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सुख-दुख

मोदी सरकार और गोदी मीडिया के दुष्प्रचार से निपटने के लिए हम सबको ‘नागरिक मीडिया’ बनने की ज़रूरत

श्याम मीरा सिंह-

इस देश से, इस देश के लोगों से प्यार करने वाले प्यारे दोस्तों, आप सब से एक रिक्वेस्ट है. किसान आन्दोलन को कुचलने के लिए, उसे बदनाम करने के लिए पूरा सरकारी तन्त्र लग गया है.

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आप से रिक्वेस्ट है कि दो-तीन दिन इस आन्दोलन के लिए दे दीजिए. दो दिन के लिए आप ‘नागरिक मीडिया’ बन जाइए. ट्विटर फेसबुक से असली कंटेंट, सही विडियोज, पिक्चर लीजिए.

अपनी-अपनी वॉल पर लगाइए. हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किसानों के समर्थन में आ जाइए. ताकि जो झूठ सरकारी मशीनरी द्वारा फैलाया जा रहा है उसका मुकाबला किया जा सके.

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हम संख्या में कम हैं, हम संसाधनों में कमजोर हैं. लेकिन इनके ‘प्रचार तंत्र’ का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त हैं.

आपको ट्विटर पर किसान आंदोलन से जुड़ी सच्ची विडियोज मिल जाएंगी, सच्ची तस्वीरें मिल जाएंगी, अब वक्त आ गया है सामने से खेलने का. बन जाइए दो दिन के ‘पत्रकार’. बन जाइए ‘नागरिक मीडिया’. और इस मंतव्य को अपने आसपास के लोगों तक पहुंचाइए.

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उन्हें कहिए कि वे दो दिन का वक्त दें. दो दिन के लिए पत्रकार बन जाएं. अगर आप सब इकट्ठे हो गए तो दो दिन में ही पूरा सरकारी तंत्र हांफ जाएगा.

https://youtu.be/EQmln3nvZ4c
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1 Comment

1 Comment

  1. Jaideep Vaishnav

    January 27, 2021 at 3:24 pm

    आपका मतलब है सिर्फ वही पिक्चर शेयर किए जाए जो किसान आंदोलन के समर्थन में हो,
    अगर वहाँ कुछ गलत हो रहा हो तो वो ना दिखाया जाये,
    आपका नागरिक मीडिया तो बनने के पहले ही baised हो गया। उसका लक्ष्य ही सिर्फ किसान आंदोलन की अच्छाइयों को दिखाना ,जैसे लंगर चल रहे है,किसान ठंड से कांप रहा है,पुलिस वाले लंगर के लिए लाइन में खड़े है
    सिर्फ यही शेयर करना है,
    नेगेटिव पॉइंट्स को आप कवर ही नही करना चाहते हो,
    जैसे भड़काऊ बयान दिए जा रहे है, राकेश टिकैत और उसके गुंडे लोगो को उकसा रहे है,बेरिकेडिंग तोड़ने की ट्रेनिंग दी जा रही है,ट्रैक्टरों को इस हिसाब से मॉडिफाई करवाया जा रहा है कि बेरिकेडिंग ज्यादा से ज्यादा नुकसान किया जा सके
    भड़ास4मीडिया ऐसे इकतरफा कंटेंट को अपनी वेबसाइट पर जगह देगा, विश्वास नही हो रहा।
    अब तो भड़ास4मीडिया की विश्वसनीयता की खतरे में है, अगर इसके लेखक डॉगी मीडिया जैसे शब्द इस्तेमाल करते है और उन्हें 26 जनवरी के उपद्रव में किसानों की कोई गलती नजर नही आती है ।

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