के. सत्येन्द्र–
कानाफूसी गोरखपुर से….
मजेदार खबर यह है कि दूसरों के लिए गड्ढा खोदने में माहिर गोरखपुर के गैंगस्टर मिश्रा जी को अखबार वाले पांडे जी की दोस्ती भारी पड़ गई है । गैंगस्टर मिश्रा जी सन 2008 से खुद अपने ऊपर आधारित किताब “क्रिमिनल हिस्ट्री ऑफ़ मिश्रा जी” लिख रहे थे । सन 2022 आते-आते गैंगेस्टर मिश्रा जी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुके थे और तमाम चार्जशिटेड मुकदमों के मालिक बन चुके थे । इन दस सालों में गैंगेस्टर मिश्रा जी ने एक अखबारी पांडे जी की खूब सेवा ली और बदले ने उन्हें मेवा भी चढ़ाते रहे।
अखबारी पांडेय जी एकदम नमक हलाल टाइप के आदमी है सो पांडेय जी ने भी मिश्रा जी की पैरवी में थाना चौकी सब एक कर दिया । अखबारी पांडे जी जिले के एक बड़का दैनिक अखबार में पत्रकार हैं । जिले के एक दूसरे पत्रकार ने जब अखबारी पांडेय जी के मित्र गैंगेस्टर मिश्रा जी की बखिया उधेड़नी शुरू की तो अखबारी पांडे और गैंगेस्टर मिश्रा जी अपनी शैतानी खोपड़ी लगाकर पत्रकार से निजात पाने का रास्ता ढूंढने में लग गए । जब रास्ता कुछ नही सूझा तो पत्रकार की बदनामी कराने और वाहवाही लूटने के लिए गैंगेस्टर मिश्रा जी ने एक घटिया प्लानिंग के तहत हल्ला कर दिया कि उन्होंने कल पत्रकार को सरकारी कार्यालय में चटका दिया है।
अखबारी पांडे जी ने खुद तो इस चकबोदी को छापा ही साथ ही इस मामले को अपने अन्य अखबारी मित्रों को भी छापने के लिए कह दिया । अखबारी पांडेय जी ने तो बिना सोचे समझे और जाने बूझे खबर छापी ही उनके बाकी अखबारी मित्रों ने भी उनकी खबर को अपने अखबार में चपका दिया।
पुलिस तो पहले से ही गैंगेस्टर मिश्रा जी की निगरानी में लगी हुई थी इसलिए जब सुबह अखबार बटा तो पता चला कि पब्लिसिटी स्टंट बटोरने के चक्कर मे छपवाए गए इस खबर पर पुलिस ने गैंगेस्टर मिश्रा जी पर एक और मुकदमा ठोक कर उन्हें उठा लिया है और रिमाण्ड पर भेज दिया है।
जब से अखबारी पांडेय जी को मुकदमे और पुलिस कार्यवाही की बात पता चली है तबसे अखबारी पांडे जी अपने एक हाथ से अपनी इज्जत और दूसरे हाथ से अपना पिछवाड़ा बचाये घूम रहे हैं और दूसरी तरफ गैंगेस्टर मिश्रा जी यही कहते फिर रहे हैं कि खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा बारह आने!
इनकी चिंता तो अपनी जगह फिर भी ठीक है लेकिन अपने को तो एक ही चिंता खाए जा रही है कि जिस अखबार में पहले से पॉटी छपी है उस अखबार से मैं अपने कुत्ते की पॉटी कैसे साफ करूंगा।