कहने के लिए वे पत्रकार हैं। सिनेमा की रंगीन दुनिया के पत्रकार! कहावत है ना… रहने को घर नहीं, है सारा जहां हमारा! बस, यही हाल है उनका। सितारों की पल पल की खबर लेने वाले और घंटे-घंटे भर में उनकी खबर लोगों तक पहुंचाने की कवायद में रात दिन एक करने वाले इन मीडिया कर्मियों की खबर लेने के लिए कोई सितारा एक स्टेटमेंट तक नहीं दिया है कि कोरोना के इस झंझावात में वे वेचारे कैसे हैं? कहाँ हैं?, क्या कर रहे हैं? किसी को उनकी नही पड़ी है!
खबर है आमिर खान ने अपने प्रोडक्शन कर्मियों की लिस्ट तैयार कराई है। अक्षय कुमार ने करोड़ों कोरोना राहत कोष में दिए हैं। रवि किशन ने फिल्मी संघर्षियों को राशन बंटवाया है। पर क्या इनमें किसी संघर्षी मीडिया कर्मी का नाम है? 5 किलो चावल तक उन लड़कों को नही मिला है जो बूम पकड़ कर घंटों इवेंट कवरेज में खड़े रहते हैं।
ये लड़के और लड़कियां छोटे शहरों से आए होते हैं। किराए के घरों में और शेयरिंग में रहते हैं। इन दिनों जबसे कोरोना वायरस का संक्रमण सुर्खियों में आया है, मकान मालिक उनको घर में वापस नहीं लेता है। वो यू ट्यूब के लिए खबरें कवर करते हैं।
सितारों के छींक आने तक की खबर सबसे पहले कवर करने की होड़ रखते हैं। आज वे भी कोरोना के आपात से उपजी परिस्थितियों के शिकार हैं। कभी अब्दुल्ला की शादी में बेगाने की तरह नाचने वाले ये मीडिया के छोटे-छोटे कर्मी आज बड़ी मुसीबत में फंसे हुए हैं। आखिर ये भी तो फ़िल्म इंडस्ट्री का ही हिस्सा हैं। कोई नहीं देख रहा है इनकी तरफ़। कहाँ जाएं ये? आखिर कहां जाएं?
-शरद राय