नहीं हो, तुम राजा बन जाओ। इसपर राम ने कहा कि आपने वाचन दिया है तो उसे मैं निभाऊंगा।’

Advertisement. Scroll to continue reading.

वैसे तो मैंने अभी तक यह सब नहीं सुना था लेकिन इससे याद आया कि राम भगवान नहीं राजा थे। दशरथ के पुत्र थे और वंशवाद से राजा बनते पर अपनी कई माओं में से एक को दिये गये पिता के वचन के कारण वनवास के लिए मजबूर हुए। इसका जिक्र मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल में किया था। आरिफ मोहम्मद खान ने राम की तो तारीफ की है पर एक से ज्यादा मां और सौतेली मांओं का जिक्र उचित नहीं है। वह तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने के लिए जरूरी था। इसलिए राम की तारीफ बनती है। पर भगवान बना देने की बात अलग है। हमलोग बचपन में राजा राम चंद्र की जय ही कहते सुनते थे।

आइए, अब जीएसटी पर हिन्दू की खबर को देखें। खबर का शीर्षक है जीएसटी संग्रह से राज्यों में उपभोग वृद्धि में विसंगति का पता चलता है। राज्य-वार जीएसटी वसूली से पता चलता है कि गुजरात, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश उन एक दर्जन राज्यों में से हैं, जिनमें कमजोर वृद्धि देखी जा रही है। वैसे तो जीएसटी राजस्व अप्रैल से दिसंबर 2023 तक मजबूत रहा है, 11.7% की दर से बढ़ रहा है और प्रति माह औसतन ₹1.66 लाख करोड़ है। दरअसल, जीएसटी एक खपत आधारित टैक्स है जो मोटे तौर पर अर्थव्यवस्था में उपभोग के रुझान का संकेत दे सकता है। राज्य जीएसटी संग्रह में लगभग 97% हिस्सेदारी रखने वाले 20 सबसे बड़े राज्यों में से, दो बड़े राज्य, गुजरात (9.5%) और पश्चिम बंगाल (9.8%) ही ऐसे राज्य हैं, जिनकी वृद्धि दर दोहरे अंक से कम रही है, जबकि 10 अन्य राज्यों में वृद्धि राष्ट्रीय औसत 15.2% से कम दरों पर हुई है। दूसरी ओर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना सहित आठ राज्यों में जीएसटी राजस्व में 17% से 18.8% की वृद्धि देखी गई है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस रिपोर्ट के सहलेखकों में से एक, अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा है, “इस समय जो उपयोग हो रहा है और मांग है वह चिंता का विषय है क्योंकि यह उच्च आय वर्ग से संबंधित परिवारों द्वारा बड़े पैमाने पर उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के पक्ष में झुकी हुई है। रेटिंग एजेंसी के प्रमुख ने कहा, पीएफसीई की निरंतर वृद्धि के लिए, उपभोग मांग में सुधार को व्यापक होना चाहिए, जिसमें कम आय वर्ग के परिवारों द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान हो। कुल मिलाकर, इस रिपोर्ट से यही पता चलता है कि सरकार भले यह बताने की कोशिश कर रही है कि जीएसटी वसूली बढ़ रही है इसलिए सब ठीक है। जबकि तथ्य यह है कि वसूली पैसे वालों का उपभोग और खर्च बढ़ने से हो रही है। इसमें इस बात का भी मतलब है कि गरीबों से भी टैक्स वसूला जा रहा है और उन वस्तुओं व सेवाओं पर भी टैक्स है जिसका उपयोग गरीब ज्यादा करते हैं। लेकिन उसपर सरकार का ध्यान नहीं है।

ऐसे माहौल में मणिपुर में संपादकों की गिरफ्तारी दिल्ली में अखबारों के लिए बड़ी खबर नहीं है। अखबारों और संपादकों की भूमिका की सेना ने एडिटर्स गिल्ड से शिकायत की थी और एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों ने वहां जाकर जो रिपोर्ट लिखी उसके लिए गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर हो गई थी। ऐसे में मणिपुर की पत्रकारिता बेहद उलझी हुई या सरकार और हमलावरों के बीच फंसी हुई लग रही है। सरकार क्या कर रही है यह तो पता ही नहीं चल रहा है। अखबार अपनी बिरादरी की खबर नहीं दे रहे हैं या देने के इच्छुक नहीं हैं और सरकार वहां से खबरें ठीक से आये इसके लिए क्या कर रही है उसका भी पता नहीं है। आज टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार गिरफ्तार संपादक को जमानत मिल गई है। पर संपादकों को गिरफ्तार किया ही क्यों जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता का क्या मतलब है। यह कोई छोटा मोटा मामला नहीं है, घटनाएं छिटपुट नहीं हैं पर खबरें नहीं हैं। आखिर क्यों?

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement