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एमपी के दो टीवी पत्रकारों विजय मीणा और विक्रांत सिंह ठाकुर को कैद की सजा

एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को सोते हुए कैमरे में कैद करना दो मीडियाकर्मियों पर भारी पड़ गया. कोर्ट ने इस कृत्य के लिए दोनों पत्रकारों को दोषी मानते हुए एक-एक साल की सजा सुनाई है. मामला रतलाम का है. न्यायिक दंडाधिकारी विष्णुप्रसाद सोलंकी ने शासकीय कार्य में बाधा का दोषी पत्रकारों को माना है. दोनों पत्रकारों को जमानत मिल गई है.

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एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को सोते हुए कैमरे में कैद करना दो मीडियाकर्मियों पर भारी पड़ गया. कोर्ट ने इस कृत्य के लिए दोनों पत्रकारों को दोषी मानते हुए एक-एक साल की सजा सुनाई है. मामला रतलाम का है. न्यायिक दंडाधिकारी विष्णुप्रसाद सोलंकी ने शासकीय कार्य में बाधा का दोषी पत्रकारों को माना है. दोनों पत्रकारों को जमानत मिल गई है.

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दोनों मीडियाकर्मियों के नाम हैं- टीवी पत्रकार विजय मीणा और कैमरामैन विक्रांत सिंह ठाकुर. इन्हें आईपीसी की धारा 456 के तहत एक साल के कठोर करावास और 100-100 रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है. पत्रकार और कैमरामैन को आईपीसी की धारा 353 के तहत छह माह के कठोर कारावास की सजा भी सुनाई गई है. मामला 11 अप्रैल 2010 का है. सीएम शिवराजसिंह चौहान के दौरे के समय टीवी पत्रकार विजय मीणा व कैमरामैन विक्रांत ठाकुर ने सुरक्षा घेरा तोड़ा था. ये दोनों पत्रकार तब सहारा समय चैनल में कार्यरत थे. बाद में 32वीं बटालियन के प्लाटून कमांडर विजय कुमार माहोर ने शासकीय कार्य में बाधा व हाथापाई के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पत्रकारों का कहना है कि वे सत्र न्यायालय में अपील करेंगे.

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