प्रसार भारती का क्रूर चेहरा : कैंसर पीड़ित वरिष्ठ पत्रकार आशीष अग्रवाल के साथ न्याय करने की बजाय उन्हें कष्ट देने के लिए सक्रिय हुए नौकरशाह
कैंसर की चिकित्सा के बाद से रिकवरी का इंतजार कर रहे वरिष्ठ पत्रकार आशीष अग्रवाल ने अपने गृह जनपद तबादले का अनुरोध किया था। जब तक तबादला नहीं होता तब तक Work From Home का अनुरोध किया था। प्रसार भारती वाले उनके अनुरोध को दबाए रहे। इसी बारे में केंद्र सरकार के दो महत्वपूर्ण मंत्रियों ने सिफ़ारिशी पत्र भी लिखा जिसे नौकरशाहों ने इगनोर कर दिया। जब पूरी कहानी भड़ास पर छपी तो अब प्रसार भारती के अफसर सक्रिय हो गए हैं। ये सक्रियता कैंसर पीड़ित पत्रकार की भलाई के लिए नहीं बल्कि उनकी नौकरी खाने के लिए है।
पता चला है कि आशीष अग्रवाल की व्यथा भड़ास में छपने के बाद प्रसार भारती के अफसरों ने एक पत्र तैयार किया है। इस पत्र को कहीं भेजा नहीं गया है, बस अपने फाइलों में रखा है। इस पत्र को प्रधानमंत्री के पोर्टल पर अपलोड करने की तैयारी है जिसमें आशीष अग्रवाल ने अपनी पीड़ा का बयान करते हुए तबादले का अनुरोध किया था। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार पत्र में श्री अग्रवाल को हटाये जाने की तैयारी है। ऐसा दिखाने की तैयारी है कि कार्यमुक्ति का काम श्री अग्रवाल के तबादले का अनुमोदन मांगने वाले डीडी न्यूज़ के सुझाव पर किया जा रहा है। अक्लमंदी देखिये कि इसका ठीकरा केंद्रीय मंत्रियों और प्रधानमंत्री के नाम फोड़ने की तैयारी है।
भयंकर बीमारी से पीड़ित पत्रकार को मानवीयता के आधार पर बनाए रखने के बजाए उनके प्रति प्रसार भारती ने क्रूरता का रवैया अपना रखा है। इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार द्वारा लिखे गए केन्द्रीय सूचना मंत्री प्रकाश जावडेकर के पत्र को प्रसार भारती ने कूड़े में डाल रखा है। पत्र का कोई उत्तर नहीं मिला है। न ही प्रधानमंत्री के सचिवालय को कोई जवाब दिया गया।
एक बीमार पत्रकार की मदद की बजाय कैसे उसकी नौकरी खा ली जाए, इसकी तैयारी प्रसार भारती के नौकरशाह कर रहे हैं। पीड़ित पत्रकार आशीष अग्रवाल न्याय न मिलने पर इस बाबत न्यायालय की मदद लेने की भी तैयारी कर रहे हैं ताकि क्रूर और अमानवीय अफसरों को सबक सिखाया जा सके।
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