चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ कथित रूप से धन देकर खबर छपवाने के मामले तथा चुनाव खर्चे का गलत ब्यौरा देने की अंतिम सुनवाई की। मुख्य निर्वाचन आयुक्त वीएस संपत तथा चुनाव आयुक्तों एचएस ब्रहमा व एसए जदी की सदस्यता वाली पूर्ण पीठ ने दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनीं और फैसला सुरक्षित रख लिया। आयोग मुख्यालय में तीन घंटे से अधिक चली सुनवाई के बाद चव्हाण के वकील अभिमन्यु भंडारी ने बताया कि इस मामले में दलीलों का अंतिम दिन था। हमने विस्तार से दलीलें दी और दोनों पक्षों ने अपने बयान दिए। आयोग ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
शिकायत पक्ष की ओर से महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री माधवराव किन्हालकर ने कहा कि उन्होंने आयोग के समक्ष सारे साक्ष्य रख दिए हैं तथा वह इस बात को लेकर आशावान है कि चुनाव आयोग की तरफ से उनके पक्ष में निर्णय आएगा। आयोग ने पिछले माह चव्हाण के खिलाफ पांच आरोप तय किए थे। उन्होंने हाल के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की नांदेड़ सीट से विजय हासिल की थी। आयोग ने शीर्ष न्यायालय के निर्देश पर पिछली मई को उसके समक्ष पेश होने का नोटिस जारी किया था। यह नोटिस उनके खिलाफ 2009 के चुनाव में कथित खचरें को लेकर था जिसे पेड न्यूज की श्रेणी में रखा जाता है। यदि फैसला चव्हाण के पक्ष में नहीं गया तो आयोग उन्हें आरपी एक्ट की धारा 10 ए के तहत तीन वर्ष के लिए चुनाव के अयोग्य घोषित कर देगा, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता चली जाएगी।