संजय कुमार सिंह-

मौत का सौदागर कहना बहुत बुरा लगा था
अब द टेलीग्राफ ने जानना चाहा है, जब किसान बारिश में ठिठुर रहे हैं तो सरकार इतनी निष्ठुर कैसे हो सकती है?
और बात सिर्फ सरकार की नहीं है? मैं जो पांच अखबार देखता हूं उनमें सिर्फ टेलीग्राफ ने कल की बारिश और ठंड में किसानों की दशा पर पहले पन्ने पर खबर छापी है। धरना दे रहे कोई 60 किसान मर चुके हैं पर बाकी के चार अखबारों के पहले पन्ने की खबरें और तस्वीर देखने वाले कम से कम दस और लोगों को किसानों की दशा पहले पन्ने की ‘खबर’ या तस्वीर नहीं लगी।
धन्य है गोदी मीडिया।