Sanjay Tiwari : इराक के बारे में कुछ भी जानने के लिए एक बार हम लोग फिर उसी पश्चिमी मीडिया पर निर्भर हैं जिसने इराक वार की पृष्ठभूमि रचने में ‘मित्र’ देशों की मदद की थी. हालात खराब हैं, सच है. बहुत ज्यादा खराब हैं, यह भी सच है. लेकिन मामला इतना भी एकतरफा नहीं है जितना पश्चिमी मीडिया प्रसारित कर रहा है. सूचना के लिए खुद मैं इराक के जिन वैकल्पिक स्रोतों पर नजर रख रहा हूं उनकी रिपोर्टिंग इतनी निराशाजनक नहीं है. इराकी फौंजे भी मजबूती से लड़ रही हैं और आइसिस के आतंकी बड़ी संख्या में मारे जा रहे हैं. लेकिन ऐसी खबर किसी एपी, एएफपी, रायटर, न्यूयार्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट या गार्जियन के हवाले से अब तक प्रसारित नहीं की गई है.
इराक के बारे में पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टिंग कितनी शातिर है इसका नमूना देखना हो तो आज बैजी रिफाइनरी पर आतंकियों की हमले की खबर देखिए. सब यही बता रहे हैं कि इराक की सबसे बड़ी रिफाइनरी पर आतंकियों ने हमला कर दिया लेकिन कोई यह नहीं बता रहा कि हमले में शामिल 40 आतंकियों को इराकी सुरक्षा बलों ने मार गिराया है.
Sanjay Tiwari : और इस तरह उत्तराखण्ड की तराई में गुजरात का रैम्बो सीएम अपने लाव लश्कर के साथ पहुंचा था और चटपट सभी शरणार्थियों को ‘सुरक्षित’ बाहर निकाल ले गया था। रैम्बो सीएम की इन खूबियोंं का देश के जनमानस पर ऐसा असर हुआ कि सालभर बाद साहब पीएम चुन लिये गये। अबकी उत्तराखण्ड में तो कोई आपदा नहीं आई लेकिन इराक में जारी गृहयुद्ध के बीच चालीस भारतीय अगवा कर लिये गये हैं। हमें अपने पीएम साहब से एक और रैम्बो आपरेशन का इंतजार है। आईएनएस विक्रमादित्य के साथ।
वेब जर्नलिस्ट संजय तिवारी के एफबी वॉल से.