बॉलीवुड की कई हस्तियां लेज़्ली उडविन की डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘इंडियाज़ डॉटर’ पर प्रतिबंध के बावजूद उसे दिखाने की वकालत तो कर ही हैं, भाजपा सांसद एवं मशहूर अभिनेता परेश रावल की टिप्पणी विशेष मायने रखती है, क्योंकि केंद्र में उनकी ही सरकार है और फिल्म पर पाबंदी भी केंद्र सरकार ने ही लगा रखी है। रावल कहते हैं- मुझे लगता है कि डॉक्यूमेंट्री से प्रतिबंध हटना चाहिए। अगर आप नाथूराम गोडसे का बयान रिकॉर्ड कर सकते हो, उसे प्रकाशित कर सकते हो तो ऐसे लोगों का बयान भी दिखाया जाना चाहिए ताकि हमें पता तो लगे कि वह क्या सोचता है।
परेश रावल, अनुष्का शर्मा, नसीरुद्दीन शाह और अन्नू कपूर
अपनी आगामी फिल्म ‘एनएच10’ के प्रचार के लिए देश की राजधानी दिल्ली में मौजूद अभिनेत्री अनुष्का शर्मा कहती हैं – लोगों को मालूम है, उन्हें क्या देखना है, इसलिए हर तरह के प्रतिबंध खत्म होने चाहिए। यद्यपि मैंने इंडियाज डॉटर देखी नहीं है। मैं फिल्म इंडस्ट्री के प्रतिनिधि के तौर पर ये खुलकर कहना चाहूंगी कि इस मसले को जनता के विवेक पर छोड़ देना चाहिए। लोगों को खुद फैसला करने दें।
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह कहते हैं- फ़िल्म समाज को अपने अंदर झांकने पर मजबूर करती है। मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि इस फ़िल्म पर प्रतिबंध लगाया ही क्यों गया है। मैंने फ़िल्म बनाने वाली महिला का साक्षात्कार सुना है, जो खुद भी एक बलात्कार पीड़िता हैं और शायद इसीलिए वह एक बलात्कार पीड़िता का दर्द समझती हैं। इस फ़िल्म को ज़रूर देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह एक बलात्कारी के दिमाग़ को समझने में मदद करती है। प्रतिबंध का मतलब तो होगा, इस देश में सभी मूर्ख हैं और वह जो देखेंगे उससे प्रभावित हो जाएंगे।
फ़िल्म देखचुके अन्नू कपूर कहते हैं – यह आंखे खोलने वाली है। हिंदुस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हैं। यह फ़िल्म तो बच्चों को भी स्कूल-कॉलेजों में दिखाई जानी चाहिए। समाज में बच्चियों को यह सिखाया जा रहा है कि अपना बलात्कार मत होने दो, लेकिन बच्चों को यह नहीं सिखाया जा रहा कि बलात्कार मत करना भारत में देवियों की पूजा की जाती है, लेकिन हक़ीक़त में हर बच्ची, हर बेटी, हर बहू अपमानित और प्रताड़ित की जा रही है।