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बिहार

पुलिस के निशाने पर पत्रकार, नाम सुनते ही भड़के थानेदार

बिक्रमगंज। रोहतास पुलिस इन दिनों पत्रकारों को संदिग्ध नजर से देख रही है। जिले के पुलिस कप्तान हो या फिर थानेदार, ये लोग पत्रकार नामक शब्द सुनते ही तिलमिला जा रहे हैं। वैसे तो पहले से ही जिले के पुलिस कप्तान जिले के एक पत्रकार हत्याकांड में पत्रकारों पर बौखलाए हुए हैं और सबको संदिग्ध नजर से देखा जा रहा है। सासाराम बिक्रमगंज मुख्य पथ पर संध्या समय दो पहिया वाहन की सख्ती से धर पकड़ के दौरान बिक्रमगंज के एक दैनिक अख़बार के पत्रकार संजय पाण्डेय सासाराम से अपना कार्य संपादित कर वापस लौट रहे थे. सड़क को पूरी तरह अपने आगोश में लिए आगडेर थाने की पुलिस ने पत्रकार के मोटरसाइकिल को रुकवाया और थाना प्रभारी कुमार गौरव से मिलने को कहा.

<p>बिक्रमगंज। रोहतास पुलिस इन दिनों पत्रकारों को संदिग्ध नजर से देख रही है। जिले के पुलिस कप्तान हो या फिर थानेदार, ये लोग पत्रकार नामक शब्द सुनते ही तिलमिला जा रहे हैं। वैसे तो पहले से ही जिले के पुलिस कप्तान जिले के एक पत्रकार हत्याकांड में पत्रकारों पर बौखलाए हुए हैं और सबको संदिग्ध नजर से देखा जा रहा है। सासाराम बिक्रमगंज मुख्य पथ पर संध्या समय दो पहिया वाहन की सख्ती से धर पकड़ के दौरान बिक्रमगंज के एक दैनिक अख़बार के पत्रकार संजय पाण्डेय सासाराम से अपना कार्य संपादित कर वापस लौट रहे थे. सड़क को पूरी तरह अपने आगोश में लिए आगडेर थाने की पुलिस ने पत्रकार के मोटरसाइकिल को रुकवाया और थाना प्रभारी कुमार गौरव से मिलने को कहा.</p>

बिक्रमगंज। रोहतास पुलिस इन दिनों पत्रकारों को संदिग्ध नजर से देख रही है। जिले के पुलिस कप्तान हो या फिर थानेदार, ये लोग पत्रकार नामक शब्द सुनते ही तिलमिला जा रहे हैं। वैसे तो पहले से ही जिले के पुलिस कप्तान जिले के एक पत्रकार हत्याकांड में पत्रकारों पर बौखलाए हुए हैं और सबको संदिग्ध नजर से देखा जा रहा है। सासाराम बिक्रमगंज मुख्य पथ पर संध्या समय दो पहिया वाहन की सख्ती से धर पकड़ के दौरान बिक्रमगंज के एक दैनिक अख़बार के पत्रकार संजय पाण्डेय सासाराम से अपना कार्य संपादित कर वापस लौट रहे थे. सड़क को पूरी तरह अपने आगोश में लिए आगडेर थाने की पुलिस ने पत्रकार के मोटरसाइकिल को रुकवाया और थाना प्रभारी कुमार गौरव से मिलने को कहा.

एक अच्छे पत्रकार की तरह शालीनतापूर्वक थाना प्रभारी के समक्ष जाकर पत्रकार ने अपना परिचय दिया तो थाना प्रभारी ने “पत्रकार” शब्द सुनकर तिलमिला गए. बोले कि आज पुलिसकर्मियों को भी नहीं बख्शा गया, तुम तो पत्रकार हो. पत्रकार पाण्डेय ने बगैर हाथ पांव मारे मोटरगाड़ी अधिनियम एक्ट की धारा 1988 के तहत हेलमेट नहीं होने का सौ रुपया जुर्माना देकर थाने से चलते बने। फिलहाल सुशासन की सरकार में बेलगाम अपराधियों पर लगाम लगाने की बजाय जिले की पुलिस पत्रकारों पर ही अंकुश लगाने में अपने कर्तव्य और दायित्व का निर्वाह समझ रही है।

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