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अरनब अरेस्ट कांड के बाद मीडिया के तीन खेमे बन गए हैं

-विद्या शंकर तिवारी-

अच्छा लगे या बुरा पर सच यही है कि सत्ता का चरित्र एक जैसा होता है… अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बाद मीडिया के तीन खेमे बन गये हैं। एक खेमा जश्न मना रहा है। दूसरा आपातकाल की याद दिला रहा है। तीसरा कह रहा है कि अर्नब की पत्रकारिता से सहमत नहीं लेकिन गिरफ्तारी का तरीका गलत है।

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जो जश्न मना रहे हैं या आपातकाल की याद दिला रहे हैं वो भूल रहे हैं कि सत्ता का चरित्र एक जैसा होता है। जो व्यक्ति शीर्ष पर बैठता है उसके व्यक्तित्व, सोच व विचार के हिसाब से थोड़ा बहुत बदलाव होता है।

सत्ता का घमंड सब में होता है। वो चीज ही ऐसी है कि उसके प्रभाव से कोई बच नहीं सकता। तुलसीदास जी ने इसी संदर्भ में कहा है कि प्रभुता पाहिं काहि मद नाहिं!

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पूरी सृष्टि में सिर्फ राजा जनक विदेह कहलाये। यूपी, दिल्ली से लेकर मुंबई तक पत्रकारिता और पत्रकारों के साथ जो हो रहा है और जो पत्रकार कर रहे हैं वो किसी से छिपा नहीं है। इसलिए सत्ता के दंभ में की गई कार्रवाई का शालीन विरोध होना चाहिए।

जो इस विचार से सहमत नहीं हैं उन्हें इसके लिए अभद्रता करने की जरूरत नहीं। असहमत एक ऐसा शब्द है जिसे लिखकर आप सब कुछ कह देते हैं।

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हां मेरी फेसबुक वाल पर जो कोई अभद्र भाषा का इस्तेमाल करेगा उसे ब्लॉक करने और अमित्र करने का सर्वाधिकार सुरक्षित है. यही अधिकार उस फेसबुकिया मित्र के पास भी है. धन्यवाद

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